Home Regional दो से अधिक बच्चे होने पर राजस्थान में सरकारी नौकरी नहीं, SC ने लगाई मुहर

दो से अधिक बच्चे होने पर राजस्थान में सरकारी नौकरी नहीं, SC ने लगाई मुहर

'इस फैसले में कुछ भी असंवैधानिक नहीं '

by Rashmi Rani
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Supreme Court Decision

1 March 2024

राजस्थान में दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी नहीं देने के फैसले को कोर्ट में चुनौती दी गई थी, राज्य सरकार के फैसले को बरकरार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया। वहीं, राजस्थान सरकार ने इस फैसले को परिवार नियोजन का हिस्सा बताया। राजस्थान विभिन्न सेवा (संशोधन) नियम, 2002 के बाद ऐसे अभ्यर्थियों को सरकारी नौकरी में अप्लाई करने से रोकता है जिनके दो से अधिक बच्चे हैं।

‘इसमें कुछ भी भेदभावपूर्ण नहीं’
राजस्थान सरकार के दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी नौकरी में अप्लाई करने से रोकने पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा गवर्नमेंट नौकरी देने से इनकार करना भेदभावपूर्ण नहीं है। इसके साथ ही अदालत ने माना कि यह फैसला पॉलिसी के अंतर्गत आता है। इसलिए इसमें किसी भी प्रकार का दखल नहीं दिया जा सकता है। यह फैसला शीर्ष अदालत की जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस केवी विश्वनाथ बेंच ने सुनाया है।

रामजी लाल जाट की याचिका की गई खारिज
बता दें कि 31 जनवरी 2017 को सेना से रिटायरमेंट होने के बाद रामजी लाल जाट ने 25 मई 2018 को राजस्थान पुलिस कांस्टेबल की भर्ती के लिए आवेदन किया था। उसकी उम्मीदवारी को इस आधार पर खारिज कर दिया है कि प्रदेश में राजस्थान पुलिस अधीनस्थ सेवा नियम, 1989 के नियम 24(4) के तहत 1 जून 2002 के बाद उसके पास दो से अधिक बच्चे थे, इसलिए उन्हें सरकारी नौकरी नहीं दी जा सकती है। 12 अक्टूबर 2022 को राजस्थान उच्च न्यायालय के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखते हुए पूर्व सैनिक रामजी लाल जाट की याचिका खारिज कर दी। जिस नियम में कहा गया है कि 1 जून 2002 के बाद दो से अधिक बच्चे हैं तो वह अभ्यर्थी राजस्थान सरकार नौकरियो में आवेदन नहीं कर सकता है।

परिवार नियोजन को देना है बढ़ावा
बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि इसी तरह का नियम पंचायत चुनाव में उम्मीदवारों के लिए रखा गया था, जिसे शीर्ष अदालत ने बरकरार रखा था। कोर्ट ने तब यह माना था कि किसी शख्स के दो से अधिक जीवित बच्चे होने पर उम्मीदवार को अयोग्य घोषित करता है। क्योंकि इसका उद्देश्य परिवार नियोजन को बढ़ावा देना है और इसलिए इसमें कुछ भी संविधान के दायरे से बाहर नहीं है।

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