Introduction
Unique Temples List : भारतीय समाज में वर्षों से पुरुषों का वर्चस्व रहा है और समय के साथ ऐसी परंपराएं भी विकसित हुई हैं जहां महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को सामाजिक-पारंपरिक रूप से ज्यादा ताकत मिली. यही वजह रही कि महिलाओं को कई सामाजिक बंधनों में बांधने की कोशिश की गई जहां पर उनको पुरुषों के मुकाबले थोड़ी कम हैसियत मिली. ऐसे ही कई मंदिर रहे जहां महिलाओं की एंट्री पर रोक लगा दी गई जिसमें सबरामला मंदिर शामिल है. लेकिन आपको जानकर यह हैरानी होगी कि हम उन मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पर पुरुषों का जाना सख्त मना है. यहां पर केवल महिलाएं ही कुछ खास नियमों का पालन करते हुए एंट्री कर सकती हैं. इन मंदिरों के साथ ऐतिहासिक रूप से कई कहानियां जुड़ी हैं जिसकी वजह से पुरुष इन मंदिरों में प्रवेश नहीं कर सकते हैं. लोक मान्यताओं के अनुसार इन मंदिरों में जाने से पुरुषों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, साथ ही सुख-समृ्द्धि वाले जीवन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है ऐसे में इन मंदिरों में पुरुषों का प्रवेश बंद किया है और ऐसे मंदिर उत्तर से लेकर दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत में स्थापित हैं.
Table Of Content
- असम का कामरूप कामाख्या मंदिर
- ब्रह्मा देव मंदिर में पुरुषों की एंट्री पर रोक
- भगवती देवी का मंदिर
- अट्टुकल भगवती मंदिर
- जोधपुर का संतोषी माता का मंदिर
असम का कामरूप कामाख्या मंदिर
असम के गुवाहाटी में स्थित कामाख्या मंदिर काफी पुराना है और यह अपनी मान्यताओं के लिए काफी प्रसिद्ध है. माना जाता है कि सभी शक्तिपीठों में कामाख्या शक्तिपीठ का स्थान सर्वोपरि है. माता के महावरी में यहां पर भारी संख्या श्रद्धालु आकर उत्सव मनाते हैं और इन दिनों पुरुषों का मंदिर में प्रवेश करने पर प्रतिबंध रहता है. साथ ही महावरी के समय यहां का पुजारी भी पुरुष की जगह एक महिला होती है और वी पूजा-पाठ करवाती है. कामरूप कामाख्या मंदिर की एक खास मान्यता यह भी है कि यहां पर आने वाले सभी भक्तों की मनोकामना पूरी होती है. इसके अलावा श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए जानवरों की बलि (मादा की बलि नहीं दी जाती), कन्या पूजन और भंडारा करवाते हैं. इस मंदिर में माता तांत्रिकों के लिए सबसे महत्वपूर्ण देवी मानी जाती है और तांत्रिकों का मानना है कि माता से भूत-प्रेत काफी खबराते हैं जिसकी वजह से मानव शरीर को जल्दी छोड़ देते हैं. आपको बताते चलें कि गुवाहाटी से 7 किलोमीटर दूरी पर स्थित कामाख्या मंदिर में आर्य समुदायों की मान्यताएं और प्रथाएं गैर-आर्य समुदाय से भी मिलती-जुलती है. यह मंदिर मुख्य रूप से मां शक्ति के विभिन्न रूपों को समर्पित है. इसमें तीन प्रमुख कक्षों से युक्त है इसकी संरचना को काफी पवित्र माना जाता है. मध्य कक्ष में नारायण के शिलालेख और चित्र और तीसरे कक्ष में योनि जैसी दरार बनी हुई है जो एक गुफा की तरह दिखती हैं.
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ब्रह्मा देव मंदिर में पुरुषों की एंट्री पर रोक
राजस्थान के पुष्कर में स्थित ब्रह्मा देव मंदिर की लोगों के बीच में काफी मान्यताएं हैं और यहां पर हर दिन हजारों की संख्या में लोग दर्शन करने के लिए जाते हैं. माना जाता है कि इस मंदिर को 14वीं शताब्दी में बनाया गया था जहां पर पुरुषों की एंट्री पर प्रतिबंध है. ऐसा कहा जाता है कि देवी सरस्वती के श्राप की वजह से यहां पर कोई भी शादीशुदा पुरुष प्रवेश नहीं कर सकता है. साथ ही हर पुरुष को सरस्वती के दर्शन आंगन में से ही करने पड़ते हैं, लेकिन शादीशुदा महिलाएं गर्भगृह में जाकर प्रवेश कर सकती हैं. आपको बता दें कि इस मंदिर की मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा को पुष्कर झील के पास पत्नी देवी सरस्वती की यज्ञ करना था लेकिन सरस्वती समय पर नहीं पहुंच सकी और ब्रह्मा ने शुभ मुहूर्त का समय बीतता देख नंदिनी गाय के मुख से गायत्री का प्रकट किया और उनसे विवाह कर अपना यज्ञ पूरा कर लिया. सरस्वती जब यज्ञ वाले स्थान पहुंची तो उन्होंने मंदिर को श्राप दिया कि किसी विवाहित पुरुष को आंतरिक परकोट में जाने की इजाजत नहीं होगी और कोई ऐसा शख्स एंट्री करता है तो उसके वैवाहिक जीवन में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.
भगवती देवी का मंदिर
भगवती देवी मंदिर तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले में स्थित है. ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव को अपने पति के रूप प्राप्त करने के लिए पार्वती तपस्या करने के लिए यहां पर आती थीं. भगवती मां को संन्यासियों की देवी कहा जाता है इसलिए यहां पर सिर्फ संन्यासी पुरुष ही पूजा करने के लिए आते हैं. इसके अलावा अन्य पुरुषों को मंदिर के अंदर प्रवेश करने की इजाजत नहीं है. वहीं, भगवती देवी मंदिर के अंदर सिर्फ महिलाएं ही पूजा करने के लिए आती हैं, साथ ही महिलाओं के अलावा मंदिर के अंदर किन्नरों को भी प्रवेश करने का अधिकार है. इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां पर अगर किसी पुरुष को मंदिर में एंट्री करनी हो तो उसे महिला की तरह श्रृंगार करना पड़ता है. यहां पर दूसरी मान्यता यह है कि भगवान शिव माता पार्वती को लेकर भ्रमण कर रहे थे उस समय माता की रीढ़ की हड्डी इसी स्थान पर गिरी थी. इसी उपलक्ष्य में यहां पर एक मंदिर का निर्माण करवाया गया था.
अट्टुकल भगवती मंदिर
केरल के अट्टुकल में स्थित अट्टुकल भगवती मंदिर एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थस्थल है और इसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है. इसका कारण है कि यहां पर 30 लाख से ज्यादा महिलाएं पोंगल उत्सव में भाग लेने के लिए आती हैं और भव्य पूजा की जाती है. केरल में पोंगल पर्व की काफी मान्यता है और भगवती मंदिर में यह उत्सव काफी धूमधाम से मनाया जाता है. अट्टुकल पोंगल हर गुजरते साल के साथ लाखों महिलाओं को आकर्षित करता है. यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं का मानना है कि भगवती देवी उनकी सभी इच्छाओं को पूरा करती है, साथ ही उनकी पूजा करने से उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है. इस मंदिर में मुख्य रूप से भद्रकाली की पूजा की जाती है. मंदिर के लिए ऐसी मान्यता है कि यहां पर भद्रकाली मां 10 मिनट के लिए आती है और उस दौरान पुरुषों की एंट्री पर प्रतिबंध है. मंदिर निर्माण से जुड़ी एक कथा यह भी कही जाती है कि आट्टुकाल गांव का मुखिया मुल्लुवीड़ को अपने सपने में आट्टुकाल देवी दर्शन हुए और जागने के बाद भी उपस्थिति की अनुभूति होती रही. उसी वक्त उन्होंने यहां पर एक मंदिर बनाने का फैसला किया.
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जोधपुर का संतोषी माता मंदिर
राजस्थान के जोधपुर के संतोषी माता मंदिर में संतोषी माता प्रकट हुई थी. यहां पर हर शुक्रवार को हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं. यहां तक कि विदेशों से भी लोग दर्शन करने के लिए लोग आते हैं. मंडोर रोड की पहाड़ियों के बीच में संतोषी माता का मंदिर पूरे देश में शक्ति पीठ के रूप में जाना जाता है. शुक्रवार के दिन इसलिए भी काफी खास हो जाती है क्योंकि इस दिन पुरुष की मंदिर में एंट्री नहीं होती है. हालांकि बाकी दिनों में पुरुष अगर मंदिर जा रहे हैं तो वह सिर्फ संतोषी माता के दर्शन कर सकते हैं लेकिन उन्हें वहां पर पूजा करने का अधिकार नहीं है. मामला यह है कि शुक्रवार के दिन माता संतोषी की बाकि दिनों के मुकाबले काफी बड़ी पूजा होती है और इस दिन महिलाएं व्रत भी रखती हैं. यही कारण है कि मंदिर के अंदर पुरुषों का आना मना है. यहां पर शुक्रवार के दिन मेले जैसा होता है. माता संतोषी को प्रसाद के रूप में गुड़ और चने का भोग चढ़ाया जाता है. मंदिर के ट्रस्टी कहते हैं कि यहां पर मान्यता है कि मां संतोषी जिनको बुलाती है वही लोग मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं और उनकी मनोकामना पूरा करती है. मंदिर बहुत पुराना है और जब कोई महिला संतोषी का व्रत रखती है तो उसको फल भी मिलता है. मंदिर की एक खास बात यह है कि यहां पर मां संतोषी की कोई मूर्ति नहीं है बल्कि पहाड़ों से उभरी हुई प्रतिमा है, जिसकी लोग पूजा करने के लिए आते हैं और उनके बीच इसकी काफी मान्यता है.
Conclusion
भारत में मंदिरों का एक लंबा इतिहास रहा है. हर एक मंदिर की अपनी एक मान्यता है और उनके साथ लोक कथा भी जुड़ी हुई है, जिसकी वजह से वह मंदिर काफी प्रसिद्ध हैं. इसी कड़ी में हम उन मान्यताओं के बात की गई है जहां पर कुछ मंदिरों में महिलाओं की एंट्री पर बैन है तो कई ऐसे मंदिर भी है जहां पुरुष का जाना सख्त मना है. इसका एक मात्र यह कारण है कि उनके साथ कुछ लोक कथाएं जुड़ी है. जैसे कि राजस्थान के जोधपुर में ब्रह्मा देव मंदिर में देवी सरस्वती ने श्राप दिया था और यहां पर कोई भी शादीशुदा पुरुष अंदर नहीं जा सकता है अगर किसी को एंट्री करनी होती है तो वह बाहर से ही दर्शन कर सकता है. इसके अलावा कन्याकुमारी में स्थित भगवती देवी मंदिर में पुरुष इसलिए नहीं जा सकता है क्योंकि यहां पर जिस देवी की पूजा होती वह संन्यासियों की देवी कही जाती है. अगर किसी पुरुष को अंदर जाना होता है तो वह महिलाओं की तरह कपड़े पहनकर और श्रृंगार करके एंट्री कर सकता है. देश में कई मंदिर ऐसे भी हैं जहां महिलाओं की एंट्री निषेध है. ऐसे में कहा जाता है कि मंदिरों के साथ कई लोक कथाएं जुड़ी हैं जिसकी वजह से वहां पर वर्षों से परंपरा चलती आ रही है और इसकी आज भी काफी मान्यता है.
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