Introduction
Jharkhand Assembly Election 2024: गठन के बाद झारखंड राज्य पांचवें विधानसभा चुनाव के लिए तैयार है. दो चरणों में 13 और 20 नवंबर को मतदान होगा और इसके नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे. झारखंड के 24 साल के इतिहास में 13 अलग-अलग मौकों पर सात नेता मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ चुके हैं. इसके अलावा, राज्य में एक बार राष्ट्रपति शासन भी लगाया जा चुका है. आपको जानकर हैरानी होगी कि BJP के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास अपना कार्यकाल पूरा करने वाले एकमात्र व्यक्ति हैं.
Table of Contents
- झारखंड का इतिहास
- धनबाद क्यों है सबसे बड़ी सीट
- कहां हैं सबसे ज्यादा थर्ड जेंडर मतदाता
- मतदान केंद्रों की संख्या
- युवाओं की क्या है मांग
- युवाओं पर सबसे ज्यादा फोकस
- नए मतदाताओं का नाम जुड़ा गया
- गठबंधन के बीना जीत संभव नहीं
- लंबे समय तक BJP का रहा है गढ़
- सिमडेगा पर क्यों टिकी हुई है सबकी नजरें
- केवल तीन विधानसभा सीटें ही समान्य
झारखंड का राजनीतिक इतिहास
झारखंड विधानसभा में कुल 82 सीटें हैं, लेकिन 81 के लिए ही चुनाव होता है और एक सदस्य मनोनीत किया जाता है. 81 सीटों में से 28 सीटें अनुसूचित जनजाति या आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं और 9 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. केवल 44 सीटों पर ही सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने का अधिकार है. इसका मतलब यह है कि सत्ता की चाभी अनुसूचित जनजाति अरक्षित सीटों के पास ही होगी. जो भी पार्टी इन 28 सीटों में से सबसे ज्यादा सीट जीतेगी सरकार उसी की बनेगी.
धनबाद क्यों है सबसे बड़ी सीट
मतदाता के दृष्टिकोण से धनबाद सबसे बड़ा संसदीय क्षेत्र है. इसमें छह विधानसभा क्षेत्र आते हैं. धनबाद में मतदातों की कुल संख्या 22,40,276 है. इससे अधिक मतदाता और किसी भी लोकसभा क्षेत्र में नहीं हैं. धनबाद, बोकारो, सिंदरी, झरिया, चंदनकियारी और निरसा विधानसभा क्षेत्र हैं. चुनाव आयोग की ओर से जारी की गई सूची के अनुसार धनबाद में पुरुष मतदाताओं की संख्या 11,740,67 है तो महिला मतदाताओं की संख्या 10,66,137 है. वहीं, 72 मतदाता थर्ड जेंडर हैं.
कहां हैं सबसे ज्यादा थर्ड जेंडर मतदाता
धनबाद संसदीय क्षेत्र में सबसे ज्यादा थर्ड जेंडर मतदाता भी हैं. इसके बाद दूसरे नंबर पर बोकारो में थर्ड जेंडर वोटर्स हैं, यहां कुल 31 थर्ड जेंडर मतदाता हैं. वहीं, चंदनकियारी विधानसभा क्षेत्र में एक भी थर्ड जेंडर वोटर नहीं है. इसके अलावा सिंदरी में 7, निरसा में 3, धनबाद में 16 और झरिया में 15 थर्ड जेंडर वोटर्स हैं.
मतदान केंद्रों की संख्या
बोकारो विधानसभा क्षेत्र में 588 मतदान केंद्र हैं. चंदनकियारी में 297 बूथ, धनबाद में 458, झरिया में 346, निरसा में 424 और सिंदरी में 426 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. वहीं, शहरी क्षेत्र की बात करें तो 1177 मतदान केंद्र हैं तो ग्रामीण क्षेत्र में 1362 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. आपको जानकार हैरानी होगी कि चंदनकियारी के शहरी क्षेत्र में एक भी मतदान केंद्र नहीं है तो झरिया विधानसभा क्षेत्र में एक भी मतदान केंद्र ग्रामीण क्षेत्र में नहीं है.
युवाओं की क्या है मांग
लोकतंत्र के इस महापर्व में अपनी भागीदारी निभाने के लिए युवा भी बेताब नजर आ रहे हैं. आज के युवाओं में राजनीतिक समझ भी काफी ज्यादा होती है. युवाओं का कहना है कि हमें ऐसे प्रत्याशी की जरूरत है जो सर्वांगीण विकास के लिए काम करे. हम ऐसे प्रत्याशी का चयन करेंगे जो विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गुणवत्ता, शहर के विकास के मुद्दे और बेरोजगारी जैसे गंभीर मुद्दों पर ध्यान दे. ऐसी सोच रखने वाले को ही हम अपना वोट देंगे. झारखंड के युवाओं की मांग है कि प्रोफेशनल कोर्सेज को लेकर बेहतर सुविधा मिले और उच्चस्तरीय अध्ययन की सुविधा अपने राज्य में ही मिले ताकि हमें दूसरे शहर पढ़ाई करने के लिए नहीं जाना पड़े. युवाओं ने कहा कि दूरदर्शी जनप्रतिनिधि ही इस दिशा में सोच सकता है.
युवाओं पर सबसे ज्यादा फोकस
विधानसभा चुनाव 2019 और लोकसभा चुनाव 2024 की अगर तुलना की जाए तो मतदान प्रतिशत में काफी बढ़ोतरी हुई. जिस सीट पर कभी सबसे कम मतदान हुआ था, उस झरिया और धनबाद सीट पर लोकसभा चुनाव में सबसे अधिक मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई. विधानसभा चुनाव से ज्यादा लोकसभा चुनाव में मतदान हुआ है. वहीं, धनबाद के उपायुक्त सह जिला निर्वाचन पदाधिकारी माधवी मिश्रा ने कहा है कि इस बार वोटिंग प्रतिशत बढ़ाना हमारे लिए एक बड़ी चुनौती है. इस बार के चुनाव में 18 से 19 साल के युवा पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है. इस बार युवा मतदाताओं की संख्या 76,656 है.
नए मतदाताओं का नाम जुड़ा गया
लोकसभा चुनाव 2024 के समय मतदाओं की संख्या दो लाख 94 हजार 245 मतदाता थी, जिसमें एक लाख 58 हजार 862 पुरुष व एक लाख 35 हजार 381 महिला मतदाता शामिल थीं. विधानसभा चुनाव 2024 के लिए करीब 7 हजार से अधिक नए मतदाताओं का नाम जुड़ा गया है. प्रत्याशियों के नामांकन तक अभी भी नए मतदाताओं को जोड़ने की प्रक्रिया जारी है.
झारखंड में गठबंधन के बीना जीत संभव नहीं
झारखंड में सभी पार्टियां इस हकीकत से वाकिफ हैं कि गठबंधन में रहकर ही वो अच्छा प्रदर्शन कर सकती हैं. साल 2014 की अगर बात करें तो JMM और कांग्रेस ने अलग अलग चुनाव लड़ा था तो बस 25 सीटों पर ही जीत मिली थी, लेकिन 2019 में जब दोनों ने गठबंधन में रहकर चुनाव लड़ा तो 47 सीटों पर जीत दर्ज की थी. ऐसे ही जब BJP ने साल 2019 में अलग होकर चुनाव लड़ा तो बस 25 सीटों पर ही जीत हासिल कर पाई थी और जब 2014 में आजसू के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था तो 42 सीटें मिलीं थी.
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लंबे समय तक BJP का रहा है गढ़
इस बार विधानसभा चुनाव में NDA का प्रदर्शन I.N.D.I.A ब्लॉक से बेहतर नजर आ रहा है. झारखंड के इतिहास की बात की जाए तो यह लंबे समय तक BJP का गढ़ रहा है. झारखंड के बनने के 24 सालों में से 13 साल BJP ने शासन किया है. लोकसभा चुनाव में इस बार BJP का दबदबा दखने को मिला है. राज्य की 14 सीटों में से 9 सीटों पर BJP को ही जीत मिली है. पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि 51 विधानसभा सीटों पर हमने बढ़त बनाई हुई है. हमारा लक्ष्य इस बार बहुमत हासिल करना है.
सिमडेगा पर क्यों टिकी हुई है सबकी नजरें
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की नजर इस बार ईसाई बहुल सिमडेगा इलाके पर है. इस सीट पर जीत हासिल करने के लिए हर कोशिशों में लगी हुई है. कांग्रेस ने BJP के गढ़ को भेदने और दक्षिण छोटा नागपुर बेल्ट की 15 विधानसभा सीटों का साधने का प्लान बनाया है. जहां एक तरफ BJP की नजर इस पर टिकी हुई है तो कांग्रेस इसे अपने खाते में डालना चाहती है. ऐसे में दोनों ही दलों के बीच शह-मात का गेम खेला जा रहा है. दक्षिणी छोटा नागपुर प्रमंडल पांच जिलों, रांची, खूंटी, गुमला, लोहरदगा और सिमडेगा में फैला हुआ है. इस प्रमंडल की राजनीति कभी भी एकतरफा नहीं रही है. BJP और कांग्रेस के बीच बराबर की लड़ाई है, दोनों ही दलों के बीच बढ़त बनाए रखने की जंग जारी है.
केवल तीन विधानसभा सीटें ही समान्य
सिमडेगा आदिवासी बहुल माने जाने वाला क्षेत्र है. इसके 15 विधानसभा सीटों में से 11 सीटें अनुसूचित जनजाति और एक सीट कांके अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. सिमडेगा में केवल तीन विधानसभा सीटें ही सामान्य हैं जो रांची, हटिया और सिल्ली सीट है. 2019 विधानसभा चुनाव की बात करें तो कांग्रेस-JMM गठबंधन ने 9 सीटें जीती थीं, जिसमें 5 कांग्रेस को मिली थी तो 4 सीटों पर JMM ने जीत हासिल की थी. वहीं, BJP को 5 सीट मिली थी तो आजसू ने सिर्फ एक सीट जीती थी.
Conclusion
झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं. विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद से ही सभी पार्टियां अपनी जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं. वहीं, चुनाव आयोग के लिए भी शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराना एक चुनौती बन गई है. इसके साथ ही सबसे बड़ी चुनौती मतदान प्रतिशत को बढ़ाना है. झारखंड के इतिहास की अगर बात करें तो 2005 की विधानसभा चुनाव में पांच साल में तीन मुख्यमंत्री बने थे. इस राज्य में कोई भी पार्टी लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए दोबारा नहीं चुनी गई है. ऐसे में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए अपनी कुर्सी बचाना आसान नहीं होगा और अगर वो ऐसा कर लेते हैं तो इतिहास के पन्नों पर अपना नाम दर्ज करवा लेंगे.
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