Kanwar Yatra: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ा फैसला लिया है. केवल मुजफ्फरनगर ही नहीं अब पूरे उत्तर प्रदेश में कांवड़ मार्गों पर खाद्य पदार्थों की दुकानों में ‘नेमप्लेट’ लगानी होगी.
19 July, 2024
Kanwar Yatra: सावन महीने के पहले दिन यानि 22 जुलाई से कांवड़ यात्रा शुरू हो जाएगी. लेकिन यात्रा शुरू होने से पहले ही यूपी प्रशासन के एक फैसले ने तूल पकड़ लिया है. कांवड़ यात्रा रूट पर राज्य के मुजफ्फरनगर जिले में पड़ने वाली सभी दुकानों के मालिकों को अपनी नेमप्लेट लगाने की बात अभी विपक्ष को हजम भी नहीं हो पा रही थी कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अब एक और बड़ा फैसला लिया है. पूरे उत्तर प्रदेश में कांवड़ मार्गों पर खाद्य पदार्थों की दुकानों में ‘नेमप्लेट’ लगाने का आदेश जारी किया गया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि कांवड़ यात्रियों की आस्था की पवित्रता बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया गया है. सीएम योगी ने यह भी कहा कि ‘हलाल सर्टिफाइड’ उत्पाद बेचने वालों पर भी सख्ती से कार्रवाई होगी.
फैसले के खिलाफ उठे विरोध के सुर
मुजफ्फरनगर कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानदारों के नाम लिखने के आदेश के बाद से ही लगातार इसका विरोध शुरू हो गया है. पूर्व मुख्यमंत्री और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, बीएसपी सुप्रीमो मायावती और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, सभी ने इस कदम की निंदा की है. उन्होंने इसे भेदभाव से प्रेरित कदम बताया है. BJP के सहयोगी दल JDU के नेता के सी त्यागी ने भी यूपी सरकार के फैसले पर सवाल उठाया है. BJP के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने भी X पर अपना विरोध दबी आवाज में जाहिर किया है.
मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने अखिलेश यादव को दिया जवाब
वहीं, यूपी के मंत्री कपिल देव अग्रवाल का बयान भी सामने आया है. उन्होंने राज्य सरकार के फैसले का समर्थन किया है. कपिल देव अग्रवाल ने कहा कि कुछ मुस्लिम दुकानदार अपनी दुकानों का हिंदू नाम रख लेते हैं. ऐसे में दुकानदारों की नेमप्लेट जरूरी है ताकि कांवड़ियों की आस्था के साथ खिलवाड़ ना हो. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि हिंदू देवी-देवताओं का नाम रखकर नॉनवेज की दुकान नहीं चलेगी. अखिलेश यादव और असदुद्दीन ओवैसी को जबाव देते हुए उन्होंने कहा कि जब रोटी बनाते समय उसमें थूकने के वीडियो वायरल होते हैं तब इन्हें कुछ भी नहीं याद आता है. अब नाम की पहचान होने में उन्हें क्या आपत्ति हैं? उन्होंने जोर देकर कहा कि दुकान का नाम नहीं पता होने से लोगों का धर्म भ्रष्ट होता है और पूरी कांवड़ यात्रा की पवित्रता भंग हो जाती है.
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