Mahakumbh 2025 : ‘चाबी वाले बाबा’ के नाम से मशहूर साधु हरिश्चंद्र विश्वकर्मा की सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हो रही है. वह रायबरेली से निकल कर प्रयागराज पहुंच गए हैं.
Mahakumbh 2025 : महाकुंभ अब कुछ ही दिन बचे हैं उससे पहले प्रयागराज में कोने-कोने से साधु-संतों का जत्था पहुंच रहा है. इसी बीच हर एक संत की अपनी कहानी है और उनके साथ कुछ ऐसे किस्से हैं जिसे जानकर हर कोई हैरान हो रहा है. यहां पर किसी संत की जटा को देखकर हैरानी हो रही है, किसी के सिर पर नाग विराजमान है तो कोई अपने हाथों में लकड़ी की चाबी लेकर पहुंच रहा है. इसी कड़ी में ‘चाबी वाले बाबा’ काफी चर्चाओं में बने हुए हैं. ‘चाबी वाले बाबा’ के नाम से मशहूर 50 साल के साधु हरिश्चंद्र विश्वकर्मा भी रायबरेली से प्रयागराज की तरफ रवाना हो गए हैं.
15 किलो की चाबी लेकर चलते हैं बाबा
महाकुंभ में कई कहानियों के बीच ‘चाबी वाले बाबा’ भी काफी चर्चाओं में बने हुए हैं और यह अपने साथ 15 किलो से ज्यादा वजन की बड़ी चाबी लेकर चलते हैं. इसमें खास बात यह है कि यह चाबी लकड़ी और लोहे से बनी हुई है. बताया जाता है कि हमेशा अपने साथ एक लोहे की चाबी रखते हैं और बाबा का कहना है कि यह चाबी जीवन का अध्यात्म और सांस्कृतिक परंपरा का प्रतीक है. इसके अलावा बाबा का शुरू से ही अध्यात्म की तरफ झुकाव था लेकिन डर की वजह से अपने माता-पिता को नहीं बता पाए थे.
पूरे भारत में चलते हैं पैदल
बता दें कि हरिश्चंद्र विश्वकर्मा अपने जन चेतना धरम रथ में और चाबिया रखते हैं और उनकी एक खास बात यह है कि पूरे भारत में पैदल चलते हैं. साथ ही अपने हाथों से रथ को खींचने का काम करते हैं. चाबी वाले बाबा कहते हैं कि उनका लक्ष्य बुराई को खत्म करना और धर्म को आगे बढ़ाना है. इसके अलावा विश्वकर्मा अपने साथ एक भगवान राम के नाम वाली एक चाबी भी रखते हैं. महाकुंभ में कोई स्पेशल जगह नहीं होने की वजह से वह कुंभ नगरी में घूमते हैं. वह जहां भी आराम करने के लिए ठहरते हैं वहां पर मानवता का संदेश देते हैं और आध्यात्मिक ज्ञान के मार्ग पर लोगों को आगे बढ़ाने काम करते हैं.
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