Home Top News सोने का पीतांबर, हीरा जड़ित मुकुट… इस तरह मनाई गई रामलला के प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ

सोने का पीतांबर, हीरा जड़ित मुकुट… इस तरह मनाई गई रामलला के प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ

by Divyansh Sharma
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Ayodhya Ram Mandir Anniversary: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में रामलला के पंचामृत अभिषेक के बाद रामलला का विशेष श्रृंगार किया गया गया और उन्हें पीतांबर वस्त्र पहनाए गए.

Ayodhya Ram Mandir Anniversary: उत्तर प्रदेश के अयोध्या के साथ पूरा देश एक बार फिर से राममय हो गया. मंत्रोच्चार-बधाई गीतों से फिर अयोध्या एक बार फिर से गूंज रही है. इसका कारण है रामलला के प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ, जिसके लिए शनिवार से समारोह की शुरुआत हो चुकी है. रामलला की विशेष पूजा के बाद पुजारियों ने रामलला का पंचामृत अभिषेक किया और गंगाजल से नहलाया. इस दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी समारोह में शामिल हुए.

11 से 13 जनवरी तक होंगे कार्यक्रम

रामलला के अभिषेक के बाद रामलला का विशेष श्रृंगार किया गया गया और उन्हें पीतांबर वस्त्र पहनाए गए. बता दें कि इस पीतांबर वस्त्र की बुनाई सोने और चांदी के तारों से बुनाई की गई है. साथ ही हीरा जड़ित मुकुट पहनाया गया. पंचामृत अभिषेक के बाद रामलला का 5 पुजारियों ने विधिवत श्रृंगार किया और उन्हें आभूषण भी पहनाए. पूरे राम मंदिर और अयोध्या के सभी विशेष स्थानों को विदेशी फूलों से सजाया गया है.

इस दौरान उत्तर प्रदेश दिल्ली, मध्य प्रदेश और हिमाचल समेत देश के लगभग 10 राज्यों से लोग रामलला के दर्शन करने पहुंचे. बता दें कि 11 जनवरी को पहली वर्षगांठ भारतीय काल गणना के अनुसार पौष शुक्ल द्वादशी को मनाई जा रही है. ऐसे में 11 जनवरी से लेकर 13 जनवरी तक तीन दिन तक पूरे अयोध्या में भव्य आयोजन किए जा रहे हैं. रामलला की पूजा करने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रसाद ग्रहण किया और एक जनसभा को संबोधित भी किया.

यह भी पढ़ें: रामलला प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ पर होंगे विशेष आयोजन, देखें तीन दिन का पूरा कार्यक्रम

राम मंदिर आंदोलन का किया जिक्र

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ मंच पर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय और महंत धर्मदास के अलावा कई संत मौजूद रहे. अपने संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री ने कई बड़ी बातों का जिक्र किया. एकता का संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि कई कारणों से हमारे पूज्य आराध्य देव स्थल अपमानित हो रहे थे. अगर हम जाति के नाम पर विभाजित होते रहेंगे, तो ऐसे ही हमें अपमानजनक स्थितियों का सामना करना पड़ेगा. अगर हम कमजोर होंगे, तो इसका नुकसान हमारे पूज्य धर्मिक स्थलों को भुगतना होगा और बहन-बेटियों को भुगतना होगा. उन्होंने आगे कहा कि इसलिए आज की आवश्यकता है कि हमारे वर्तमान के साथ भविष्य को भी सुरक्षित रखा जाए.

उन्होंने आगे कहा कि एकता के सूत्र के साथ एकात्मता को देश में मजबूत करना होगा, जिससे सनातन धर्म भी मजबूत बनेगा. राम मंदिर आंदोलन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 500 वर्षों में 1528 से लेकर 6 दिसंबर 1992 के बीच का इतिहास उठाकर देखेंगे, तो हर 15 से 20 साल के बीच हिन्दू समाज प्रभु की जन्मभूमि को प्राप्त करने के लिए लगातार संघर्ष करता रहा.

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