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दिल्ली में छात्रों के लिए रहेंगे 10 दिन बैगलेस, सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में नियम होगा लागू

by Preeti Pal
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Delhi School 10 Bagless Days : दिल्ली के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में अब छात्र-छात्राओं को 10 दिन बैग लाने की जरूरत नहीं होगी.

22 October, 2024

Delhi School 10 Bagless Days : अगर आपके बच्चे भी दिल्ली के सरकारी या प्राइवेट स्कूल में पढ़ते हैं तो यह खबर आपके बेहद काम की है. अब आपके बच्चों को 10 दिन तक बैग लेकर आने की जरूरत नहीं होगी. शिक्षा निदेशालय (Directorate of Education) ने मंगलवार को दिल्ली के सरकारी और निजी स्कूलों में 10 बैगलेस डेज़ के कार्यान्वयन के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं. इसमें दिल्ली के सभी स्कूलों को कक्षा 6 से 8 तक के छात्र-छात्राओं के लिए स्कूलों में 10 बैगलेस दिन (bagless days) लागू करने का निर्देश दिया है. इसके तहत अब सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में 6वीं से 8वीं तक के सभी छात्र-छात्राओं के लिए 10 ‘बैगलेस डे’ के पीरियड लगाए जाएंगे. इ दौरान यानी ‘बैललेस डे’ पीरियड के दौरान स्टूडेंट्स को वोकेशनल क्राफ्ट जैसे कारपेंट्री, इलेक्ट्रिक वर्क, मेटल वर्क, गार्डेनिंग, पॉटरी मेकिंग आदि सिखाई जाएगी.

10 Bagless Days : 2020 की सिफारिश के अनुसार जारी किए निर्देश

शिक्षा निदेशालय (Directorate of Education) द्वारा जारी दिशा-निर्देश में कहा गया है कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिश के अनुसार विकसित किए गए हैं. इसका उद्देश्य छात्र-छात्राओं के लिए स्कूल में सीखने को एक अनुभवात्मक, आनंददायक और तनाव मुक्त अनुभव बनाना है और इसके जरिये अध्ययन कराना है.

10 Bagless Days : बच्चों के लिए फन टाइम

शिक्षा निदेशालय (Directorate of Education) से जारी निर्देश में कहा गया है कि गतिविधियों को सावधानीपूर्वक चुना जा सकता है ताकि स्कूल के पास उपलब्ध संसाधनों का उपयोग किया जा सके. सुझाव दिया गया है कि हैप्पीनेस पाठ्यक्रम या भ्रमण यात्राओं के दौरान आयोजित की जाने वाली बैगलेस गतिविधियों को बैगलेस दिनों में शामिल किया जा सकता है.

10 Bagless Days : कलाकारों-शिल्पकारों से कर सकते हैं मुलाकात

इसमें कहा गया है यानी दिशानिर्देशों में कहा गया है कि छात्र ऐतिहासिक स्मारकों, सांस्कृतिक स्थलों, शिल्प कैंटरों, पर्यटक रुचि के स्थानों और कई अन्य स्थानों का दौरा कर सकते हैं. वह कलाकारों और शिल्पकारों से भी मिल सकते हैं. इसके अलावा, अवधारणाओं और परंपराओं की अपनी समझ को व्यापक बनाने के साथ-साथ उन्हें संरक्षण के महत्व की सराहना करने में मदद कर सकते हैं.

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