Sachin Tendulkar: सचिन तेंदुलकर ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की है. इस दौरान उन्होंने अपने जीवन के सबसे बड़े और अच्छे लम्हों को याद कर कहा कि वे इसे फिर से जीना चाहेंगे.
Sachin Tendulkar: भारत के दिग्गज क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने राष्ट्रपति भवन में प्रेसीडेंट द्रौपदी मुर्मु से मुलाकात की है. इस दौरान उन्होंने अपनी साइन की हुई भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी उन्हें गिफ्ट की है. इस बीच उनके साथ उनकी पत्नी अंजलि और बेटी सारा तेंदुलकर भी मौजूद रहीं. भारतीय क्रिकेट टीम के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान साल 2011 विश्व कप जीत के पलों को याद किया और कहा कि वह इसे फिर से जीना चाहेंगे.
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परिवार भी रहा मौजूद
सचिन तेंदुलकर ने अपने परिवार के साथ राष्ट्रीय राजधानी में राष्ट्रपति भवन विमर्श सम्मेलन में बोलते हुए 51 साल के तेंदुलकर ने कहा कि 2011 विश्व कप जीत उनके जीवन का सबसे अच्छा पल था. राष्ट्रपति भवन विमर्श सम्मेलन में एक कार्यक्रम के दौरान सचिन तेंदुलकर ने कहा कि 2011 विश्व कप एक ऐसी याद है जिसे मैं फिर से जीना चाहूंगा. वर्ष 1983 में शुरू हुआ सफर और सपना. मैंने कई प्रयास किए, असफल रहा लेकिन कभी उम्मीद नहीं खोई. इसलिए, यह मेरे जीवन का सबसे अच्छा पल है.
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कैसी है विश्व कप की याद?
भारत ने साल 2011 में मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में हुए फाइनल मुकाबले में श्रीलंका को 6 विकेट से धूल चटाई थी. पहले बल्लेबाजी करते हुए श्रीलंका ने 50 ओवरों में 274/6 रन बनाए. महेला जयवर्धने (103) के नाबाद शतक और कप्तान कुमार संगकारा (48), नुवान कुलसेकरा (32) और थिसारा परेरा (22) की पारियों ने लंका को प्रतिस्पर्धी स्कोर तक पहुंचाया. युवराज सिंह और जहीर खान ने दो-दो विकेट और हरभजन सिंह ने एक विकेट लिया था. 275 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत ने सहवाग (0) और तेंदुलकर (18) के विकेट जल्दी खो दिए. लेकिन गौतम गंभीर और विराट कोहली (35) के बीच 83 रनों की साझेदारी ने भारत की जीत को एक बार फिक जिंदा कर दिया था. जहां गौतम गंभीर ने 122 गेंदों में 97 रन बनाए धोनी और युवराज (21) ने पांचवें विकेट के लिए नाबाद 54 रन की साझेदारी की जिसकी बदौलत टीम इंडिया 28 साल में पहली बार विश्व कप खिताब जीतने में सफल रही थी.
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गुरू को नहीं भूले हैं सचिन
इस दौरान सचिन तेंदुलकर ने अपने बचपन के कोच रमाकांत आचरेकर के बारे में भी बात की. सचिन ने कहा कि आचरेकर सर ने मेरे जीवन में बहुत बड़ी भूमिका निभाई. वह मुझे गर्मियों की छुट्टियों के दौरान बल्लेबाजी के लिए 5 अलग-अलग नेट्स पर ले जाते थे. वह सुनिश्चित करते थे कि हम कभी भी शॉर्टकट न अपनाएं जिससे मैं मानसिक रूप से मजबूत बनूं.
शामिल हुए छात्र
राष्ट्रपति भवन में आयोजित इस सत्र में विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों के महत्वाकांक्षी खिलाड़ियों और छात्रों ने भाग लिया. सचिन ने इस सत्र में टीम वर्क, दूसरों का ख्याल रखने, दूसरों की सफलता का जश्न मनाने, कड़ी मेहनत करने, मानसिक और शारीरिक मजबूती विकसित करने और जीवन के निर्माण के लिए कई अन्य पहलुओं के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि भविष्य के खेल सितारे दूरदराज के इलाकों और आदिवासी समुदायों और उन इलाकों से आएंगे जो इतने विशेषाधिकार प्राप्त नहीं हैं.
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