1 March 2024
खाटूश्याम बाबा के भक्त भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया में बसे हैं। ये मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है, जहां दर्शन के लिए भक्तों की लंबी-लंबी लाइने लगी रहती हैं। कई श्रद्धालु बाबा खाटूश्याम को निशान या झंडा चढ़ाते हैं। ध्वज को साधक मन्नत मांगने के दौरान या मन्नत पूरी होने के बाद अर्पित करते हैं। बाबा खाटूश्याम पर चढ़ाए जाने वाले इस झंडे को निशान कहा जाता है। हिंदू धर्म में झंडे को जीत का प्रतीक माना जाता है। ये झंडा या निशान श्याम बाबा के दान और बलिदान का प्रतीक है। धार्मिक मान्यतानुसार, खाटू श्यामजी महाभारतकाल में बर्बरीक थे। उन्होंने धर्म की जीत के लिए बलिदान दिया था और अपना सिर भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित कर दिया था। जानते हैं आखिर क्यों खाटूश्याम बाबा पर ध्वज या निशान चढ़ाया जाता है…
निशान कैसा होता है?
बाबा खाटूश्याम के झंडे का रंग लाल, केसरिया और नारंगी होता है। साथ ही इस पर भगवान श्रीकृष्ण और बाबा श्याम के फोटोज और मंत्र छपे हुए हैं। धार्मिक मान्यतानुसार, जो साधक बाबा खाटूश्याम पर ये झंडा चढ़ाता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
इस यात्रा को क्या कहते हैं?
बाबा के इस निशान की एक यात्रा होती है जिसको पद यात्रा के नाम से जाना जाता है। इस यात्रा में साधक नंगे पैर चलकर मंदिर में निशान चढ़ाते हैं। निशान यात्रा को श्रीश्याम ध्वज का निशान भी कहते हैं। ये यात्रा मुख्य रूप से 18 किमी. की होती है जो रींगस से खाटू श्याम मंदिर तक की जाती है।