6 March 2024
शादी हर इंसान के जीवन में खास महत्व रखती है। हिंदू धर्म में 16 संस्कारों का वर्णन किया गया है जिसमें से विवाह एक संस्कार है। शादी करने से लड़का और लड़की के साथ-साथ 2 परिवार भी एक रिश्ते में बंध जाते हैं। शादी के दौरान कई रस्में की जाती हैं। उन्हीं में से एक रस्म वरमाला की है। वर और वधु 7 फेरे लेने से पहले एक दूसरे को वरमाला पहनाते है। हालांकि इस रस्म को पुराने समय से ही फॉलो किया जाता रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं विवाह के दौरान वर और वधु द्वारा एक दूसरे को जयमाला क्यों पहनायी जाती है? नहीं, जानते हैं शादी के दौरान वरमाला पहनाने का महत्व…
धार्मिक महत्व
पौराणिक कथाओं में शादी के दौरान वर और वधु द्वारा एक दूसरे को जयमाला पहनाने का वर्णन मिलता है। धार्मिक मान्यतानुसार, मां लक्ष्मी ने श्रीहरि विष्णु को वरमाला या जयमाला पहनाकर अपने पति के रूप में स्वीकार किया था। इसी के चलते शादी के समय दुल्हा और दुल्हन एक दूसरे को जयमाला पहनाते हैं। हिंदू धर्म ग्रंथों में भगवान राम और मां सीता और महादेव और मां पार्वती द्वारा विवाह के दौरान जयमाला पहनाने का वर्णन मिलता है। वरमाला पहनाने के बाद वर और वधु 7 फेरे लेते हैं जिससे वो 7 जन्मों के लिए एक बंधन में बंध जाते हैं।
वरमाला का अर्थ
विवाह के दौरान वर और वधु द्वारा एक दूसरे को वरमाला पहनाने के पीछे एक धारणा ये भी है कि वे दोनों एक दूसरे को जीवनभर पति और पत्नी के रूप में स्वीकार करते हैं। इसके साथ ही इस दौरान दुल्हा और दुल्हन, फैमिली मैंबर और रिश्तेदार एक दूसरे को विवाह की शुभकामनाएं भी देते हैं।
फूलों की वरमाला
विवाह की वरमाला फूलों से बनाई जाती है। जहां उत्तर भारत में लाल और सफेद फूलों की जयमाला अधिक देखने को मिलती है। वहीं साउथ इंडिया में गेंदे या नारंगी कलर के फूलों से बनी वरमाला ज्यादा पाई जाती है।