Maha Kumbh Magh Purnima Snan: प्रयागराज के संगम तट पर आज फिर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है. माघ पुर्णिमा की वजह से श्रद्धालु अपने पूरे परिवार के साथ पवित्र गंगा में डुबकी लगाने के लिए पहुंच रहे हैं.
Maha Kumbh Magh Purnima Snan: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन दुनिया भर के सबसे बड़े धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजनों में से एक है. हर 12 साल में एक बार यह मेला प्रयागराज में आयोजित होता है, और इसमें स्नान करने का विशेष महत्व है. महाकुंभ के दौरान कुछ खास तारीखों पर शाही स्नान किए जाते हैं, जिनमें माघ पूर्णिमा का स्नान विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है.
क्यों खास है माघ पूर्णिमा?
माघ पूर्णिमा, हिंदू का एक प्रमुख तिथि है, जो धार्मिक दृष्टि से बेहद शुभ माना जाता है. यह तारीख विशेष रूप से इसलिए महत्व रखती है क्योंकि इस दिन त्रिवेणी संगम पर स्नान करने से व्यक्ति की आत्मिक शुद्धि होती है और वह अपने जीवन के कष्टों से मुक्त होता है. इस दिन का स्नान विशेष रूप से महाकुंभ के शाही स्नान में शामिल होता है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु एक साथ संगम में डुबकी लगाते हैं.
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महाकुंभ में शाही स्नान का महत्व
यहां बता दें कि महाकुंभ के दौरान माघ पूर्णिमा का स्नान विशेष रूप से लाभ देने वाला माना जाता है. यह दिन महाकुंभ का 5वां शाही स्नान होता है, जो 12 फरवरी 2025 को होगा. धार्मिक मान्यताओं की मानें तो माघ पूर्णिमा के दिन देवी-देवता पृथ्वी पर आते हैं और त्रिवेणी संगम में स्नान करके अपना तप करते हैं. इस दिन स्नान करने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसके अलावा, इस दिन किए गए दान और तप भी बेहद फलदायी माने जाते हैं.
माघ पूर्णिमा पर क्या है स्नान का समय?
गौरतलब है कि माघ पूर्णिमा की तिथि 11 फरवरी 2025 को शाम 6:55 बजे से शुरू होकर 12 फरवरी 2025 को शाम 7:22 बजे तक रहेगी. उदयातिथि के मुताबिक 12 फरवरी को माघ पूर्णिमा का दिन रहेगा. इस दिन विशेष रूप से स्नान के लिए शुभ समय सुबह 05:19 से 06:10 तक रहेगा. इस समय का लाभ लेकर श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाकर अपने सभा पापों से मुक्ती पा सकते हैं.
दान का भी है विशेष महत्व
माघ पूर्णिमा के दिन दान का भी बहुत महत्व है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन सुबह जल्दी उठकर ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए. ऐसा करने से उन्नति, पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन अन्न, धन, तिल, गुड़ और घी का दान करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है. इसके अलावा, पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान का आयोजन भी किया जाता है. इस दिन गरीबों को भोजन कराने से विशेष लाभ मिलता है.
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