भारत के एक मंदिर में हनुमान जी का पूजन एक देवी के रूप में किया जाता है. ये मंदिर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से 25 किलोमीटर की दूरी पर गिरजाबंध में स्थित है. यहां पर हनुमान जी को पूजन के दौरान सोलह शृंगार चढ़ाया जाता है.
22 March 2024
Hanuman Mandir: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के पास संकटमोचन हनुमान जी का एक ऐसा मंदिर है जो अपने चमत्कार और रहस्यों के लिए जाना जाता है. इस मंदिर में हनुमान जी का पूजन एक देवी के रूप में किया जाता है. ये मंदिर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से 25 किलोमीटर की दूरी पर गिरजाबंध में स्थित है. मान्यतानुसार, जहां स्त्री के रूप में हनुमान जी का पूजन किया जाता है, ये दुनिया का इकलौता मंदिर है. यहां पर हनुमान जी को पूजन के दौरान सोलह शृंगार चढ़ाया जाता है. चलिए जानते हैं हनुमान जी के नारी स्वरूप वाला मंदिर कौन सा है.
धार्मिक मान्यताएं
मान्यतानुसार, छत्तीसगढ़ में मौजूद इस मंदिर में हनुमानजी प्रकट हुए थे. ऐसा माना जाता है कि, द्वारिकापुरी से राम भक्त हनुमान रोजाना इस मंदिर की फेरी लगाने आते हैं. देशभर के लोगों के लिए ये मंदिर आस्था का केंद्र बना हुआ है. यहां देश-विदेश से लोग आते हैं संकटमोचन का पूजन और दर्शन करते हैं. धार्मिक मान्यतानुसार, जो व्यक्ति इस मंदिर में पूजा करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
कौन थे राजा पृथ्वी देवजू
बिलासपुर से 25 किमी दूर गिरजाबंध में मौजूद संकटमोचन हनुमान की मूर्ति लाखों साल पुरानी है. मान्यतानुसार, पृथ्वी देवजू नाम के राजा के द्वारा इस मंदिर को बनवाया गया था. वो रामभक्त हनुमान के बहुत बड़े भक्त थे और उनमें आस्था रखते थे. पृथ्वी देवजू कुष्ठ रोग से पीड़ित थे, उन्होंने कई सालों तक रतनपुर पर राज किया.
कैसे बना मंदिर
मान्यतानुसार, राजा को एक बार सपने में हनुमान जी ने दिखाई दिए, जिसमें उन्होंने राजा को मंदिर बनवाने का निर्देश दिया था. फिर मंदिर को बनवाने का कार्य शुरु हुआ. मंदिर पूरा बनने ही वाला था कि, उस दौरान राजा को एक बार और सपने में हनुमानजी दिखाई दिए. तब राजा को उन्होंने मूर्ति को महामाया कुंड से निकालकर मंदिर में स्थापिक करने के निर्देश दिए.
फिर हनुमान जी के निर्देशों का पालन करते हुए राजा पृथ्वी देवजू ने मूर्ति को कुंड से निकलवाया. उस दौरान जब मूर्ति को कुंड से निकाला गया था तो उसका स्वरूप एक स्त्री जैसा था. फिर पूरे विधि-विधान से राजा पृथ्वी देवजू ने मूर्ति की स्थापना कराई. मूर्ति स्थापना के बाद राजा कुष्ठ रोग से मुक्त हो गया.
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