प्रयागराज में संगम तट पर मौजूद हनुमानजी का मंदिर भी है. यहां पर स्थित संकटमोचन हनुमान की मूर्ति देश ही नहीं दुनियाभर में चर्चित है. सामान्य तौर पर मंदिरों में हनुमानजी की प्रतिमा खड़ी दिखाई देती है, वहीं इस मंदिर में संकटमोचक की प्रतिमा लेटी हुई है.
27 March 2024
Lete Hanuman Mandir: देश में कई ऐसे मंदिर हैं, जो आस्था का केंद्र बने हुए हैं. उन्हीं में से एक प्रयागराज में संगम तट पर मौजूद हनुमानजी का मंदिर भी है. यहां पर स्थित संकटमोचन हनुमान की मूर्ति देश ही नहीं दुनियाभर में चर्चित है. सामान्य तौर पर मंदिरों में हनुमानजी की प्रतिमा खड़ी दिखाई देती है, वहीं इस मंदिर में संकटमोचक की प्रतिमा लेटी हुई है. इस मंदिर को लेटे हनुमान जी, बांध वाले हनुमान जी और किले वाले हनुमान जी आदि नामों से भी जाना जाता है. चलिए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी अनोखी बातें.
पौराणिक कथाएं
पौराणिक कथा के अनुसार, संकटमोचक श्री हनुमान जब लंका को जीतने के बाद प्रयागराज के संगम से गुजर रहे थे तो वह थोड़ी थकान महसूस करने लगे. इस दौरान हनुमान जी ने वहां मां सीता के कहने पर थोड़ी देर आराम किया. इस वजह से भी यहां पर हनुमान जी की लेटी हुई प्रतिमा की पूजा की जाती है.
एक दूसरी कथा के अनुसार, एक धनी व्यापारी कई सालों पहले हनुमान जी की इस मूर्ति को नाव से लेकर कहीं जा रहा था, उसी दौरान नाव संगम तट पर पहुंच गई, जिससे मूर्ति नीचे गिर गई. इसके बाद हनुमानजी की मूर्ति को व्यापारी ने खुद उठाने का प्रयास किया, लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाया. ऐसा कहा जाता है कि उसी रात हनुमान जी ने व्यापारी को सपने में दर्शन दिए और कहा कि वो संगम पर ही निवास करना चाहते हैं. इसके बाद मूर्ति को व्यापारी ने वहीं छोड़ दिया.
मान्यताएं
मान्यता के अनुसार जो व्यक्ति संगम का पूरा पुण्य प्राप्त करना चाहता है उसको संगम में लेटे हुए हनुमानजी के दर्शन जरूर करने चाहिए. मंगलवार और शनिवार के दिन इस मंदिर में दर्शन के लिए श्रृद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति यहां दर्शन करने आता है. संकटमोचक उनके सभी कष्टों का नाश करके उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.
विशेषताएं
इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां हनुमान जी की लेटी हुई प्रतिमा ने अपनी एक भुजा में अहिरावण और दूसरी भुजा में बाकी के राक्षसों को पकड़ा हुआ है. साथ यहां की एक खास बात और है वह यह है कि गंगा जी हर साल अगस्त के महीने इस मंदिर में प्रवेश करती है जिससे हनुमान जी की मूर्ति गंगा जल में पूरी तरह से डूब जाती है. मान्यतानुसार, यहां गंगा माता हनुमान जी को हर साल स्नान कराने आती हैं.
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