Home Religious Pitru Paksha 2024: आखिर गया में ही क्यों किया जाता है पिंडदान? जान लीजिए इसके पीछे की वजह

Pitru Paksha 2024: आखिर गया में ही क्यों किया जाता है पिंडदान? जान लीजिए इसके पीछे की वजह

by Pooja Attri
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Pitru Paksha 2024: आखिर गया में ही क्यों किया जाता है पिंडदान? जान लीजिए इसके पीछे की वजह

Pitru Paksha 2024: क्या आप जानते हैं देव नगरी गया में पिंडदान की विशेष महत्ता है. आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह और कैसे हुई थी इसकी शुरुआत.

10 September, 2024

Pitru Paksha 2024: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2024) का खास महत्व है. दरअसल, साल के 15 दिन पितरों को समर्पित किए जाते हैं. इस दौरान लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2024) की शुरुआत इस साल 17 सितंबर से होने वाली है. लेकिन क्या आप जानते हैं देव नगरी गया में पिंडदान (Pind Daan History) की विशेष महत्ता है. आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह और कैसे हुई थी इसकी शुरुआत.

ये है गया में पिंडदान की वजह

पौराणिक कथानुसार, एक गयासुर नाम का असुर भगवान विष्णु का भक्त था. गयासुर की भक्ति से प्रसन्न होकर श्रीहरि विष्णु ने उसे पवित्र होने का वरदान दिया. पुराने समय में एक मान्यतानुसार, जो व्यक्ति गयासुर के दर्शन करता था उसके सारे पाप नष्ट हो जाते थे और मरने के बाद स्वर्ग की प्राप्ति हो जाती थी.

इससे स्वर्ग काफी अव्यवस्थित हो गया जिससे देवी-देवता चिंता में आ गए. इस स्थिति को देखते हुए देवी-देवताओं ने गयासुर (Pind Daan in Gaya) से किसी पवित्र जगह पर यज्ञ करने की इच्छा जताई. गयासुर इस बात को सुनकर धरती पर लेट गए और वहीं देवी-देवता उनके शरीर पर यज्ञ करने लगे. गयासुर का शरीर यज्ञ के दौरान स्थिर रहा. सभी देवता ऐसा होता हुआ देखकर भगवान विष्णु के पास गए और गयासुर की भक्ति से मुक्ति दिलाने की इच्छा जाहिर की.

इसके बाद श्रीहरि विष्णु गयासुर के शरीर में विराजमान हो गए. तब भगवान विष्णु ने गयासुर से वर मांगने को कहा. फिर गयासुर ने कहा प्रभु आप अनंत काल तक इसी स्तान पर विराजमान रहें. गयासुर की इस बात को सुनकर श्रीहरि भाव में डूब गए और गयासुर का शरीर पत्थर बन गया.

इससे होती है मोक्ष की प्राप्ति

इसके बाद भगवान विष्णु ने कहा कि जो व्यक्ति सच्चे मन से अपने पितरों का पिंडदान गया में करेगा, उसके पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होगा. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने त्रेता युग में फल्गु नदी पर अपने पिता दशरथ का पिंडदान किया था. तभी से पितरों का पिंडदान गया में करने की प्रथा चली आ रही है.

यह भी पढ़ें: Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष के दौरान भूलकर भी नहीं करना चाहिए इन चीजों का दान, दुखों से भर जाएगा जीवन !

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