11 Feb 2024
रविवार का दिन ग्रहों के राजा सूर्य देव को समर्पित होता है। इसलिए इस दिन सूर्य देव की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में रविवार के दिन सूर्य को जल चढ़ाने का बेहद महत्व है। धार्मिक मान्यतानुसार जो लोग रोजाना सुबह जल्दी उठकर और नहा-धोकर सूर्य देव का पूजन करते हैं, उनके जीवन की सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं और किस्मत चमकने लगती है। इसके साथ ही कुंडली से सूर्य दोष दूर हो जाता है। वहीं, सूर्य को जल चढ़ाते समय शरीर पर सूर्य की किरणे पड़ने से कुंडली में नवग्रह मजबूत होते हैं। लेकिन सूर्य को जल चढ़ाते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद आवश्यक है। जानते हैं सूर्य देव को जल चढ़ाने के नियम…
सूर्य को जल चढ़ाने के नियम
- सूर्य को जल हमेशा तांबे के लौटे में चढ़ाएं और उसमें फूल या चावल या रोली जरूर डालें।
- जल चढ़ाते समय लौटे को दोनों हाथों से पकड़ें।
- जब आप जल चढ़ाएं तो सूर्य की किरणों की धार दिखाई अवश्य दें।
- ध्यान रहे पूर्व दिशा में मुंह करके ही सूर्य को जल चढ़ाएं।
- जल चढ़ाते समय सिर ऊपर रहना चाहिए।
न करें ये गलतियां
- सूर्य को जल चढ़ाते समय जल पैरों को स्पर्श न करे।
- भूलकर भी चांदी, स्टील, प्लास्टिक या कांच के बर्तन से जल न चढ़ाएं।
सूर्य देव मंत्र
जब आप सूर्य देव को जल चढ़ाएं तो, इस मंत्र ‘ॐ सूर्याय नमः ॐ खगाय नमः ॐ भास्कराय नमः ॐ रवये नमः ॐ भानवे नमः ॐ आदित्याय नमः’ का जाप करें। ऐसा नियमित करने से आपकी कुंडली में मौजूद सूर्य दोष और अन्य दोष खत्म हो जाते हैं।