Introduction
Mahakumbha 2025 : महाकुंभ का आयोजन 12 वर्ष में एक बार किया जाता है और यह धर्म की आस्था का सबसे बड़ा संगम है. इसे पूर्णकुंभ के नाम से भी जाना जाता है. पूरी दुनिया में प्रसिद्ध मेला श्रद्धालु, साधु-संतों और गृहस्थ लोगों को काफी आकर्षित करता है. कुंभ मेले का आयोजन नासिक, हरिद्वार और उज्जैन में आयोजित किया जाता है और महाकुंभ का आयोजन केवल उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में ही किया जाता है. महाकुंभ का महत्व सिर्फ धार्मिक तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक है. इसके अलावा प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन होने का एक कारण यह भी है कि यहां पर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम होता है और इसे त्रिवेणी संगम भी कहा जाता है.
वहीं, धार्मिक मान्यता यह भी है कि महाकुंभ के समय जब कोई श्रद्धालु, साधु-संत इस संगम में स्नान करता है तो उसको मोक्ष प्राप्त हो जाता है और उसके द्वारा किए गए धरती पाप खत्म हो जाते हैं. यही वजह है कि धार्मिक-सांस्कृतिक और सामाजिक महाकुंभ में देश-विदेश के श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं और शाही स्नान करने के बाद भगवान शिव की अराधना करते हैं. इसी बीच प्रयागराज में अगले साल से महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है, जिसके लिए योगी सरकार ने कमर कस ली. साथ ही महाकुंभ के लिए केंद्र और राज्य मिलकर महाकुंभ को दिव्य, भव्य और सुरक्षित आयोजन की तैयारी चल रही है. इसी क्रम में भारतीय रेलवे भी महाकुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं को विश्वस्तरीय सुविधा देने का शानदार प्रबंध कर रहा है. जहां त्रिवेणी संगम के पास टेंट सिटी, महाकुम्भ ग्राम का निर्माण किया गया है. इसी कड़ी में भव्य तैयारियों के लिए विभिन्न प्रकार के इंतजाम किए गए हैं, जिसे नीचे क्रमबद्ध तरीके विस्तार से लिखा गया है.
Table of Content
- विभिन्न प्रकार के होंगे कार्यक्रम
- 1,249 किलोमीटर लंबी बिछेगी लाइन
- QR कोड स्कैन करके मिलेगी कुंभ की सूचना
- सुरक्षा के स्तर पर तकनीक का होगा इस्तेमाल
- श्रद्धालु डोम सिटी का ले सकेंगे आनंद
- संगम की रेती पर होंगे विश्वनाथ के दर्शन
- स्पेशल थीम पर सजेंगे घाट
विभिन्न प्रकार के होंगे कार्यक्रम
महाकुंभ के लिए योगी सरकार के अलग-अलग डिपार्टमेंट अपने स्तर पर महाकुंभ की तैयारियों में लगे हुए हैं. इस दौरान विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाएगा. जहां पर गीत-संगीत, नृत्य, कविताओं समेत हाथी, घोड़े और रथों पर अखाड़ों का पारंपरिक जुलूस होगा और कई कलाकारों को वैश्विक मंच दिया जाएगा. प्रयागराज महाकुंभ 2025 में भारत की विविध और समृद्ध संस्कृतियों का अभूतपूर्व संस्कृतियों का संगम देखने को मिलेगा. वहीं, उत्तर प्रदेश में संगम के किनारे 4 हजार हेक्टेयर में आयोजित होने वाले महाकुंभ में करीब 45 करोड़ श्रद्धालुओं के जुटने की उम्मीद है. इस आयोजन के लिए अनुमानित बजट 6,382 करोड़ अलॉट किया गया है, जिसमें से 5,600 करोड़ रुपये आयोजन से संबंधित योजनाओं के लिए अलग रख दिए गए ताकी कई परियोजनाओं को पूरा करके संगम के आसपास सुविधाएं दी जा सकें.
1,249 किलोमीटर लंबी बिछेगी लाइन
उत्तर प्रदेश जल निगम ने महाकुंभ वाले एरिया में पीने वाले पानी की सप्लाई के लिए 1,249 किलोमीटर लंबी लाइन बिछाने का फैसला लिया है. साथ ही 200 वाटर एटीएम और 85 वाटर पंप लगाने को लेकर भी मंजूरी दी गई. वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि सुरक्षा और सुविधाओं की लगातार समीक्षा बैठक होती रहनी चाहिए, इसके बाद संबंधित विभाग को सूचना देना जरूरी होगा. सीएम योगी का स्पष्ट कहना है कि आयोजन इतना भव्य और दिव्य होना चाहिए कि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु उत्तर प्रदेश से अच्छा अनुभव लेकर जाएं. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि महाकुंभ राज्य के लिए एक बड़ा अवसर है जहां से राज्य को काफी लाभ मिल सकता है.
QR कोड स्कैन से करके मिलेगी कुंभ की सूचना
महाकुंभ को भव्य, दिव्य और नव्य बनाने के लिए प्रशासन ने चार रंगों के क्यूआर कोड दिए हैं, जहां पर श्रद्धालु महत्वपूर्ण जानकारी को एकत्रित कर सकते हैं. माना जा रहा है कि तकनीकी स्तर पर ऐसे इनोवेशन श्रद्धालुओं को एक नया अनुभव प्रदान करेंगे. धार्मिक और आधुनिकता के समावेश से यह महाकुंभ लोगों को सुलभ और यादगार बनाने का काम करेगा. नारंगी रंग का क्यूआर कोड को स्कैन करने पर उत्तर प्रदेश की उपलब्धियों के बारे में जानकारी मिलेगी, आसमान रंग के QR ड से होटल में ठहरने के बारे में पता चलेगा, लाल रंग के QR कोड से आपातकाल सेवा मुहैया कराई जाएगी और धानी रंग के QR कोड से महाकुंभ प्रशासन ने जो व्यवस्था की है उसके बारे में विस्तार से सूचना मिलेगी. यह चारों क्यूआर कोड महाकुंभ वाले क्षेत्र के अलावा प्रदेश के अन्य स्थानों पर भी चिपकाएं गए हैं ताकि देश के विभिन्न स्थानों से आने वाले श्रद्धालुओं को किसी समस्या का सामना न करना पड़े और वह इसके माध्यम से कुंभ का शांति से आनंद ले सकें.
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सुरक्षा के स्तर पर तकनीक का होगा इस्तेमाल
महाकुंभ मेले में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए योगी सरकार सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम में जुट गई है. इसी कड़ी में सरकार ने अंडरवाटर ड्रोन तैनात करने का फैसला लिया है. यह ड्रोन 24 घंटे नदी में रहकर हर एक्टिविटी पर कड़ी निगरानी रखेंगे. इस ड्रोन की खास बात यह है कि घने अंधेरे में भी अगर कोई शख्स नदी में डूब जाता है तो उसे खोजने में अधिकारियों को काफी मदद मिलेगी. इसके अलावा यह पानी की 100 मीटर तक गहराई में जाकर आसानी से क्लियर पिक्चर भेजने में सफल है. वहीं, डीप ट्रेकर के संस्थापक जय त्रिवेदी ने ड्रोन की खासियत बताते हुए कहा कि इसमें फोर-के कैमरा के अलावा इनहांस कैमरा भी लगा हुआ है जिसके माध्यम से गंदे पानी में साफ विजुअल्टी दिखाने में सक्षम है. उन्होंने आगे कहा कि अगर कोई श्रद्धालु पानी में डूब जाता है तो 30 सेकेंड में इसको डिप्लॉय करके उसको ढूंढा जा सकता है और गोताखोर की मदद से समय पर उसे निकाला जा सकता है.
श्रद्धालु डोम सिटी का ले सकेंगे आनंद
महाकुंभ नगर के अरैल एरिया में टूरिज्म डिपार्टमेंट एक निजी कंपनी के सहयोग से डोम सिटी तैयार कर ली गई है. इस सिटी गंगा तट पर ही तैयार किया गया है और यह आधुनिकता, भव्यता और अध्यात्म का समावेश होगा. 51 करोड़ की लागत से तैयार हो रही डोम सिटी में रुकने वाले लोगों को ऐसा लगेगा कि वह किसी हिल स्टेशन पर रुके हुए हैं. इस सिटी में डोम के आकार में 176 कॉटेज बनाए गए हैं जिनमें एयर कंडीशनर से लेकर गीजर तक सारी सुविधाएं दी गई हैं. साथ ही इसमें श्रद्धालुओं को सात्विक भोजन भी परोसा जाएगा. दरअसल, वीआईपी लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए डोम सिटी में 44 कॉटेज बुलेटप्रूफ भी बनाए गए हैं. इस पूरी सिटी को लेकर टूरिज्म डिपार्टमेंट ने कहा कि अत्याधुनिक सुविधाओं और सात्विक अनुभवों से परिपूर्ण सिटी में आपका स्वागत है.
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संगम की रेती पर होंगे विश्वनाथ के दर्शन
देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं पर श्री काशी विश्वनाथ बाबा की कृपा बरसेगी. गंगा नदी के किनारे मोरी मार्ग और संगम लोअर चौराहा के करीब काशी विश्वनाथ मंदिर 108 फीट ऊंची प्रतिकृति तैयार की जा रही है. बताया जा रहा है कि मंदिर निर्माण का उद्देश्य है कि गंगा स्नान के साथ ही संगम की रेती पर ऐसा महसूस हो कि वह साक्षात काशी में पहुंच गए हैं. एक तरफ संगम में स्नान और दूसरी ओर बाबा काशी के दर्शन से श्रद्धालु चौतरफा भक्तिमय हो जाएंगे. मंदिर का मॉडल तैयार करने के लिए पश्चिम बंगाल से कारीगरों को बुलाया गया है और वह बारीकी से बाबा काशी का धाम तैयार कर रहे हैं. इस धाम को तैयार करने में करीब 12 हजार बल्लियों का इस्तेमाल किया जा रहा है और 9 हजार फीट सुनहरे कपड़े से साज-सजावट की जाएगी. इसमें प्रवेश करने के लिए तीन द्वार तैयार किए गए हैं और 50 हजार से ज्यादा श्रद्धालु महामणि स्फटिक शिवलिंग अभिषेक और दर्शन कर सकेंगे.
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स्पेशल थीम पर सजेंगे घाट
45 दिन तक चलने वाले महाकुंभ की भव्यता को बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित की जा रहे हैं. इसी कड़ी में पवित्र घाटों को आस्था और आध्यत्म की थीम पर सजाया गया है. संगम पर मुख्य पांच घाट हैं जिसमें संगम घाट, अरैल घाट, राम घाट, दशाश्वमेध घाट और लक्ष्मी घाट शामिल है. अरैल मार्ग पर पेड़ों में कलाकृतियों को उकेरा गया है और शास्त्री नगर के पुल पर भगवान शिव की कलाकृति को बनाया गया है. इसके अलावा महाकुंभ में श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने के लिए रोडवेज की ओर से चलने वाली 7 हजार बसों में GPS डिवाइस और पैनिक बटन से लैस किया गया है. इसके माध्यम से यात्रियों की लोकेशन से उनके परिवार वाले ट्रेस करके बंस नंबर से पता कर सकेंगे. वहीं, किसी की तरह समस्या आने पर महिला यात्री पैनिक बटन दबाकर आसानी सहायता ले सकेंगी.
Conclusion
महाकुंभ 2025 को दिव्य, भव्य और नव्य बनाने के लिए केंद्र और प्रदेश सरकार तैयारियों में जुटी हुई हैं. साधु-संतो और महाराज से लेकर देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कई स्तरों पर इंतजाम किए गए हैं. सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम के लिए NDRF, CRPF के अलावा AI पर आधारित CCTV कैमरों, ड्रोन व एंटी ड्रोन सिस्टम का इस्तेमाल किया जाएगा. दूसरी तरफ कई प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे जहां युवा कलाकारों को एक मंच दिया जाएगा और वह नृत्य, गीत-संगीत के साथ पारंपरिक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होगा. बता दें कि 13 जनवरी से शुरू होने जा रहा महाकुंभ 45 दिनों तक चलेगा. कुंभ में 6 प्रकार के स्नान किए जाएंगे. पौष पूर्णिमा पर पहला शाही स्नान किया जाएगा और 26 फरवरी को अंतिम शाही स्नान के साथ महाकुंभ का समापन होगा जाएगा. इस दौरान साधु-संतों का भारी जमावड़ा नजर आएगा.
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