Pakistan Katas Raj Temple: 100 से अधिक तीर्थयात्री महाशिवरात्रि के अवसर पर श्री कटास राज मंदिर में पूजा करने के लिए पहुंचे हैं.
Pakistan Katas Raj Temple: भारत से 100 से अधिक हिंदू सोमवार को पाकिस्तान पहुंचे. दरअसल, 100 से अधिक तीर्थयात्री महाशिवरात्रि के अवसर पर श्री कटास राज मंदिर में पूजा करने के लिए पहुंचे हैं. सभी तीर्थयात्री बाघा बॉर्डर के रास्ते पाकिस्तान के दूसरे सबसे बड़े शहर और पाकिस्तान के प्रांत पंजाब की राजधानी लाहौर पहुंचे हैं. लाहौर से वह कटास राज मंदिर के लिए रवाना हो गए.
लाहौर से 282 km दूर है मंदिर
बता दें कि कटास राज मंदिर लाहौर से 282 km दूर कटस इलाके में स्थित है. कटस गांव चकवाल जिले से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर है. कटस में ही एक पहाड़ी पर स्थित है पांच हजार साल पुराना और भगवान शिव को समर्पित कटास राज मंदिर. पाकिस्तान में वैसे तो कई हिंदू मंदिर स्थित हैं, लेकिन कटास राज मंदिर की पौराणिक मान्यताएं अधिक मानी जाती हैं.
हर साल हिंदू तीर्थ यात्री हजारों की संख्या में महादेव के दर्शन करने पहुंचते हैं. मंदिर को लेकर पुराणों में दावा किया जाता है कि इसे महाभारत काल में बनाया गया था. मंदिर बहुत बड़े इलाके में फैला हुआ है, जिसे लेकर कहा जाता है कि परिसर में सात से ज्यादा छोटे-बड़े अन्य मंदिर भी हैं, जो सात ग्रहों को समर्पित है.
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मंदिर का पौराणिक इतिहास भगवान शिव के आंसुओं और महाभारत काल के समय में पांडवों के वनवास से जुड़ा है. माना जाता है कि मंदिर परिसर में स्थित तालाब भगवान शिव के आंसुओं से बना है. दरअसल, अपनी पत्नी सती की मृत्यु के बाद भगवान विलाप करने लगे. उनके आंसुओं से ही दो तालाब निर्मित हो गए. इनमें से एक कटास राज में है और दूसरा भारत के राजस्थान के पुष्कर में स्थित है.
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युधिष्ठिर से भी जुड़ी है कहानी
पाकिस्तान के कटास राज मंदिर के तालाब को कटाक्ष कुंड भी कहते हैं. महाभारत काल को लेकर दावा किया जाता है कि सभी पांडव भाई 12 साल के वनवास के समय भटक रहे थे. प्यास से व्याकुल पांडव कटाक्ष कुंड के पास जल लेने गए. इस कुंड पर यक्ष का अधिकार था और जो भी जल लेने आता वह उससे प्रश्न पूछते थे.
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इसी क्रम में पांडव से भी उन्होंने प्रश्न पूछे. सही जवाब न देने पर भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव मूर्छित हो गए. इसके बाद युधिष्ठिर ने यक्ष के सभी प्रश्नों का सही जवाब दिया. युधिष्ठिर के उत्तर से प्रसन्न होकर यक्ष ने सभी पांडवों की चेतना लौटा दी और जल लेने की अनुमति दे दी. इसके साथ ही बौद्ध और हिंदू शाही वंश के दौरान भी मंदिर में कुछ निर्माण किए हैं. मंदिर में गुरुद्वारा के भी अवशेष हैं, जिन्हें लेकर कहा जाता है कि गुरु नानक देव ने अपनी यात्रा के दौरान निवास किया था.
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तमाम सर्वे के आधार पर कटास राज मंदिर की स्थापत्य कला कश्मीरी मानी गई है. बता दें कि इन्हीं पौराणिक महत्व के कारण हर साल अलग-अलग अवसरों पर हिंदू तीर्थयात्री इस मंदिर में धार्मिक अनुष्ठान के लिए एकत्रित होते हैं. शिवरात्रि पर सबसे ज्यादा भीड़ देखी जाती है. माना जाता है कि इस तालाब में स्नान करने से व्यक्ति पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की भी प्राप्ती होती है.
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