Maha Kumbh 2025 : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आस्था का महाकुंभ 13 जनवरी से शुरू होने वाला है. इस बीच कई किस्से सामने आ रहे हैं. हाल में जूना अखाड़े में 13 साल की लड़की शामिल हुई है.
Maha Kumbh 2025 : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आस्था का महाकुंभ 13 जनवरी से शुरू होने वाला है. इसे लेकर तैयारियों जोरों पर हैं. इस बीच आए दिन महाकुंभ को लेकर कई किस्सा सामने आ रहे हैं. इस कड़ी में एक 13 वर्षीय लड़की जिसे हाल में जूना अखाड़े में ‘संन्यासिन’ बनने के लिए भर्ती कराया गया था. इसे लेकर काफी बवाल खड़ा हुआ जिसके बाद से उसे इस आधार पर निष्कासित कर दिया गया था, कि मठ में उसका प्रवेश नियमों के खिलाफ था. जूना अखाड़े ने इसे नियम के विरुद्ध बताते हुए महंत कौशल गिरि को 7 वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया. लड़की को अस्वीकार करते हुए उसे सम्मान के साथ उसके माता-पिता के साथ घर भेज दिया. आपको बता दें कि 6 जनवरी को जूना अखाड़ा के महंत कौशल गिरि को आगरा के एक व्यवसायी ने अपनी बेटी दान कर दिया था.
निष्कासित हुए महंत कौशल गिरी
बेटी राखी सिंह चाहती थी कि वह साध्वी बने जिसके लिए उसके माता-पिता ने उसे गुरु महंत कौशल गिरी को दान दे दिया था, जिन्होंने लड़की को ‘संन्यास’ दिया था. लड़की को अखाड़े में ले जाना नियमों के खिलाफ था जिसके बाद से उन्हें निष्कासित कर दिया गया था. जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता श्री महंत नारायण गिरि ने शनिवार को समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि लड़की नाबालिग है और अखाड़े में उसका प्रवेश उन नियमों के खिलाफ है. नियमों की मानें तो 25 साल से कम उम्र की महिलाओं को अखाड़े में प्रवेश की अनुमति नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि एक नाबालिग लड़की के अखाड़े में शामिल होने के मामले पर आम बैठक में चर्चा की गई श्री महंत नारायण गिरि ने कहा कि सर्वसम्मति से लड़की को अखाड़े से बाहर करने और एक नाबालिग लड़की को प्रवेश देने के लिए महंत कौशल गिरि महाराज को 7 साल के लिए निष्कासित करने का निर्णय लिया गया. उन्होंने कहा कि लड़की को सम्मान के साथ उसके माता-पिता को सौंप दिया गया है.
क्या है जूना अखाड़े के नियम?
जूना अखाड़े के नियमों के अनुसार 25 वर्ष या उससे अधिक उम्र की महिला को प्रवेश दिया जाता है. यदि कोई माता-पिता किसी नाबालिग लड़के को जूना अखाड़े को दान देता है, तो उसे अखाड़े में प्रवेश दिया जाता है. बैठक में संरक्षक महंत हरि गिरि, अध्यक्ष श्रीमहंत प्रेम गिरि और अखाड़े के अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल हुए. बैठक में संतों ने कौशल गिरी की ओर से अखाड़े को बिना बताए नाबालिग लड़की को दान में लेने पर रोष जताया.
मां ने दिया बयान
लड़की की मां रीमा सिंह ने कहा था कि महंत कौशल गिरी महाराज पिछले 3 साल से भागवत कथा सुनाने के लिए उनके गांव आ रहे थे और यहीं उनकी 13 वर्षीय बेटी राखी सिंह ने गुरु जी से ‘दीक्षा’ ली थी. उसे अचानक सांसारिक सुखों के प्रति वैराग्य महसूस हुआ और बेटी राखी ने अपने माता-पिता से साध्वी बनने की इच्छा व्यक्त की. माता-पिता ने अपनी बेटी की इच्छा को भगवान की इच्छा माना और उसे जूना अखाड़े को सौंप दिया जिसके बाद से महंत कौशल गिरि ने उन्हें शामिल किया और उन्हें एक नया नाम दिया.
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