योगी सरकार किसानों का पूरा ख्याल रख रही है. धान खरीद का समर्थन मूल्य बढ़ाने के साथ-साथ किसानों को खरीद का पूरा भुगतान किया जा रहा है.
LUCKNOW: योगी सरकार किसानों का पूरा ख्याल रख रही है. धान खरीद का समर्थन मूल्य बढ़ाने के साथ-साथ किसानों को खरीद का पूरा भुगतान किया जा रहा है. क्रय केंद्रों पर कृषकों को कोई परेशानी न हो, सरकार ने इसका पूरा इंतजाम किया है. योगी सरकार ने धान खरीद में अपना पिछले वर्ष का रिकॉर्ड तोड़ दिया.
पिछले वर्ष की अपेक्षा खरीफ क्रय वर्ष 2024-25 में 3.90 लाख मीट्रिक टन अधिक धान की खरीद हुई. पिछले वर्ष 53.80 लाख मीट्रिक टन धान खरीद हुई थी, जबकि इस वर्ष यह बढ़कर 57.70 लाख मीट्रिक टन से अधिक हो गई. वहीं योगी सरकार ने 99 फीसदी से अधिक किसानों को भुगतान भी कर दिया. गत वर्ष से इस वर्ष किसानों को 117 रुपये प्रति कुंतल अधिक MSP दिया गया. वर्ष 2024-25 के लिए धान की बेतहाशा खरीद की गई. अब तक आठ लाख किसानों से 5770671.09 मीट्रिक धान की खरीद हो चुकी है. पिछले वर्ष (2023-24) तक इस अवधि तक 5380032.83 मीट्रिक टन धान की खरीद हुई थी.
पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 3.90 लाख मीट्रिक टन से अधिक की खरीद
पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 3.90 लाख मीट्रिक टन से अधिक की खरीद की जा चुकी है. किसानों को धान खरीद का निरंतर भुगतान किया जा रहा है. सरकार ने धान का समर्थन मूल्य 2300 रुपये व ग्रेड ए का 2320 रुपये प्रति कुंतल तय किया था. किसानों को धान की उतराई, छनाई व सफाई के मद में 20 रुपये प्रति कुंतल की दर से प्रतिपूर्ति भी की गई. उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों में किसानों द्वारा धान बिक्री के लिए खाद्य-रसद विभाग व अन्य क्रय एजेंसियों के कुल 4339 क्रय केंद्र निर्धारित किए गए हैं.
इस वर्ष बटाईदार किसानों द्वारा भी पंजीकरण-नवीनीकरण कराते हुए धान की बिक्री की गई. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहली अक्टूबर से 31 जनवरी तक धान खरीद हुई थी. पश्चिमी यूपी के बरेली, मुरादाबाद, सहारनपुर, आगरा, अलीगढ़, मेरठ, झांसी तथा लखनऊ संभाग के हरदोई, सीतापुर व लखीमपुर खीरी में भी धान खरीद की गई.वहीं पूर्वी उत्तर प्रदेश में पहली नवंबर से धान खरीद प्रारंभ हुई थी, जो 28 फरवरी तक चली. पूर्वी उप्र के अयोध्या, गोरखपुर, बस्ती, देवीपाटन, आज़मगढ़, वाराणसी, विंध्याचल, प्रयागराज, कानपुर, चित्रकूट व लखनऊ संभाग के लखनऊ, रायबरेली व उन्नाव जनपद में सुचारु रूप से धान खरीद हुई.
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- लखनऊ से राजीव ओझा की रिपोर्ट