उत्तर प्रदेश में मृतप्राय हो चुकी कांग्रेस में जान फूंकने की कवायद शुरू हो गई है.लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेसी बड़ी बेसब्री से नई कमेटी के गठन का इंतजार कर रहे हैं.
LUCKNOW: उत्तर प्रदेश में मृतप्राय हो चुकी कांग्रेस में जान फूंकने की कवायद शुरू हो गई है.लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेसी बड़ी बेसब्री से नई कमेटी के गठन का इंतजार कर रहे हैं. फिलहाल वाराणसी के रहने वाले अजय राय प्रदेश अध्यक्ष के रूप में सक्रिय होकर कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा रहे हैं.
मौजूदा समय में पार्टी की प्रदेश कमेटी से लेकर जिला व शहर कमेटी तक भंग है. जिलाध्यक्ष और शहर अध्यक्ष के लिए बाकायदा इंटरव्यू भी लिया जा चुका है. बावजूद इसके कमेटी की घोषणा नहीं हो पा रही है. पार्टी में चर्चा है कि आपसी सहमति न बन पाने के कारण प्रदेश कमेटी के पदाधिकारियों के नाम फाइनल नहीं हो पा रहे हैं. हालांकि दावा किया जा रहा है कि इसी माह कमेटी की घोषणा हो जाएगी. आइए देखते हैं यह रिपोर्ट
6 दिसंबर से भंग है यूपी की प्रदेश, जिला और शहर कमेटियां
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने विगत 6 दिसंबर 2024 को यूपी की प्रदेश, जिला और शहर कमेटियों को भंग कर दिया था. इस बारे में राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से पत्र जारी होते ही पूरे प्रदेश के कांग्रेसियों में खलबली मच गई थी. प्रदेश अध्यक्ष अजय राय को छोड़कर उनकी पूरी कमेटी भंग हो जाने के बाद नई कमेटी में अपनी जगह बनाने के लिए जोड़-तोड़ का सिलसिला भी शुरू हो गया. पुरानी कमेटी में अलग-अलग गुटों के लोग शामिल थे.
अपनी-अपनी पसंद के लोगों को शामिल कराने की होड़
पार्टी में ऐसी चर्चा थी कि आपसी तालमेल न हो पाने के कारण कमेटी को भंग किया गया है. ऐसे में नई कमेटी में शामिल किए जाने वाले चेहरों को लेकर प्रयासों का दौरा शुरू हो गया है. कुछ लोग इस बार प्रदेश अध्यक्ष अजय राय की पसंद के लोगों को कमेटी में स्थान मिलने की संभावना जता रहे हैं तो कुछ लोग इस बार भी अजय राय को पसंद न करने वाले नेताओं को दोबारा कमेटी में जगह मिलने को लेकर आश्वस्त हैं. पार्टी सूत्रों का दावा है कि इसी वजह से प्रदेश कमेटी का स्वरूप तय नहीं हो पा रहा है.
प्रदेश महासचिव और प्रदेश उपाध्यक्ष जैसे अहम पदों पर भी पेच
पेच प्रदेश महासचिव और प्रदेश उपाध्यक्ष जैसे अहम पदों पर तैनाती को लेकर भी फंसा है. एक बड़ी समस्या जातीय संतुलन साधने की भी है. क्योंकि प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय और प्रदेश अध्यक्ष अजय राय दोनों ही अगड़ी जाति से आते हैं. ऐसे में कमेटी में ज्यादा से ज्यादा एससी और ओबीसी वर्ग के नेताओं को जगह दिए जाने की संभावना जताई जा रही है. पूर्व मंत्री अजय राय को अनुसूचित जाति के पूर्व सांसद बृजलाल खाबरी को हटाकर प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था.
लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन होने पर मिली आशातीत सफलता से पार्टी उत्साहित तो हुई लेकिन विधानसभा के उपचुनाव में दोनों दलों का गठबंधन नहीं चल पाया. ऐसे में अब पार्टी एक बार फिर अपने पैरों पर खड़ा होने की जद्दोजहद में है. प्रदेश कमेटी की तरह ही जिला व शहर कमेटियों का इंतजार भी हो रहा है. जिला व शहर अध्यक्षों की तैनाती के लिए पार्टी ने अपने प्रदेश मुख्यालय पर बाकायदा इंटरव्यू लिया. इसके लिए जिलावार आवेदकों को अलग-अलग दिनों में बुलाया गया और चयन कमेटी के सामने पेश किया गया.
पूरे प्रदेश में पार्टी की गतिविधियां ठप पड़ीं
प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय, प्रदेश अध्यक्ष राय, कांग्रेस विधानमंडल की नेता आराधना मिश्रा मोना और पूर्व सांसद पीएल पुनिया समेत कुछ वरिष्ठ नेता इस चयन कमेटी में शामिल थे. चयन कमेटी में संबंधित इलाके के वरिष्ठ नेताओं और पूर्व जनप्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया था जो अपने-अपने इलाके की बैठकों में शामिल हुए. हालांकि अभी तक जिला और शहर अध्यक्षों का नाम भी तय नहीं हो पाया है. पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में आए दिन विभिन्न जिलों के कार्यकर्ता पहुंचते हैं .पार्टी के वर्तमान पदाधिकारी खासकर जिला व शहर अध्यक्ष कार्यवाहक के तौर पर काम संभाल रहे हैं. फिर भी पार्टी की गतिविधियां एक तरफ से ठप पड़ी हैं.
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लखनऊ से राजीव ओझा की रिपोर्ट