Sambhal News : चंदौसी में बावड़ी की खुदाई के पांचवें दिन प्रथम दिखने लगा है और इसके फर्श पर लाल रंग के पत्थर लगे हुए हैं. इसी बीच वहां पर ASI की एक टीम सर्वेक्षण करने पहुंची है.
Sambhal News : संभल के चंदौसी में बावड़ी की खुदाई का बुधवार को पांचवां दिन है और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की एक टीम बावड़ी का निरीक्षण करने पहुंची है. वहीं, बावड़ी की खुदाई में पांचवें की खुदाई के दौरान प्रथम तल दिखने लगा है और उसके फर्श में लाल रंग पत्थर लगे हैं. पूरे मामले पर चंदौसी नगर पालिका के कार्यकारी अधिकारी कृष्ण कुमार सोनकर ने बताया कि आज खुदाई का पांचवां दिन है, ASI की टीम यहां पर आई हुई है और टीम के लोग खुदाई कार्य की प्रगति का आकलन कर रहे हैं.
एक से दूसरे गलियारे की दूरी 19 मीटर
कृष्ण कुमार सोनकर ने कहा कि बावरी की खुदाई कब तक चलेगी यह कहना अभी थोड़ा मुश्किल होगा क्योंकि इस ढांचे पर जेसीबी मशीन नहीं चलाई जा सकती है. यही वजह है कि श्रमिकों से काम कराया जा रहा है. उन्होंने आगे कहा कि यह बावड़ी करीब 125-150 वर्ष पुरानी है और 400 वर्ग मीटर क्षेत्र में है. पिछले हफ्ते चंदौसी के लक्ष्मणगंज इलाके में खुदाई के दौरान इस बावड़ी का पता चला था. वहीं, ASI की टीम ने बावड़ी का पूरा निरीक्षण करवाया और फोटोग्राफी करने के दौरान पता चला कि एक गलियारे से दूसरे गलियारे की दूरी करीब 19 मीटर है.
ASI की टीम ने की फोटोग्राफी
सूत्रों के अनुसार, बावड़ी में कुछ जगहों पर प्लास्टर उखड़ा हुआ है. इसका निरीक्षण करने पहुंचीं ASI की टीम ने फोटग्राफी के बाद बावड़ी की मूल इंटों को देखने के बाद टीम ने अनुमान ने लगाया है कि यह बावड़ी करीब 170 साल पुरानी है. इसके अलावा ASI टीम को निरीक्षण के दौरान रानी की बावडी़ में 20 से ज्यादा छोटे-बड़े आले मिले है. साथ ही बावड़ी के नीचे 10 घुमावदार द्वार मिले हैं. साथ ही खंभों पर बनी नक्काशियां और आकृतियां भी 150 पहले का अनुमान लगाया जा रहा है. हालांकि फर्श में उपयोग होने वाले पत्थर को 200 साल पुरानी होने का अनुमान लगाया गया है.
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