Mahakumbh 2025: महाकुंभ में संगम किनारे विभिन्न राज्यों के 12 शानदार पैवेलियन सजकर तैयार हो गए हैं. उत्तर प्रदेश का महाकुंभनगर लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गया है.
Mahakumbh 2025: प्रयागराज. महाकुंभ के कैनवास पर देशभर की सांस्कृतिक विविधता का रंग चढ़ चुका है. संगम की रेत पर विभिन्न राज्यों के 12 शानदार पैवेलियन सजकर तैयार हो गए हैं.
उत्तर प्रदेश का महाकुंभनगर देश का केंद्र बन गया है.उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से देश विदेश में जाकर मंत्रियों ने खुद निमंत्रण बांटे हैं, जिसका व्यापक असर देखने को मिल रहा है. सरकार के ऐतिहासिक प्रयास से एक जगह पर ही एक साथ सभी राज्यों की सांस्कृतिक समृद्धि साफ देखी जा सकती है.
सेक्टर 7 में आपको नागालैंड का चांगलो, लेह का शोंडोल लोक नृत्य समेत दादरानगर हवेली, छत्तीसगढ़, गुजरात, एमपी, आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान की संस्कृति का संगम देखने को मिलेगा.
मध्य प्रदेश का आदिवासी भगोरिया नृत्य महाकुंभ को बना रहा और खास
मध्य प्रदेश का पैवेलियन इस बार जनजातीय भगोरिया नृत्य की आकर्षक प्रस्तुतियों के साथ दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर रहा है। यह नृत्य आदिवासी समुदायों की होली से पूर्व मनाए जाने वाले भगोरिया उत्सव का हिस्सा है,जिसमें रंग-बिरंगे परिधान,ढोल-मजीरे की गूंज और युवाओं का गुलाल से खेलते हुए नृत्य महाकुंभ को और भी खास बना रहा है. इस नृत्य के माध्यम से आदिवासी संस्कृति की गहरी जड़ें और उसे संरक्षित करने का संदेश भी दिया जा रहा है. यहां दस-दस दिन के अंतराल पर धार्मिक फिल्में भी दिखाई जा रही हैं.
वैदिक घड़ी बनी महाकुंभ का आकर्षण
मध्य प्रदेश मंडप में लगाई गई वैदिक घड़ी श्रद्धालुओं के आकर्षण का विशेष केंद्र बन गई है. यह दुनिया की पहली घड़ी है. इस वैदिक घड़ी का अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत वर्ष 29 फरवरी को उज्जैन में किया था. इसे पंडाल के बाहर ही स्थापित किया गया है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु सेक्टर 7 पहुंच रहे हैं.
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राजस्थानी भोजन की धूम
राजस्थान का पैवेलियन महाकुंभ में अपनी ऐतिहासिक धरोहर को लेकर दर्शकों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. यहां के पैवेलियन में राजस्थान के प्रसिद्ध किले हवा महल, जयगढ़, चित्तौड़ किला और विजय स्तंभ की झलकियां दिखाई जा रही हैं.
इसके अलावा यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मेहमाननवाजी भी इस पैवेलियन में खूब की जा रही है. जहां श्रद्धालुओं के लिए विशेष भोजन की व्यवस्था की गई है. जिसके लिए लोग कतार लगाकर भोजन का स्वाद लेते देखे जा सकते हैं. राजस्थान के लोक संगीत,नृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रम 45 दिनों तक लगातार चलेंगे.
छत्तीसगढ़ का छेरछेरा नृत्य बना रहा पहचान
गुजरात का गरबा,आंध्र प्रदेश का कुचिपुड़ी,उत्तर प्रदेश का जोगिनी नृत्य,उत्तराखंड का छोलिया और छत्तीसगढ़ का छेरछेरा नृत्य महाकुंभ के मंच पर अपनी विशेष पहचान बना रहे हैं। हर राज्य ने अपनी सांस्कृतिक धरोहर को अद्वितीय तरीके से प्रस्तुत किया है। दादरा नगर हवेली का मुखौटा नृत्य,नागालैंड का चांगलो और लेह लद्दाख का शोंडोल भी इस महाकुंभ की सांस्कृतिक धारा में रंग भर रहे हैं.
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