Home Latest BSP के संस्थापक Kanshi Ram की पुण्यतिथि, दलितों के नायक को Mayawati ने किया किया याद

BSP के संस्थापक Kanshi Ram की पुण्यतिथि, दलितों के नायक को Mayawati ने किया किया याद

by Divyansh Sharma
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Kanshi Ram Death Anniversary: कांशीराम की पुण्यतिथि पर Mayawati ने लोगों के लिए संदेश जारी करते हुए कहा कि गांधीवादी कांग्रेस, RSS-BJP, समाजवादी पार्टी उनकी हितैषी नहीं हैं.

Kanshi Ram Death Anniversary: दलित कर्मचारियों और अधिकारियों के हक के लिए काम करने वाले सबसे बड़े संगठन बामसेफ (BAMCEF-Backward And Minority Communities Employees Federation), डीएस-4 (दलित शोषित समाज संघर्ष समिति) और बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) के संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि गुरुवार को मनाई गई.

इस मौके पर बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.

पार्टी के सभी लोगों का जताया आभार

कांशीराम की पुण्यतिथि पर मायावती ने अपने X हैंडल पर पोस्ट कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा कि BAMCEF, DS-4 और BSP के जन्मदाता और संस्थापक बहुजन नायक कांशीराम को उनके परिनिर्वाण दिवस पर शत-शत नमन.

श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने उत्तर प्रदेश और देश भर में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने वाले पार्टी के सभी लोगों का आभार जताया. इसके बाद उन्होंने कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी समेत विपक्षी दलों पर भी निशाना साधा.

कांशीराम की पुण्यतिथि पर मायावती ने लोगों के लिए संदेश जारी करते हुए कहा कि गांधीवादी कांग्रेस, RSS-BJP, समाजवादी पार्टी उनकी हितैषी नहीं, बल्कि उनके आत्म-सम्मान और स्वाभिमान मूवमेन्ट की राह में बाधा है.

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पहले की सरकारें नहीं रही सच्ची देशभक्त

मायावती ने दावा किया कि अम्बेडकरवादी BSP लोगों की सही-सच्ची मंजिल है. BSP उन्हें मांगने वालों से देने वाला शासक वर्ग बनाने के लिए संघर्षरत है. यही आज के दिन का संदेश है.

मायावती ने कहा कि देश में करोड़ों लोगों के लिए गरीबी, बेरोजगारी, जातिगत भेदभाव, अन्याय-अत्याचार का लगातार तंग और लाचार जीवन जीने को मजबूर हैं.

उन्होंने आगे कहा कि इससे यही साबित होता है कि सत्ता पर अधिकतर समय काबिज रहने वाली कांग्रेस और BJP की सरकारें न तो सही से संविधानवादी रही हैं और न ही सच्ची देशभक्त.

इससे एक दिन पहले उन्होंने हरियाणा चुनाव पर भी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि परिणाम से स्पष्ट है कि जाट समाज के जातिवादी लोगों ने BSP को वोट नहीं दिया, जिससे BSP के उम्मीदवार कुछ सीटों पर थोड़े वोटों के अंतर से हार गए.

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