UP News : आवास विभाग ने तय किया है कि अवैध कॉलोनियां बसाने वाले लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. साथ ही ऐसे कॉलोनियों को बसाने से रोकने के लिए एक कमेटी भी गठित होगी.
UP News : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में शहरी और ग्रामीणों इलाकों में नगर-निगम की बिना प्रमीशन के अवैध कॉलोनियां बसाई जा रही हैं. यही वजह है कि शहर से सटे इलाकों में अवैध कॉलोनियों की संख्या बढ़ती जा रही है. ऐसी कॉलोनियां बिना प्रमीशन के बसा दी जाती हैं और उसके बाद वहां पर रहने वाले लोग सड़क, बिजली, पानी और सीवर जैसी अन्य सुविधाओं के लिए विकास प्राधिकरण और नगर निकायों का चक्कर लगाते हैं. बताया जा रहा है लखनऊ में ऐसी 241 कॉलोनियों को चिह्नित किया गया है. वहीं, पूरे प्रदेश में ऐसी कॉलोनियों की संख्या दो हजार से अधिक है.
मास्टर प्लान की बढ़ी मुश्किलें
राज्य में इतनी भारी संख्या में कॉलोनियां तब बसी हुई हैं जब 59 शहरों में विकास प्राधिकरण हैं. नियोजित विकास के लइए बनाए जाने वाले मास्टर प्लान के अनुसार निर्माण कार्य करा पाना काफी मुश्किल हो गया है. वहीं, इस तरह की कई शिकायत मिलने के बाद पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आवास विभाग को अवैध कॉलोनियों बसाने वाले लोगों पर शिकंजा कसने का निर्देश दिया. इसी कड़ी आवास विभाग ने भी प्लान बनाना शुरू कर दिया है और प्रस्तावित नीति में अवैध कॉलोनियां बसाने वाले गिरोह के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए विकास प्राधिकरण अधिनियम में संशोधन किया जाएगा. साथ ही कार्रवाई करते समय कुछ नई धाराएं भी जोड़ी जाएंगी.
कई लोगों की मिलीभगत से होता ऐसा काम
वहीं, आवास विभाग ने तय किया है कि अवैध कॉलोनियां बसाने वाले लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई, गिरफ्तारी, जुर्माना लगाने और अवैध कॉलोनी से संबंधित जमीनें जब्त करने का प्रावधान किया जाएगा. इसके अलावा अवैध कॉलोनियों को बसाने और रोकने के लिए जल्द प्रदेश में एक कमेटी को भी गठित किया जाएगा. इससे पहले भी अवैध कॉलोनियों को वैध करने और हटाने के लिए संबंधित नीतियों में संशोधन किया गया है. इसके बाद भी इंजीनियरों, प्राधिकरण और कॉलोनाइजरों की मिलीभगत की वजह से अवैध कॉलोनी बसाने खेल चल रहा है. अब एक बार फिर से अवैध कॉलोनियों पर अंकुश लगाने के लिए अधिनियम के प्रावधानों को और सख्त करके कॉलोनाइजरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की व्यवस्था की जा रही है.
कई विभागों की लेनी पड़ती है मंजूरी
विकास प्राधिकरण को मास्टर प्लान लागू करने के लिए शासन के आवास एवं शहरी नियोजन विभाग से आधिकारिक रूप से मंजूरी लेनी पड़ती है. हाल ही में संशोधन के लिए मास्टर प्लान को वापस लौटा दिया गया. मास्टर प्लान में आवासीय, व्यवसायिक, औद्योगिक और अन्य जरूरी उपयोग के अलावा हरित क्षेत्र के लिए भी जमीन आरक्षित की जाती है. मास्टर प्लान तैयार करने के मापदंड पहले से तय हैं. यह अलग बात है कि मास्टर प्लान के अनुसार निर्माण कार्य की निगरानी मुश्किल हो जाती है.
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