Protest Against Bhopal Gas Tragedy Toxic Waste: 31 दिसंबर को पीथमपुर के लिए रवाना किया गया. 12 कंटेनर जैसे ही पीथमपुर के लिए निकले, विरोध शुरू हो गया.
Protest Against Bhopal Gas Tragedy Toxic Waste: मध्य प्रदेश में तीन दिसंबर 1984 को हुई गैस त्रासदी के जख्म अभी भी हरे हैं. अब त्रासदी के 40 साल बाद जहरीले कचरे को जलाने को लेकर विवाद शुरू हो गया है. पीथमपुर भेजे गए यूनियन कार्बाइड के 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे को लेकर विरोध प्रदर्शन कर लोगों ने धार जिले में स्थित भस्मीकरण इकाई पर पथराव कर दिया. इसी भस्मीकरण इकाई में जहरीले कचरे को जलाया जाना है. ऐसे में बड़ा सवाल है कि लोग क्यों जहरीले कचरे को जलाने का विरोध कर रहे हैं.
भोपाल में ही जहरिला कचरा जलाने की मांग
दरअसल, पिछले साल 4 दिसंबर को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट से फटकार मिलने के बाद 29 दिसंबर को जहरीले कचरे को भोपाल से 250 किलोमीटर दूर पीथमपुर पहुंचाने की प्रक्रिया शुरू की गई. पीथमपुर गांव धार जिले में स्थित एक औद्योगिक नगर है. चार दिन तक इन कचरों को इकट्ठा किया गया और 31 दिसंबर को पीथमपुर के लिए रवाना किया गया. 12 कंटेनर जैसे ही पीथमपुर के लिए निकले विरोध शुरू हो गया.
सुरक्षा और विरोध को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस की तैनाती की गई. इस कचरे को जलाने का विरोध कर लोगों का कहना है कि पीथमपुर में जलाने से उनके लिए समस्याएं होंगी. स्थानीय लोगों का आरोप है कि जलाने के बाद इसके असर के बारे में उन्हें कुछ भी नहीं बताया गया है. एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस मामले में बैठक ली और पीथमपुर घटना के बारे में संज्ञान लिया.
मुख्यमंत्री के आधिकारिक X हैंडल पर बताया गया कि जनभावनाओं का आदर करते हुए हाई कोर्ट के सामने इस मामले को रखा जाएगा. साथ ही उन्होंने कहा कि मैं जनता से अपील करता हूं कि किसी भी अफवाह या भ्रम की खबरों पर विश्वास नहीं करें. वहीं, प्रशासन का कहना है कि इसे सटीक वैज्ञानिक मानकों और प्रक्रियाओं के अनुसार किया जाना है और पीथमपुर का प्लांट नई और हाई टेक सुविधाओं से लैस है.
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पूरे जहरीले कचरे का 1% भी नहीं है 337 टन कचरा
इस मामले पर स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि अगर इस कचरे को जलाने से कोई नुकसान नहीं है, तो इसे भोपाल में ही क्यों नहीं जलाया जा रहा है. भोपाल गैस त्रासदी के राहत बचाव कार्यों से जुड़ी रचना ढींगरा ने अपने X हैंडल पर लिखे एक पोस्ट में इसके बारे में जानकारी दी है. उन्होंने अपने 2 जनवरी को लिखे पोस्ट में कहा कि कार्बाइड कारखाने के अंदर कुल 21 जगह और बाहर जहरीले तालाबों में 11 लाख टन कचरा और जहरीली मिट्टी दफन है.
इसकी वजह से 42 बस्तियों में 1 लाख का पानी प्रदूषित हो गया है. 337 टन कचरा पूरे जहरीले कचरे का 1% भी नहीं है. उन्होंने दावा किया कि अब पीथमपुर और इंदौर के लोग इस कचरे के जलने और गाड़ने पर इसके कहर को झेलेंगे. इससे बुरा कुछ भी नहीं हो सकता है. अमेरिकी थिंक टैंक इंस्टीट्यूट फॉर पॉलिसी स्टडीज के पोस्ट के मुताबिक इस कचरे में एल्डीकार्ब, कार्बेरिल, ए-नेफ्थॉल, डाइक्लोरोबेंजीन और पारे जैसे खतरनाक रासायनिक तत्व पाए गए हैं.
दावा है कि भोपाल में पूरा कचरा करीब 1 लाख मीट्रिक टन है और इसका असर स्थानीय लोगों पर देखने को मिला है. साथ ही यह कचरा मिट्टी में मिलकर पानी के स्रोतों और मिट्टी को बर्बाद कर देगा. वहीं, विरोध को देखते हुए जिला प्रशासन ने पीथमपुर के भस्मीकरण इकाई के आसपास BNS की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई. धार जिले के DM प्रियांक मिश्रा ने कहा है कि प्रशासन सभी बातों ध्यान से सुनेगा और निराकरण करेगा. उन्होंने साथ ही कानून-व्यवस्था को हाथ में न लेने की अपील की.
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