Prohibition of Child Marriage Act : एमपी हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के बाल विवाह कानून को चुनौती दी गई है. इस पर अदालत ने केंद्र, राज्य और AIMPLB से जवाब मांगा है.
17 August, 2024
Prohibition of Child Marriage Act : मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए शनिवार को केंद्र सरकार, राज्य और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) से जवाब मांगा है. जनहित याचिका में बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 (PCMA) के तहत शादी करने की न्यूनतम उम्र (लड़के की उम्र 21 और लड़की की 18 वर्ष) के प्रावधानों को सभी धर्मों के लोगों पर एक समान लागू करने की बात कही है. इस कारण अब मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) आवेदन अधिनियम 1937 और PCMA के बीच टकराव हो रहा है.
एक हफ्ते में कोर्ट ने मांगा जवाब
न्यायमूर्ति सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी (Justice Sushrut Arvind Dharmadhikari) और न्यायमूर्ति दुप्पला वेंकट रमण (Justice Duppala Venkat Ramana) की पीठ ने केंद्र, मध्य प्रदेश सरकार और AIMPLB को नोटिस जारी करके एक हफ्ते के भीतर जवाब तलब करने को कहा है. याचिकाकर्ता के वकील अभिनव धनोडकर ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ यौवन की आयु 15 वर्ष है, जहां विवाह की उम्र 18 साल से कम है. इसलिए PCMA का AIMPLB के साथ टकराव होता है.
लड़कियों को होता है काफी नुकसान
अभिनव धनोडकर ने कहा कि इस याचिका के माध्यम से हाई कोर्ट की ऐसी व्यवस्था की ओर ध्यान दिलाने की कोशिश की गई है. जहां राज्य में बाल विवाह निषेध अधिनियम को सभी समुदाय के निजी कानून से ऊपर रखा जाए. इसके अलावा याचिका में इस बात की भी गुजारिश की गई है कि PCMA कानून में दी गई न्यूनतम उम्र की व्यवस्था को समान रूप से समाज में लागू होना चाहिए. वकील ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि कम उम्र में विवाह करने से लड़कियों के स्वास्थ्य के साथ शिक्षा का भी खतरा होता है. इसके अलावा सामाजिक-आर्थिक नुकसान और लैंगिक असमानता को भी बढ़ावा देता है.
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