Haryana Election 2024 : हरियाणा विधानसभा चुनाव में विभिन्न राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेताओं की किस्मत दांव पर लगी है. अब देखना होगा कि वह अपनी जीत को बराकरार रखते हैं या जनता इस बार नया खेल खेलती है.
Haryana Election 2024 : हरियाणा विधानसभा चुनाव का गुरुवार की शाम प्रचार थम गया. अब 5 अक्टूबर को मतदान किया जाएगा और किस पार्टी की सरकार बनेगी यह 8 अक्टूबर, 2024 को तय होगा. इसी बीच कई ऐसे बड़े नाम भी मैदान में है जिनकी साख दांव पर लगी है और यह भी कहा जा सकता है कि चुनाव ही उनके इर्द-गिर्द ही घूम रहा है. इसमें सबसे पहला नाम प्रदेश के कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी (Nayab Singh Saini) का आता है और उसके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) का नाम शामिल है. इसके अलावा अन्य पार्टी के नेताओं भी मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में मैदान में हैं.
नायब सिंह सैनी
मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने नायब सिंह सैनी (Nayab Singh Saini) को मुख्यमंत्री बनाया था और इस बार भी उन्हें ‘सीएम फेस’ का चेहरा बनाकर BJP मैदान में उतरी है. पिछले चार चुनावों में उन्होंने अलग-अलग सीटों से जीत दर्ज की है. लेकिन इस बार BJP ने उनको हरियाणा की लाडवा विधानसभा सीट से मैदान में उतारा है. ऐसे में उनकी जीत की राह इतनी आसान नहीं दिख रही है. हालांकि, लाडवा विधानसभा सीट पर 35 हजार सैनी वोटों का प्रभाव है, लेकिन उनके विपक्ष में कांग्रेस के मौजूदा विधायक मेवा सिंह को मैदान में उतारा है, जिन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में 12 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से बाजी मारी थी. बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री रहते हुए सीएम सैनी ने लाडवा के लोगों के लिए कुछ काम नहीं किया. अब देखना होगा कि वह अपनी जीत का रास्ता कैसे खोलते हैं?
भूपेंद्र सिंह हुड्डा
हरियाणा की गढ़ी सांपला किलोई विधानसभा सीट पर सबकी निगाहें टिकी हुई है. यहां कांग्रेस के उम्मीदवार पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हु्ड्डा मैदान में हैं और वह इस बार भी मुख्यमंत्री पद की दावेदारी पेश कर रहे हैं. साल 2019 में भी भूपेंद्र सिंह ने इस सीट से चुनाव लड़ा था अपने नजदीकी उम्मीदवार BJP के सतीश नांदल को 58312 वोटों के अंतरों हराने में सफल रहे थे. साल 2014 और 2009 में भी उन्होंने इसी सीट से जीत दर्ज की थी, यह सीट हुड्डा परिवार का गढ़ मानी जाती है और इस बार भी कहा जा रहा है कि गढ़ी सांपला किलोई से आसानी से जीत दर्ज कर सकते हैं.
दुष्यंत चौटाला
उचाना कलां सीट हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में काफी चर्चाओं में बनीं हुई है क्योंकि यहां से प्रदेश के पूर्व उप-मुख्यमंत्री और JJP के अध्यक्ष दुष्यंत चौटाला (Dushyant Chautala) मैदान में हैं. यह सीट जींद जिला के अंतर्गत आती है. वहीं उनके सामने कांग्रेस के प्रत्याशी और पूर्व नौकरशाह बृजेंद्र मैदान में है, जबकि इनके पिता बीरेंद्र सिंह केंद्रीय मंत्री रहे हैं. वहीं, BJP की तरफ से देवेंद्र सिंह अत्री मैदान में हैं. यहां पर पहली बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है. दुष्यंत उचाना कलां सीट से साल 2019 में भी एक बार फिर चुनाव जीत चुके हैं और इस बार अपनी किस्मत दांव पर लगाकर चुनाव लड़ रहे हैं. इसके अलावा BJP से अलग राह होने के बाद उनकी पार्टी की साख भी दांव पर लगी है, क्योंकि 10 विधायकों में से चुनाव से पहले 7 MLA साथ छोड़कर BJP और कांग्रेस में शामिल हो गए थे.
अभय सिंह चौटाला
हरियाणा की ऐलनाबाद विधानसभा सीट काफी सुर्खियों में हैं क्योंकि यहां पर पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के बेटे और INLD के अध्यक्ष अभय सिंह चौटाला मैदान में हैं. लेकिन बताया जा रहा है ऐलनाबाद सीट से अभय सिंह चौटाला को कांग्रेस प्रत्याशी से कड़ी टक्कर मिल रही है. जहां INLD की शहर में पकड़ हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस की ग्रामीण इलाकों में मजबूती बताई जा रही है. अभय चौटाला ऐलनाबाद सीट से साल 2019 में लगातार विधायक चुनते आ रहे हैं और इनका यह गढ़ बन गया है. इसके अलावा BSP से गठबंधन करने के बाद कहा जा रहा है कि INLD को दलित वोट भी मिल सकता है, यही कारण है कि जाट-दलित के फैक्टर के कारण अभय चौटाला इस बार भी मैदान में बाजी मार सकते हैं.
विनेश फोगाट
पहलवान से नेता बनी विनेश फोगाट पहली बार राजनीति के अखाडें में राजनीतिक दांव आजमा रही हैं. हरियाणा की जुलाना विधानसभा सीट से कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया है. हालांकि, कहा जा रहा है कि इस सीट पर साल 1967 के बाद कांग्रेस तीन बार ही चुनाव जीती है, लेकिन अब देखना होगा कि विनेश यहां से कैसे अपनी जीत दर्ज करती हैं. बता दें कि विनेश तब काफी चर्चाओं में आ गईं जब उन्होंने WFI के पूर्व अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया था, जिसके बाद उन्होंने पहलवान साथियों के साथ दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया था और यह नेशनल लेवल का मुद्दा बन गया था. इसके बाद जब पेरिस ओलिंपिक 2024 में 100 ग्राम अधिक वजन होने से डिस्क्वाई कर दिया गया था और उन्होंने कुश्ती को अलविदा बोलकर कांग्रेस ज्वाइन कर ली.
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