09 February 2024
हमीरपुर जिले के बगेहरा गांव में एचपीशिवा परियोजना से बड़ा बदलाव देखने को मिला है। इस परियोजना से कभी बंजर रही जमीन पर आज बाग दिखाए दे रहे है। यहां हजारों अमरूद के पौधे लगाए गए थे और आज किसानों की बंजर जमीन विकसित बागों में बदली हुई नज़र आ रही है। जिससे किसान काफी खुश दिखाई दे रहे है।
बीर-बगेहरा ग्राम पंचायत में ब्यास नदी के किनारे पर स्थित बगेहरा गांव 30 नहरों के क्षेत्र में बोए गए फलों के साथ एक छोटा बगीचा बन गया है। कई किसानों की बंजर जमीन पर करीब 1,667 अमरूद के पौधे लगाए गए हैं। अपनी बंजर जमीन पर अमरूद लगाने वाले संतोष शर्मा का कहना है कि अब इन पौधों में फल लगने लगे हैं।
किसान रविंदर नाथ का कहना है कि पहले स्थानीय लोगों को कमाने के लिए बाहर जाना पड़ता था, लेकिन अब हालात बदल गए है। खराब मौसम, आवारा पशुओं और जंगली जानवरों की वजह से लोगों ने पारंपरिक फसलों की खेती को छोड़ना शुरू कर दिया था। उनकी जमीन बंजर होती जा रही थी। ऐसी परिस्थितियों में एचपी शिवा परियोजना ने पूरी तरह से हालात बदल दिए है।
834 हेक्टेयर भूमि पर लगेंगे पौधे
बागवानी विभाग के उप निदेशक राजेश्वर परमार का कहना है कि एचपी शिवा परियोजना से हमीरपुर जिले में 834 हेक्टेयर भूमि पर फल के पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि समय के साथ जिले के दूसरे इलाकों के किसान भी बागवानी को बड़े पैमाने पर अपनाएंगे। ग्रामीणों को शिव परियोजना का फायदा उठाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसका पूरा खर्च बागवानी विभाग उठा रहा है। जल शक्ति विभाग की मदद से सिंचाई की व्यवस्था की गई है।
एचपी शिवा परियोजना का लक्ष्य
इस परियोजन का लक्ष्य राज्य के 12 जिलों में से सात जिलों बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, मंडी, सोलन, सिरमौर और ऊना में कम से कम 15,000 किसान परिवारों की आमदनी बढ़ाना है। बागवानी विशेषज्ञों का कहना है कि सेब के लिए पहचाने जाने वाले हिमाचल प्रदेश में दूसरे फलों की खेती की भी अच्छी संभावनाएं हैं। राज्य के मध्यम और कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों की जलवायु अनार, अमरूद, संतरा और किन्नू जैसे दूसरे खट्टे फलों के लिए भी काफी उपयुक्त है।