02 February 2024
उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी को जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने आज यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट सौंप दिया है। माना जा रहा है कि सरकार इसे कल होने वाली कैबिनेट की बैठक में मंजूरी देगी। कहा ये भी जा रहा है धामी सरकार 6 फरवरी को यूसीसी को विधेयक के रूप में विधानसभा में पेश करेगी। उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने की दिशा में इसे बेहद अहम कदम माना जा रहा है।
एक कार्यक्रम के दौरान यूसीसी समिति की अध्यक्ष न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई ने मसौदा समिति के सदस्यों के साथ सूबे के सीएम धामी को यूसीसी मसौदा रिपोर्ट सौंपी। आपको बता दें कि धामी सरकार ने यूसीसी के लिए 27 मई 2022 को एक 5 सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। यूसीसी का मकसद पारंपरिक रीति-रिवाजों से पैदा होने वाली विसंगतियों को खत्म करना है। यूसीसी के तहत प्रदेश में सभी नागरिकों के लिए एक समान विवाह, तलाक, जमीन, संपत्ति और उत्तराधिकार के कानून लागू होंगे, चाहे वो किसी भी धर्म को मानने वाले हों।
2022 में लिया था सरकार ने फैसला
मार्च 2022 में सरकार गठन के फौरन बाद मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन को मंजूरी दे दी गयी थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया। अगर यूसीसी लागू हुआ तो उत्तराखंड आजादी के बाद यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य होगा। गोवा में पुर्तगाली शासन के दिनों से ही यूसीसी लागू है।
कैसे होंगे यूसीसी के प्रावधान
- मसौदे में 400 से ज्यादा धाराएं शामिल हो सकती हैं।
- समान नागरिक संहिता यानि यूसीसी लागू होने के बाद बहुविवाह पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी।
- लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र 21 साल तय की जा सकती है।
- लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों को अपनी जानकारी देनी ज़रुरी होगी।
- लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों के लिए पुलिस में रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा।
- शादी के बाद अनिवार्य पंजीकरण की ज़रुरत हो सकती है।
- हर एक शादी का संबंधित गांव, कस्बे में रजिस्ट्रेशन कराया जाएगा और बिना रजिस्ट्रेशन की शादी अमान्य मानी जाएगी।
- शादी का रजिस्ट्रेशन नहीं कराए जाने पर किसी भी सरकारी सुविधा से वंचित होना पड़ सकता है।
- मुस्लिम महिलाओं को भी गोद लेने का अधिकार होगा, गोद लेने की प्रक्रिया आसान होगी।
- लड़कियों को भी लड़कों के बराबर विरासत का अधिकार मिलेगा।
- मुस्लिम समुदाय में इद्दत जैसी प्रथाओं पर रोक लगाई जा सकती है।
- पति और पत्नी दोनों को तलाक की प्रक्रियाओं तक समान पहुंच प्राप्त होगी।
- नौकरीपेशा बेटे की मृत्यु की स्थिति में बुजुर्ग माता-पिता के भरण-पोषण की जिम्मेदारी पत्नी पर होगी और उसे मुआवजा मिलेगा।
- पति की मृत्यु की स्थिति में अगर पत्नी पुनर्विवाह करती है, तो उसे मिला हुआ मुआवजा माता-पिता के साथ साझा किया जाएगा।
- यदि पत्नी की मृत्यु हो जाती है और उसके माता-पिता को कोई सहारा नहीं मिलता है, तो उनकी देखरेख की जिम्मेदारी पति पर होगी।
- अनाथ बच्चों के लिए संरक्षकता की प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा।
- पति-पत्नी के बीच विवाद के मामलों में बच्चों की कस्टडी उनके दादा-दादी को दी जा सकती है।
- बच्चों की संख्या पर सीमा निर्धारित करने समेत जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रावधान पेश किए जा सकते हैं।
- पूरा मसौदा महिला केंद्रित प्रावधानों पर केंद्रित हो सकता है।
- आदिवासियों को यूसीसी से छूट मिलने की उम्मीद है।
कौन कौन है कमेटी में शामिल और इसे कितनी बार मिला एक्सटेंशन
सेवानिवृत्त न्यायाधीश देसाई के अलावा यूसीसी विशेषज्ञ समिति में सेवानिवृत्त न्यायाधीश प्रमोद कोहली, सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह और दून विश्वविद्यालय की उप कुलपति सुरेखा डंगवाल इसमें शामिल हैं। इस समिति को कुल चार बार एक्सटेंशन दिया गया, जिसमें आखिरी बार इसे जनवरी में 15 दिनों का एक्सटेंशन दिया गया।