Three New Law : सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि सीआरपीसी की 125 के तहत मुस्लिम महिलाओं को भी भरण पोषण का अधिकार है. धारा 125 में सभी धर्मों की महिलाओं को कवर किया गया है.
10 July, 2024
Three New Law : सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के हक में बुधवार को अहम फैसला सुनाया. अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 125 के तहत सभी धर्मों की विवाहित महिलाएं अपने पति से भरण-पोषण की मांग कर सकती हैं. इसके अलावा, धारा 125 मुस्लिम महिलाओं को भी कवर करती है. न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना (Justice BV Nagarathna) और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह (Justice Augustine George Masih) की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सीआरपीसी की धारा 125 जो पत्नी को भरण-पोषण का कानूनी अधिकार देती है, उस दायरे में मुस्लिम महिलाएं भी आती हैं.
विवाहित महिला के अधिकारों को करेगी कवर
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने फैसला सुनाते हुए कहा कि हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि आपराधिक अपील को खारिज कर रहे हैं और धारा 125 सभी महिलाओं पर लागू होगी. इसके दायरे में विवाहित महिलाएं ही आएंगी. पीठ ने कहा कि भरण-पोषण दान नहीं, बल्कि यह विवाहित महिलाओं का अधिकार है. चाहे उनका धर्म कोई सा भी हो.
तेलंगाना हाई कोर्ट में दी थी चुनौती
सुप्रीम कोर्ट ने मोहम्मद अब्दुल समद (Mohammed Abdul Samad) की याचिका खारिज कर दी है. उन्होंने तेलंगाना हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें पारिवारिक न्यायालय के भरण-पोषण आदेश में हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया था. उन्होंने तर्क दिया कि तलाकशुद मुस्लिम महिलाएं सीआरपीसी की धारा 125 के तहत भरण-पोषण की हकदार नहीं है. क्योंकि मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों को लागू करना होगा.
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