2 Feb 2024
दक्षिण भारत के लिए अलग देश की मांग उठाए जाने के मुद्दे पर राज्यसभा में आज खूब हंगामा हुआ । सत्ताधारी पक्ष ने कहा कि ये हमारे देश की एकता, अखंडता एवं संप्रभुता पर हमला है। जिसे हम बर्दाश्त नहीं करेंगे । कांग्रेस को स्पष्टीकरण के साथ माफी मांगना होगा । सदन के नेता पीयूष गोयल ने इस मुद्दे को राज्यसभा में उठाया । उन्होंने कहा कि ये कांग्रेस की विभाजनकारी सोच को बता रही है । कांग्रेस के लिए ये कोई नई बात नहीं है । समय समय पर कांग्रेस देश को बांटने की कोशिश करते रहती है। गोयल ने कहा कि जब हम सदन के सदस्य बनते हैं तो देश की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण रखने की शपथ लेते हैं, लेकिन कांग्रेस कि यह मांग देश के संविधान का अपमान है। गोयल ने कहा कि कांग्रेस की इस इस विभाजनकारी सोच को देश कभी स्वीकार नहीं करेगा ।
मल्लिकार्जुन खरगे ने दिया जवाब
वहीं, विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने जवाब देते हुए कहा कि अगर कोई भी देश को तोड़ने की बात करेगा तो कांग्रेस पार्टी उसे कभी बर्दाश्त नहीं करेगी । खरगे ने कहा कि सांसद डीके सुरेश लोकसभा के सदस्य हैं तो इसकी चर्चा उच्च सदन में नहीं की जा सकती है । उन्होंने कहा कि अगर ऐसा कहा भी गया है तो उसका वीडियो लेकर आए और निचले सदन में ‘एक्सपोज’ कर दें । खरगे ने कहा कि सदन चाहे तो इस मामले को विशेषाधिकार हनन समिति को भेजे और उस पर कार्रवाई की जाए । उन्होंने कहा कि अगर कोई भी देश को तोड़ने की बात करेगा तो हम सहन नहीं करेंगे चाहे वो हमारी पार्टी का ही क्यों न हो ।
सांसद डीके सुरेश ने क्या कहा था
आपको बता दें कि कांग्रेस के लोकसभा सांसद डीके सुरेश ने कल गुरुवार को दक्षिण भारत के लिए अलग देश की मांग की थी। उन्होंने कहा कि इसके अलावा कोई और विकल्प नहीं है । डीके सुरेश ने कहा कि कर्नाटक को केंद्र से पर्याप्त धन नहीं मिल रहा है । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के संसद में पेश किए गए केंद्रीय बजट के बाद उन्होंने ये मांग उठाई थी । उन्होंने दावा किया कि दक्षिण भारत के साथ अन्याय हो रहा है । उनका कहना था कि जो धन दक्षिण भारत को मिलना चाहिए, उसे डायवर्ट कर उत्तर भारत को दिया जा रहा है।
झारखंड का भी उठाया मुद्दा
दूसरी तरफ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने झारखंड का मुद्दा भी राज्यसभा में उठाया । उन्होंने कहा कि बिहार में भी हाल में सरकार बदल गई, लेकिन जब नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया तो उन्हें नई सरकार बनने तक पद पर बने रहने के लिए कहा गया था और महज कुछ ही घंटे में उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई और जब झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस्तीफा दिया तो कोई अंतरिम व्यवस्था नहीं की गई । उन्होंने कहा कि अगर बिहार में इस्तीफा, समर्थन पत्र स्वीकार और शपथ ग्रहण 12 घंटे में हो सकता है तो झारखंड में ऐसा क्यों नहीं हुआ, यह बहुत ही शर्मनाक बात है।