UP Politics: उत्तर प्रदेश में BJP की बैठक में कुछ ऐसा देखने को मिला, जिससे सियासी गलियारों में चल रही चर्चाओं पर विराम लग गया.
29 July, 2024
नई दिल्ली, धर्मेन्द्र कुमार सिंह: चाहे राजनीति हो या मौसम, शेयर मार्केट हो या खेल का मैदान, टीवी की टीआरपी हो या इकोनॉमी की रफ्तार, इनमें पक्के तौर पर अनुमान नहीं लगाया जा सकता है. इसके पीछे वजह यह है कि इसमें कभी भी बाजी पलट जाती है. यूपी में लोकसभा चुनाव 2024 में चाहत के मुताबिक सीटें नहीं मिलीं. यही वजह है कि उत्तर प्रदेश में BJP की हार के बाद उत्तर प्रदेश में राजनीतिक उमस बढ़ गई थी. राजनीतिक आरोपों की गर्मी में BJP प्रदेश में झुलस रही थी. सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच रिश्तों में तल्खी बढ़ती जा रही थी. दरार ऐसी पैदा हुई कि प्रदेश में कैबिनेट की बैठकों में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक ने लगभग जाना बंद कर दिया था. यूपी की लड़ाई BJP के आला नेताओं के लिए चिंता का विषय बनी हुई थी, लेकिन पीएम मोदी के साथ दिल्ली में 27-28 जुलाई को हुई मुख्यमंत्रियों की मीटिंग के बाद असर ऐसा हुआ कि लखनऊ के राजनीतिक मौसम में साफ-साफ बदलाव दिखने लगा. अब ऐसा लग रहा है कि योगी की जीत हुई है और मौर्य की भाषा और भाव बदल गए हैं.
अचानक मौर्य योगी की पिच पर क्यों आ गए?
योगी आदित्यनाथ की अहमियत उत्तर प्रदेश और BJP में क्या है? शायद इसका अहसास सभी को है. जिस तरह से यूपी में हार के बाद केशव प्रसाद मौर्य से लेकर ब्रजेश पाठक और अनुप्रिया पटेल समेत कई नेताओं के तेवर कड़े थे उससे यही लगता था कि इसके तार सिर्फ लखनऊ तक सीमित नहीं हैं. आलाकमान को यह एहसास था कि यूपी में अगर योगी को मुख्यमंत्री पद से हटाया जाएगा तो इसकी गूंज बहुत दूर तलक जाएगी. जब तीनों नेता दिल्ली से लखनऊ पहुंचे तो राजनीतिक परिदृश्य ही बदल गया. सोमवार को NDA विधानमंडल दल की बैठक हुई. इसके बाद योगी और मौर्य के बीच तल्खी खत्म हो गई. यह अचानक नहीं हुआ बल्कि साफ जाहिर है कि यह पार्टी के आला नेताओं के निर्देश पर हुआ है. क्योंकि आला नेताओं को पता है कि उत्तर प्रदेश अगर हाथ से निकलता है तो इसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे.
मौर्य की भाषा अचानक क्यों बदल गई?
हाल में BJP की कार्यसमिति की बैठक में योगी ने कहा था कि कहीं पर हम लोग मानकर चलते हैं कि आत्मविश्वास में जीत ही रहे हैं तो स्वाभाविक रूप से वहां पर कहीं न कहीं हमें खामियाजा भी भुगतना पड़ता है. हालांकि केशव प्रसाद मौर्य ने यह बोल कर माहौल को गरमा दिया कि यूपी BJP में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. केशव प्रसाद मौर्य के इस बयान के बाद लगा कि पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं है लेकिन केपी मौर्य जब दिल्ली से लौटे तो उनके तेवर नरम और उनकी भाषा में वह तल्खी नहीं थी. केशव प्रसाद मौर्य ने BJP की ओबीसी कार्यसमिति की बैठक में माना कि हम अति आत्मविश्वास की वजह से हारे. यही बात तो सीएम योगी भी बोल रहे थे.
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केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि एक पहिए पर रथ नहीं चलता है बल्कि दो पहिए पर रथ चलता है. उन्होंने कहा कि सरकार और संगठन दोनों साथ मिलकर काम करेंगे तो तेजी से आगे बढ़ेंगे. जाहिर है केपी मौर्य को यह भी बताने की कोशिश की है कि योगी जो बोले रहे हैं वह सही है और वह भी जो बोल रहे हैं वह भी सही बात है. मतलब एक तरफ से यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि सरकार और संगठन दोनों मिलकर 2027 की जंग लड़ेंगे. 2024 के चुनाव में जो चूक हुई है, वह फिर कभी नहीं चुकेंगे.
सोशल मीडिया पर योगी और मौर्य के एक सुर
BJP कार्यसमिति की बैठक में योगी ने नेताओं को सोशल मीडिया पर रहने की बात की थी और वही बात मौर्य भी कर रहे हैं. केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि सिर्फ सोशल मीडिया पर फोटो पोस्ट करने से कुछ नहीं होगा, अखिलेश और कांग्रेस की सोशल मीडिया का जवाब देना होगा. हाल के दिनों में योगी और मौर्य के बीच जो तल्खी देखी गई और सोशल मीडिया पर यह खबर छाई हुई थी, लेकिन केपी मौर्य ने यही संदेश देने की कोशिश की कि जो सोशल मीडिया पर चल रहा है, वह सही नहीं है. एक तरह से माना जा सकता है कि यूपी में फिलहाल खतरा टल गया है, लेकिन यह खतरा कितने समय तक के लिए टला है पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता है.
धर्मेन्द्र कुमार सिंह (इनपुट एडिडर, लाइव टाइम्स)
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