30 दिसंबर 2023
उल्फा यानी यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम समर्थक गुट ने हिंसा छोड़ने और मुख्यधारा में शामिल होने पर सहमति जताते हुए केंद्र और असम सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किये। दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा की मौजूदगी में समझौते पर हस्ताक्षर किये गये। उल्फा के अरबिंद राजखोवा गुट और सरकार के बीच 12 साल तक बिना शर्त हुई वार्ता के बाद इस समझौते पर हस्ताक्षर किये गये।
राजखोवा गुट 3 सितंबर, 2011 को सरकार के साथ शांति वार्ता में शामिल हुआ था। उल्फा, केंद्र और राज्य सरकार के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस शांति समझौते से असम में दशकों पुराने उग्रवाद के खत्म होने की उम्मीद है। आपको बत दें कि उल्फा का परेश बरुआ कट्टरपंथी गुट इस समझौते का हिस्सा नहीं है। माना जाता है कि परेश बरुआ चीन-म्यांमार सीमा के पास रहता है और वहीं से अपने गुट को ऑपरेट करता है।
गौरतलब है कि उल्फा का गठन 1979 में था, तब से यह विध्वंसक गतिविधियों में शामिल रहा। केंद्र सरकार ने 1990 में इसे प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया था।
देश विदेश की खबरों से अपडेट रहने लिए Livetimes News के साथ जुड़े रहें।
देश-दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें FACEBOOK पर लाइक करें या TWITTER पर फॉलो करें।