राजस्थान की चुरू लोकसभा सीट इन दिन खूब चर्चा में है. इसकी बड़ी वजह यह है कि यहां से पैरालंपिक प्रतियोगिता के विजेता देवेंद्र झाझरिया मैदान में हैं.
8 April, 2024
Churu Lok Sabha Election 2024: राजस्थान की चुरू लोकसभा सीट इन दिन खूब चर्चा में है. इसकी बड़ी वजह यह है कि यहां से पैरालंपिक प्रतियोगिता के विजेता देवेंद्र झाझरिया मैदान में हैं. देवेंद्र दिव्यांग हैं और भाजपा ने इस सीट से टिकट देकर बड़ा और अहम दांव खेला है. इस सीट कांग्रेस से राहुल कस्वां मैदान में हैं. सबसे पहले जान लेते हैं कि देवेंद्र झाझरिया के बारे में. सिर्फ 8 वर्ष की उम्र में ही एक पेड़ पर चढ़ने के दौरान बिजली के तार के संपर्क में आने के चलते उन्होंने अपना बायां हाथ गंवा दिया था, लेकिन इसके बावजूद उनके हौसले बुलंद रहे. उनका जीवन संघर्ष से भरा रहा है.
देवेंद्र को जब अपने पिता के कैंसर से पीड़ित होने का पता चला तो उन्होंने एक समय खेल को अलविदा कहने का मन बना लिया. लेकिन पिता ने हौसला बढ़ाया तो मान गए. उन्होंने वर्ष 2020 में राष्ट्रीय स्तर की एक पैरालंपिक प्रतियोगिता में पदक जीता था. इसके बाद पिता की याद में भावुक हो गए थे. देवेंद्र झाझरिया ने इससे पहले पैरालंपिक से उनके वर्ग की प्रतियोगिता को हटाने के बाद भी खेल को अलविदा कहने का मन बनाया. यही वजह है कि वर्ष 2008 और 2012 पैरालंपिक का हिस्सा नहीं था.
Churu Lok Sabha Election 2024: कांग्रेस प्रत्याशी राहुल का कस्वां
अब बात करते हैं कि कांग्रेस प्रत्याशी राहुल कस्वां के बारे में. ऐसा कहा जाता है कि जिस तरह से झुंझुनूं में ओला, नागौर में मिर्धा और जोधपुर में मदेरणा परिवार का सिक्का चलता है ठीक वैसे ही चूरू जिले की राजनीति में कस्वां परिवार की हैसियत है. राहुल कस्वां ने साल 2014 और 2019 में लगातार दो बार भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीता. यह बहुत कम लोग जानते होंगे वर्ष 2014 में वह सबसे कम उम्र के सांसद बने थे. राहुल कस्वा के पिता रामसिंह कस्वां एक बार सांसद और 4 बार विधायक रह चुके हैं. बहुत कम लोग जानते हैं कि राहुल कस्वां उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के दामाद भी हैं.
Churu Lok Sabha Election 2024: चुरू लोकसभा सीट
यहां पर हम बता रहे हैं कि चुरू लोकसभा सीट के बारे में. दिल्ली से चुरू की दूरी 299.3 किलोमीटर है. राजस्थान के 25 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में से चुरू भी एक है. इसे थार मरुस्थल का द्वार भी कहा जाता है और यह चूरू जिले का जिला मुख्यालय भी है. चूरू की स्थापना वर्ष 1620 में चूहरू जाट ने की थी. चुरू लोकसभा के अंतर्गत आठ विधानसभा क्षेत्र आते हैं. 1977 में यहां पहली बार लोकसभा चुनाव हुआ था तब जनता पार्टी के दौलतराम सारन यहां के पहले सांसद बने. पर्यटन स्थलों में यहां रत्नागढ़ किला, सुराना हवेली, कोठारी हवेली और ताल छापर सेंचुरी प्रसिद्ध है. यहां कुल मतदाताओं की संख्या 255480 है.
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