Nazul Land In UP: 31 जुलाई को नजूल संपत्ति विधेयक 2024 उत्तर प्रदेश की विधानसभा में पेश किया गया था. इस बिल को जब पेश किया गया तो BJP के ही विधायकों ने विरोध कर दिया.
02 August, 2024
Nazul Land In UP: उत्तर प्रदेश में इस वक्त नजूल संपत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध और उपयोग) विधेयक 2024 को लेकर सियासी लड़ाई तेज हो चुकी है. बीते दिन इस विधेयक को विधान परिषद में योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर से पेश किया. जब इसे पेश किया गया तो विपक्ष के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी के नेता भी इस बिल के विरोध में खड़े हो गए. विधान परिषद में खुद BJP के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने भी खड़े हो कर विरोध जता दिया. उन्होंने इस विधेयक को प्रवर समिति को भेजने का अनुरोध किया. इसके बाद बिल को सभापति की अनुमति पर प्रवर समिति को भेज दिया गया. प्रवर समिति 2 महीनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. ऐसे में एक बार फिर से सवाल खड़े हो गए हैं कि क्या उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और BJP नेताओं के बीत सबकुछ ठीक नहीं हैं?
BJP के ही विधायकों ने किया विरोध
बता दें कि, 31 जुलाई को नजूल संपत्ति (लोक प्रयोजनार्थ प्रबंध और उपयोग) विधेयक 2024 उत्तर प्रदेश की विधानसभा में पेश किया गया था. इस बिल को जब पेश किया गया तो इसके विरोध में BJP के ही प्रयागराज पश्चिम विधानसभा सीट से MLA सिद्धार्थनाथ सिंह और प्रयागराज उत्तर से MLA हर्ष वाजपेई ने विरोध जता दिया. नजूल जमीन विधेयक को लेकर कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया ने भी अपना विरोध दर्ज कराया. विपक्षी दलों ने भी सरकार को घेर लिया. इस दौरान डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक बैठे रहे. वहीं दूसरी ओर नरेन्द्र मोदी की सरकार में मंत्री और मिर्जापुर सीट से सांसद अनुप्रिया पटेल ने भी इसका विरोध किया है.
‘अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो’
अपना दल (सोनेलाल) की सांसद अनुप्रिया पटेल ने बीते दिन अपने ‘X’ हैंडल पर लिखा कि नजूल भूमि संबंधी विधेयक को विधान परिषद की प्रवर समिति को भेज दिया गया. विचार-विमर्श के बिना लाए गए नजूल भूमि संबंधी विधेयक के बारे में मेरा मानना है कि यह विधेयक गैरजरूरी तो है ही बल्कि, आम जनता की भावनाओं के विपरीत भी है. उन्होंने आगे लिखा कि यूपी सरकार को इस विधेयक को तुरंत वापस लेना चाहिए. साथ ही उन्होंने मांग रखी कि इस मामले में जिन अधिकारियों ने सरकार को गुमराह किया है उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई हो. गौरतलब है कि योगी सरकार में संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने बुधवार को विधानसभा में नजूल सम्पत्ति विधेयक को पेश किया था.
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नजूल संपत्ति पर पहला कानून
बिल को पेश करते हुए सुरेश खन्ना ने बताया कि यह नजूल संपत्ति से जुड़ा पहला कानून है. उन्होंने आगे बताया कि जनता के हित में सार्वजनिक कार्यों के लिए भूमि का प्रबंध करने में लंबा वक्त लगता है. ऐसे में अब सार्वजनिक कार्यों और आयोजनों के लिए नजूल संपत्ति का इस्तेमाल किया जाएगा. हालांकि इसमें वन, सिंचाई और कृषि विभाग से जुड़े कार्य शामिल नहीं होंगे. बिल में प्रावधान है कि अगर कोई नजूल संपत्ति का पट्टे पर लेता है और नियमित रूप से किराए का भुगतान करता है तो, अनुबंध का नवीनीकरण कर दिया जाएगा. ऐसे में संपत्ति को 30 साल के लिए पट्टे पर दिया जा सकेगा. अनुबंध का समय पूरा होने पर यह सरकार के पास वापस आ जाएगा. ऐसे में कहा जा रहा है कि इन जमीनों पर जो गरीब रह रहे हैं, उनसे घर छिन जाएगा.
क्या है नजूल संपत्ति?
प्रावधान में यह भी कहा गया है कि अगर कोई पट्टा अवधि के खत्म होने के बाद भी नजूल जमीन का उपयोग कर रहा है तो, संबंधित जिलाधिकारी पट्टे के किराया का निर्धारण कर सकते हैं. बता दें कि, ब्रिटिश शासन काल के दौरान राजा अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध में हार जाते थे, तब अंग्रेज उनकी जमीनों पर कब्जा कर लेते थे. ऐसी ही जमीनों को नजूल संपत्ति घोषित किया गया. हालांकि, देश की आजादी के बाद ऐसी संपत्तियों पर अधिकार राज्य सरकारों को सौंप दिया गया. अब सरकार इस तरह ही की संपत्तियों का उपयोग सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए करती हैं. अस्पताल, स्कूल और पंचायत जैसी जगह इनमें शामिल हैं. कई बार ऐसी ही संपत्तियों का इस्तेमाल बड़े शहरों में हाउसिंग सोसाइटी बनाने के लिए भी किया जाता है.
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