Home Election Arvind Kejriwal Bail Petition: अंतरिम जमानत की मांग करने वाली केजरीवाल की PIL खारिज, HC ने जुर्माना भी लगाया

Arvind Kejriwal Bail Petition: अंतरिम जमानत की मांग करने वाली केजरीवाल की PIL खारिज, HC ने जुर्माना भी लगाया

by Live Times
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Arvind Kejriwal Bail Petition

Arvind Kejriwal: कार्यवाहक चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत पी. एस. अरोड़ा की बेंच ने कहा कि ये याचिका ‘‘उचित विचार करके दायर नहीं की गई’’ और अदालत उच्च पद पर आसीन किसी व्यक्ति को ‘‘असाधारण अंतरिम जमानत’’ नहीं दे सकती.

22 April, 2024

दिल्ली हाई कोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के लिए ‘‘असाधारण अंतरिम जमानत’’ का अनुरोध करने वाली एक विधि छात्र की जनहित याचिका सोमवार को खारिज कर दी और याचिकाकर्ता पर 75,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया. केजरीवाल (Arvind Kejriwal) कथित आबकारी घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में न्यायिक हिरासत में हैं.

Arvind Kejriwal: 75,000 रुपये के जुर्माने के साथ याचिका खारिज

दरअसल, कार्यवाहक चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत पी. एस. अरोड़ा की बेंच ने कहा कि ये याचिका ‘‘उचित विचार करके दायर नहीं की गई’’ और अदालत उच्च पद पर आसीन किसी व्यक्ति को ‘‘असाधारण अंतरिम जमानत’’ नहीं दे सकती. बेंच ने कहा, ‘‘क्या वो (याचिकाकर्ता) कॉलेज में कक्षा में जाता है? ऐसा लगता है कि वो कानून के सिद्धांतों का पालन नहीं कर रहा. अदालत ने कहा की कि ‘एएपी’ नेता के पास अपने कानूनी विकल्पों का लाभ लेने के लिए कदम उठाने के साधन हैं और याचिकाकर्ता के पास उनकी ओर से दलीलें पेश करने के लिए कोई वकालतनामा नहीं है. अदालत ने आदेश दिया, रिट याचिका 75,000 रुपये के जुर्माने के साथ खारिज की जाती है.

Arvind Kejriwal: असाधारण अंतरिम जमानत में अरविंद केजरीवाल की सुरक्षा खतरे में

अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा ने कहा कि जनहित याचिका सुनवाई योग्य नहीं है और याचिकाकर्ता का इस मामले में पक्षकार होने का कोई अधिकार नहीं है. याचिकाकर्ता के वकील ने इस आधार पर दिल्ली के मुख्यमंत्री के लिए ‘‘असाधारण अंतरिम जमानत’’ का अनुरोध किया कि केजरीवाल की सुरक्षा खतरे में है क्योंकि वो कट्टर अपराधियों के साथ जेल में बंद हैं.

याचिका में ये भी कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने ईडी और सीबीआई के केजरीवाल के खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों में मुख्यमंत्री (CM) को अपने ‘‘वीटो अधिकार’’ का इस्तेमाल करके तब तक असाधारण अंतरिम जमानत पर रिहा कराने का फैसला किया है जब तक उनका कार्यकाल और मामले में सुनवाई पूरी नहीं हो जाती.

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