Lok Sabha Speaker : 18वीं लोकसभा में सांसदों को शपथ दिलाने के बाद लोकसभा अध्यक्ष का चयन जा रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि अध्यक्ष पद के लिए पक्ष-विपक्ष की दावेदारी करने के बाद इसका चुनाव कैसे होता है ?
25 June, 2024
Lok Sabha Speaker : 18वीं लोकसभा का पहला सत्र 24 जून, 2024 से शुरू हो गया है. सत्र शुरू होने के बाद नवनिर्वाचित सांसदों ने शपथ ले ली है. अब लोकसभा अध्यक्ष का चयन होना है. BJP सांसद ओम बिरला (OM Birla) 17वीं लोकसभा के स्पीकर चुने गए थे. इसी बीच यह भी जानना जरूरी है कि लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव कैसे होता है? और यह पद संसदीय राजनीति में कितना प्रभाव रखता है ?
अनुच्छेद 93 में है अध्यक्ष चुनने का प्रावधान
भारतीय संविधान के आर्टिकल 93 में लोकसभा स्पीकर के चुनाव का प्रावधान है. सदन के सदस्य दो सांसदों का चुनाव करते हैं और इन दोनों में से एक अध्यक्ष और दूसरा उपाध्यक्ष चुना जाता है. इन पदों के लिए उम्मीदवारों को इलेक्शन से एक दिन पहले नोटिस जमा करना होता है. इसका चुनाव बेहद साधारण ढंग से होता है. जिस दिन सेलेक्शन होना होता है वहां पर मौजूद सांसद वोट करते हैं और आधे से ज्यादा वोट मिलने वाले उम्मीदवार को अध्यक्ष के रूप में चुन लिया जाता है.
स्पीकर को होनी चाहिए सदन चलाने की समझ
अध्यक्ष पद पर विराजमान व्यक्ति को कानून की समझ, सदन की कार्यवाही के बारे में जानकारी और उसके नियम-कायदे की समझ होनी चाहिए. लोकसभा स्पीकर का मुख्य कार्य सदन को सुचारू और व्यवस्थित तरीके से चलाने का होता है, इसलिए ये पद काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. लोकसभा में कौन-सा बिल लाया जाएगा, उसका एजेंडा अध्यक्ष तय करता है और सदन में विवाद होने पर नियमानुसार कार्रवाई भी करता है.
सदन में की जाती है निष्पक्ष कार्यवाही करने की उम्मीद
लोकसभा में पक्ष और विपक्ष दोनों के सांसद मौजूद रहते हैं. ऐसे में अध्यक्ष से उम्मीद की जाती है कि वह निष्पक्ष होकर अपना कार्य करें. अध्यक्ष वैसे तो किसी प्रस्ताव पर वोट नहीं करता है, लेकिन जब किसी बिल पर दोनों पक्षों की ओर से बराबर के वोट पड़ते हैं. इस स्थिति में लोकसभा अध्यक्ष वोट देता है. इसके अलावा सदन विभिन्न समितियों का गठन करने का अधिकार भी स्पीकर के पास होता है. यहां तक कि अगर लोकसभा में कोई सांसद दुर्व्यवहार करता है तो उसको स्पीकर ही निलंबित करता है.
पद से हटाया जा सकता है अध्यक्ष को ?
संविधान के आर्टिकल 94 अध्यक्ष को पद से हटाने का अधिकार देता है. लोकसभा स्पीकर को हटाने के लिए सदन में 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट पड़ने चाहिए और अध्यक्ष को 14 दिन पहले नोटिस जारी करना होता है. इसके अलावा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 7 और 8 में प्रावधान है कि अध्यक्ष को पद से बर्खास्त किया जा सकता है. अगर स्पीकर अपना पद खुद से छोड़ना चाहता है तो वह अपना त्यागपत्र उपाध्यक्ष को सौंपता है.
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