West Bengal Politics: BJP नेता सुवेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) ने पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए अल्पसंख्यक समुदाय से समर्थन की कमी को जिम्मेदार ठहराया.
17 July, 2024
West Bengal Politics: लोकसभा चुनाव के बाद से भारतीय जनता पार्टी के नेता हैरान करने वाला बयान दे रहे हैं. इसी क्रम में BJP के वरिष्ठ नेता सुवेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) ने पार्टी को लेकर भी बड़ा बयान दे दिया है. उन्होंने पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए अल्पसंख्यक समुदाय से समर्थन की कमी को जिम्मेदार ठहराया. साथ ही कहा कि ‘सबका साथ, सबका विकास’ अनावश्यक था और इसके बजाय ‘हम उनके साथ जो हमारे साथ हैं’ का नारा लगाने की बात कही.
हम उनके साथ जो हमारे साथ हैं- सुवेंदु अधिकारी
कार्यकारी समिति के विस्तारित सत्र को संबोधित करते हुए अधिकारी सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चा की आवश्यकता को खारिज कर दिया. सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि मैंने राष्ट्रवादी मुसलमानों के लिए भी बात की है. हम सभी ‘सबका साथ सबका विकास’ कहते थे, लेकिन मैं अब ऐसा नहीं कहूंगा क्योंकि मुझे लगता है कि यह ‘हम उनके साथ जो हमारे साथ हैं’ होना चाहिए. अल्पसंख्यक मोर्चा की कोई जरूरत नहीं है. बाद में उन्होंने अपने इस बयान पर सफाई भी जारी.
TMC स्वतंत्र चुनाव की अनुमति नहीं देंगी- सुवेंदु अधिकारी
सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान कई इलाकों में TMC के जिहादी गुंडों ने हिंदुओं को वोट नहीं डालने दिया. साथ ही उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संभव नहीं है. TMC के गुंडे इस बात की अनुमति नहीं देंगे. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव केवल राज्य में अशांत क्षेत्र अधिनियम लागू करके ही संभव है. राष्ट्रपति शासन के सहार राज्य में सत्ता हासिल नहीं करना चाहते. लोगों के जनादेश से चुनाव जीतकर सत्ता में आएंगे, लेकिन इसके लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने होंगे.
विवाद बनता देख सुवेंदु अधिकारी ने जारी किया बयान
टिप्पणी पर विवाद बनता देख सुवेंदु अधिकारी ने बाद में बयान जारी किया. अपना बचाव में उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि उनकी टिप्पणियों को गलत तरह से दिखाया गया जा रहा है. उन्होंने जोर देकर कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के नारे का अक्षरशः पालन करते हैं. उन्होंने अपने ‘X’ हैंडल पर एक पोस्ट कर कहा कि उनकी टिप्पणी प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए नहीं बल्कि राजनीतिक कारणों से थी. वह लोगों को बहुमत और अल्पसंख्यक के आधार पर विभाजित करने में विश्वास नहीं करते हैं.
कई सीटों पर है अल्पसंख्यक मतदाताओं का प्रभाव
गौरतलब है कि, पश्चिम बंगाल में अल्पसंख्यक मतदाताओं की संख्या ज्यादा है. अल्पसंख्यक मतदाताओं की संख्या कुल मतदाताओं की संख्या का लगभग 30 प्रतिशत है. साथ ही इनका प्रभाव 16-18 लोकसभा सीटों तक फैला हुआ है. ऐसे में राजनीतिक जानकारों का दावा है कि दक्षिणी पश्चिम बंगाल में अल्पसंख्यक मतदाताओं ने लोकसभा और विधानसभा उपचुनाव में TMC को ज्यादा सीटों पर जीत दिलाई. वहीं उत्तरी बंगाल में वाम-कांग्रेस गठबंधन और TMC के बीच समुदाय के वोटों के विभाजन ने BJP को कई सीटों पर जीत दिलाने में मदद की.