Lok Sabha Election 2024: BJP ने उत्तर प्रदेश की हॉट सीट में शुमार कैसरगंज लोकसभा सीट और रायबरेली से अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं.
02 May, 2024
Lok Sabha Election 2024: BJP ने उत्तर प्रदेश की हॉट सीट में शुमार कैसरगंज लोकसभा सीट और रायबरेली से अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं. कैसरगंज से पार्टी ने सांसद बृजभूषण शरण सिंह का टिकट काट दिया और उनके बेटे करण भूषण सिंह को टिकट दिया है. वहीं, रायबरेली से दिनेश प्रताप सिंह को उम्मीदवार बनाया गया है. हालांकि 2019 में भी दिनेश प्रताप सिंह को पार्टी ने टिकट दिया था, लेकिन वो सोनियां गांधी से हार गए थे. BJP ने एक बार फिर उनपर भरोसा जताया है.
कौन हैं करण भूषण सिंह
करण सिंह सांसद बृजभूषण शरण सिंह के छोटे बेटे हैं. वो डबल ट्रैप शूटिंग के नेशनल खिलाड़ी रह चुके हैं और गोंडा में नंदिनी कॉलेज से ग्रेजुएशन किया है. करण सिंह ने ऑस्ट्रेलिया से बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई की है. इतना ही नहीं वो राज्य के कुश्ती संघ के अध्यक्ष भी हैं. करण सिंह पहली बार कोई चुनाव लड़ रहे हैं. बता दें कि महिला पहलवानों ने बृजभूषण सिंह पर यौन शोषण का आरोप लगाया था जिसके बाद उन्होंने कुश्ती संघ अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद उत्तर प्रदेश में कुश्ती संघ का चुनाव हुआ और करण सिंह सर्वसम्मति से यूपी कुश्ती संघ का अध्यक्ष चुने गए थे.
कौन हैं दिनेश प्रताप सिंह
रायबरेली को वैसे तो गांधी परिवार का गढ़ माना जाता है. अभी सोनिया गांधी यहां से सांसद हैं, लेकिन इस बार सोनिया गांधी ने इस सीट से चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है. बात करें अगर इस सीट से BJP उम्मीदवार की तो दिनेश प्रताप सिंह पहले कांग्रेस पार्टी का हिस्सा थे. फिर 2018 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर BJP का दामन थाम लिया. 2019 में BJP ने उन्हें इस सीट से टिकट दिया, लेकिन वो जीत अपने नाम नहीं कर पाए थे. फिलहाल दिनेश प्रताप सिंह राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री हैं.
कभी सोनिया गांधी के थे बेहद करीब
दिनेश प्रताप सिंह के परिवार का रायबरेली की राजनीति में वर्चस्व रहा है. उनके खर के ही लोग ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत अध्यक्ष, एमएलसी और विधायक रह चुके हैं. दिनेश प्रताप सिंह को कभी सोनिया गांधी के बेहद करीबियों में से एक माना जाता था. उनके परिवार का कांग्रेस में खूब दबदबा रहा है. 2010 में दिनेश प्रताप सिंह पहली बार कांग्रेस से एमएलसी बने थे और 2016 में दूसरी बार उन्हें जीत मिली. हालांकि 2018 में उन्होंने कांग्रेस को छोड़ दिया.
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