BJP Foundation Day : पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार पर कड़ी प्रतिक्रिया देने की जगह तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू की चुप्पी से क्षुब्ध होकर डॉ. श्यामा मुखर्जी ने नेहरू मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया. ऐसी परिस्थिति में देश को एक राष्ट्र्वादी दल की जरूरत पड़ने लगी थी.
06 April, 2024
BJP Foundation Day : 6 अप्रैल, 1980 को गठन के 4 साल बाद सिर्फ 2 सीटों पर जीत के साथ अपना सफर शुरू करने वाली भारतीय जनता पार्टी वर्तमान में कार्यकर्ताओं के लिहाज से दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 में 370 से अधिक सीटों पर जीत हासिल करने का लक्ष्य रखा है. इसके साथ ही एनडीए के लिए 400 पार का लक्ष्य तय किया है. भारतीय जनता पार्टी के स्थापना दिवस पर प्रस्तुत है विशेष स्टोरी.
ऐसे हुआ भाजपा का गठन
आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी के खिलाफ विरोध इस कदर उपजा कि जनता भी त्राहिमाम कर उठी. इसका फायदा विरोधी दलों को लोकसभा चुनाव में मिला. वर्ष 1977 के चुनाव में कांग्रेस को मात खानी पड़ी. उधर, जीत के साथ जनता पार्टी की सरकार तो बनी, लेकिन कुछ महीने के बाद ही अंतर्विरोध लगातार सामने आने लगे और दो वर्ष बाद ही गठबंधन टूट गया. इसके बाद जनता पार्टी से अलग होकर 6 अप्रैल, 1980 को एक नए राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी की घोषणा की गई. इस प्रकार भाजपा की स्थापना हुई. भारतीय जनता पार्टी ने संविधान में दिए गए मूल्यों एवं सिद्धांतों को अपनी विचारधारा में समाहित किया. पार्टी का सीधा उद्देश्य लोकतांत्रिक व्यवस्था इस तरह से स्थापित करना रहा, जहां पर जाति, संप्रदाय अथवा लिंगभेद के बिना सभी देश के सभी नागरिकों को सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक न्याय, समान अवसर तथा धार्मिक विश्वास एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुनिश्चित हो. वहीं, भाजपा ने दीनदयाल उपाध्याय के ‘एकात्मक-मानवदर्शन’ के वैचारिक दर्शन को अपनाया और आगे इसी विचाराधारा को लेकर आगे बढ़ी.
कब हुआ पार्टी का गठन
दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान (अब अरुण जेटली स्टेडियम) में आयोजित एक कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की 6 अप्रैल, 1980 को स्थापना हुई. अपने स्थापना दिवस के मौके पर भाजपा ने राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय और लोकहित मुद्दे पर मुखर होने के साथ लोकतंत्र में विश्वास रखते हुए भारतीय राजनीति में एक नया आयाम विकसित किया. हालांकि, यह सच है कि भाजपा की स्थापना 6 अप्रैल, 1980 को हुई थी, लेकिन इसका इतिहास जनसंघ पार्टी से जुड़ा हुआ है. भारत की स्वतंत्रता के बाद देश में एक नई परिस्थिति पैदा हुई. गांधी और पटेल दोनों की मृत्यु के पश्चात कांग्रेस पूरी तरह से ‘नेहरूवाद’ की चपेट में आ गई. इसके बाद देश में अल्पसंख्यक तुष्टिकरण, राष्ट्रीय सुरक्षा पर लापरवाही, लाइसेंस-परमिट-कोटा राज, अंतर्राष्ट्रीय मामलों में भारतीय हितों की अनदेखी, राष्ट्रीय मसलों जैसे कश्मीर आदि पर घुटनाटेक नीति आदि अनेक विषय देश में राष्ट्रवादी नागरिकों को उद्विग्न करने लगे.
अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार देख डॉ. मुखर्जी ने दिया त्यागपत्र
नेहरूवाद के कारण पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार पर कड़ी प्रतिक्रिया देने के वजाह तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू की चुप्पी से क्षुब्ध होकर डॉ. श्यामा मुखर्जी ने नेहरू मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया. ऐसी परिस्थिति में देश को एक राष्ट्र्वादी दल की जरूरत पड़ने लगी थी. जहां 21 अक्टूबर, 1951 को श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने दिल्ली के घोमल आर्य कन्या उच्च विद्यालय में भारतीय जनसंघ की स्थापना की. डॉ. मुखर्जी के नेतृत्व में ही कश्मीर एवं देश की अखंडता के मुद्दे पर आंदोलन छेड़ा और लगातार जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 का विरोध किया.
पहली बार 1977 में बनी गैर-कांग्रेसी सरकार
डॉ. मुखर्जी की रहस्मयी मौत होने के बाद इसकी जिम्मेदारी दीनदयाल उपाध्याय के कंधों पर आ गई. भारत-चीन युद्ध पर भारतीय जनसंघ ने पंडित नेहरू की जमकर आलोचना की और इस पर तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करने की बात कही. साल 1967 में वो वक्त आया जब राज्यों के विधानसभा चुनावों में दीनदयाल उपाध्याय के नेतृत्व में भारतीय जनसंघ के चुनावी प्रचार के दौरान कांग्रेस का एकाधिकारवाद टूटा और आईएनसी को कई राज्यों में हार का सामना करना पड़ा. इसके साथ ही कुछ ही वर्षों बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में चल रही कांग्रेस सरकार के विरूद्ध देश में जन-असंतोष उभरने लगा. गुजरात के नवनिर्माण आंदोलन के साथ बिहार में छात्र आंदोलन शुरू हो गया. आंदोलन को देखते हुए इंदिरा सरकार ने 25-26 जून 1975 की रात को देश में आपातकाल लागू कर दिया. इसके 2 साल बाद यानी 1977 को लोकसभा भंग कर दी तथा देश में चुनाव का बिगुल फूंक दिया. जहां जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में राष्ट्रीय दल ‘जनता पार्टी’ का गठन किया गया. इस दौरान सभी विपक्षी पार्टियों ने एक मंच पर आकर कांग्रेस का विरोध किया और देश में पहली बार गैर-कांग्रेस सरकार बनी. इससे पूर्व भारतीय जनसंघ ने 1 मई, 1977 को 5 हजार कार्यकर्ताओं के साथ जनता पार्टी में विलय करा दिया था.
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