किसानों के लिए खुशखबरी है. योगी सरकार 17 मार्च से गेहूं खरीद शुरू करने जा रही है. यह खरीद 15 जून तक चलेगी. इस बार किसानों का भुगतान जल्द कर दिया जाएगा.
LUCKNOW: किसानों के लिए खुशखबरी है. योगी सरकार 17 मार्च से गेहूं खरीद शुरू करने जा रही है. यह खरीद 15 जून तक चलेगी. इस बार किसानों का भुगतान जल्द कर दिया जाएगा. गेहूं खरीद के दौरान कोई दिक्कत न हो, इसके लिए क्रय केंद्रों पर खास इंतजाम किए गए हैं. गेहूं की खरीद प्रतिदिन सुबह 8 से रात 8 बजे तक होगी.
fcs.up.gov.in या मोबाइल ऐप UP KISHAN MITRA पर पंजीकरण व नवीनीकरण अनिवार्य
गेहूं की बिक्री के लिए किसानों को खाद्य व रसद विभाग के पोर्टल fcs.up.gov.in या विभाग के मोबाइल ऐप UP KISHAN MITRA पर पंजीकरण व नवीनीकरण कराना अनिवार्य है. गेहूं की बिक्री के लिए पहली मार्च से पंजीकरण प्रारंभ हो चुका है. अब तक प्रदेश के 2.65 लाख से अधिक किसानों ने पंजीकरण करा लिया है. खरीद के लिए पूरे प्रदेश में 6500 क्रय केंद्र बनाए गए हैं.
केंद्र सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य 2425 रुपये प्रति कुंतल निर्धारित किया है, जो विगत वर्ष से 150 रुपये प्रति कुंतल अधिक है. जबकि पिछले वर्ष गेहूं का समर्थन मूल्य 2275 रुपये प्रति कुंतल था. सीएम योगी ने निर्देश दिया कि मोबाइल केंद्र के माध्यम से भी किसानों के गांवों में जाकर खरीद होगी, जिससे उन्हें कोई दिक्कत न हो.
प्रतिदिन सुबह 8 से रात 8 बजे तक गेहूं खरीद
खाद्य व रसद विभाग के मुताबिक रविवार व अन्य अवकाशों को छोड़कर 15 जून तक क्रय केंद्रों पर गेहूं खरीद प्रतिदिन सुबह 8 से रात्रि 8 बजे तक होगी. किसी भी समस्या के् लिए किसान खाद्य व रसद विभाग के टोल फ्री नंबर 18001800150 पर संपर्क कर सकते हैं. इसके अलावा किसान जिला खाद्य विपणन अधिकारी या तहसील के क्षेत्रीय विपणन अधिकारी या ब्लॉक के विपणन अधिकारी से भी संपर्क कर सकते हैं.
खाद्य व रसद विभाग सीधे किसानों के आधार लिंक खाते में 48 घंटे के अंदर भुगतान कर देगा. 17 मार्च से शुरू होने वाली गेहूं खरीद के लिए विभाग ने सारी तैयारी पूरी कर ली है. विभाग ने किसानों से अनुरोध किया है कि गेहूं को ओसाकर, मिट्टी, कंकड़, धूल आदि को साफकर अच्छी तरह से सुखाकर ही क्रय केंद्र पर बिक्री के लिए लेकर आएं.
ये भी पढ़ेंः मार्च में भी विदेशी परिंदे दर्ज करा रहे अपनी मौजूदगी, पक्षी वैज्ञानिक हैरान, कहा- संगम जल की शुद्धता का संकेत
- लखनऊ से धीरज त्रिपाठी की रिपोर्ट