Weather Forecast : मौसम विभाग की ओर से दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे उत्तर भारत के लिए एक चौंकाने वाली भविष्यवाणी की गई है. इसके अनुसार, जनवरी में ठंड तुलनात्मक रूप से कम पड़ेगी.
01 January, 2025
Weather Forecast : जनवरी महीने के साथ ही नए साल की शुरुआत हो चुकी है. नए साल के साथ ही ठंड ने जोर पकड़ा है. दिल्ली, यूपी, हरियाणा पंजाब और राजस्थान समेत कई राज्यों के लोग नए साल के पहले दिन कांपते नजर आए. बावजूद इसके उत्तर भारत में वह ठंड नहीं पड़ रही है, जिसका इंतजार किसानों के साथ अन्य लोगों को रहता है. इस बीच भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (Indian Meteorological Department) के ताजा पूर्वानुमान के अनुसार, दिल्ली, यूपी, बिहार, हरियाणा और पंजाब समेत भारत के अधिकांश भागों में जनवरी में ‘गर्मी’ रहने की संभावना है. इसका मतलब जनवरी में वैसी ठंड नहीं पड़ेगी जैसी पिछले अन्य सालों में पड़ती रही है. IMD के ताजा पूर्वानुमान के अनुसार, जनवरी के दौरान पूर्वी, उत्तर-पश्चिम और पश्चिम-मध्य क्षेत्रों के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर पूरे महीने देश के अधिकांश भागों में न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है. कुल मिलाकर ठंड से लोगों को अधिक परेशानी नहीं होगी.
सामान्य से अधिक रहेगा तापमान
IMD के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र (IMD Director General Mrityunjay Mohapatra) ने एक वर्चुअल प्रेस ब्रीफिंग में जानकारी दी कि जनवरी महीने में वैसी ठंड नहीं पड़ेगी, जिस तरह पिछले सालों के दौरान पड़ती रही है. उन्होंने बताया कि उत्तर-पश्चिम, मध्य और पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों और दक्षिणी प्रायद्वीप के मध्य भागों को छोड़कर देश के अधिकांश राज्यों/इलाकों में अधिकतम तापमान भी सामान्य से अधिक रहने की संभावना है.
कम दिनों तक पड़ेगी भीषण ठंड
वैसे भी IMD पहले ही अनुमान जता चुका है कि इस बार एक 5-6 दिन ही भीषण और कड़ाके की ठंड पड़ेगी. मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि मध्य भारत के पश्चिमी और उत्तरी भागों में जनवरी महीने में सामान्य से अधिक शीत लहर वाले दिन रहने की संभावना है. वहीं, जनवरी से मार्च के दौरान उत्तर भारत में वर्षा सामान्य से कम रहने की संभावना है, जो दीर्घावधि औसत (एलपीए) के 86 प्रतिशत से कम होगी. उन्होंने बताया कि 1971-2020 के आंकड़ों के आधार पर इस अवधि के दौरान उत्तर भारत में औसत वर्षा लगभग 184.3 मिमी है.
फसलों को सकता है नुकसान
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश जैसे उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी राज्य सर्दियों (अक्टूबर से दिसंबर) में जौ के अलावा गेहूं, मटर और चना यानी रबी की फसलें उगाते हैं. वहीं, गर्मियों (अप्रैल से जून) में उनकी कटाई करते हैं. ऐसे में पश्चिमी विक्षोभ के चलते ठंड के दौरान बारिश से रबी की फसलों को थोड़ा फायदा पहुंचता है. गौरतलब है कि ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते पिछले तीन दशकों के दौरान मौसम चक्र में परिवर्तन आया है.
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