Introduction
वर्ष 2025 शुरू हो चुका है. हर बार की तरह लोगों ने इस साल का स्वागत भी बड़ी खुशी और उत्साह के साथ किया. नए साल का पहला हफ्ता कैसे निकल गया पता ही नहीं चला. हालांकि, नया साल हर किसी के लिए खुशियां लेकर नहीं आया. इस साल के शुरूआत में कई ऐसी घटनाएं घटीं हैं जिनका असर पूरी दुनिया पर देखने को मिल रहा है. वायरस से लेकर भूकंप तक दुनिया ने पहले ही हफ्ते इन चीजों का अनुभव कर लिया है. हालांकि, अभी तो साल की शुरुआत हुई है और पूरा साल अभी बाकी है. क्या साल भर देश दुनिया में लोगों को ऐसी ही घटनाओं का सामना करना पड़ेगा या 2025 कुछ शांति और सुकून भी लाएगा. इस सवाल का जवाब तो वक्त ही देगा. लेकिन साल 2025 में अब तक देश और दुनिया में कौन-कौन सी बड़ी घटनाएं हुईं हैं उन पर एक नजर डालते हैं.
Table Of Content
- Generation Beta का शुरू हुआ दौर
- Generation Beta युग के पहले बच्चे ने लिया जन्म
- चुनौतियों का भी सामना करेंगे Generation Beta
- शिक्षा तक ही नहीं सीमित होंगे Generation Beta
- इसके पहले भी पीढ़ियों के हुए हैं नामकरण
- ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस
- कहां से आया ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस?
- देश में कितने केस हुए दर्ज?
- कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो का इस्तीफा
- क्या थी पद छोड़ने की मुख्य वजह?
- जस्टिन ट्रूडो के कई मंत्रियों ने दिया इस्तीफा
- भारत के खिलाफ अगल रुख में थे जस्टिन ट्रूडो
- एशिया के कई हिस्सों में आया भूकंप
- बिहार और लखनऊ में भी भूकंप के जोरदार झटके
- कहां- कहां आया भूकंप?
- विशेषज्ञों ने दी थी चेतावनी
- तिब्बत में हुई 32 लोगों की मौत
- दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान
- इस बार दिल्ली के दिल में हैं कितने वोटर्स?
- क्या है दिल्ली में चुनाव कार्यक्रम?
Generation Beta का शुरू हुआ दौर
नया साल अपने साथ नया युग भी लेकर आया है. साल 2025 के साथ ही Generation Beta का दौर शुरू हो गया है. मिलेनियल्स, जेन जी और जेन अल्फा के बाद अब Gen Beta का दौर शुरू हो गया है. जानकारी के लिए बता दें कि Gen Beta उन बच्चों को कहा जाएगा जिनका जन्म 1 जनवरी, 2025 से लेकर 31 दिसंबर, 2039 के बीच होगा. Gen Beta नाम को लेकर लोगों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं. लोगों का मानना है कि जिन बच्चों का जन्म 2025 से 2039 के बीच होगा वो आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में माहिर होंगे, क्योंकि वे एआई के जमाने में पैदा हुए हैं.
Generation Beta युग के पहले बच्चे ने लिया जन्म
1 जनवरी, 2025 को रात 12:03 बजे मिजोरम के आइजोल में Generation Beta युग के पहले बच्चे ने जन्म लिया. इस बेबी का नाम फ्रेंकी रखा गया है. बेबी फ्रेंकी न केवल 2025 में पैदा हुआ भारत का पहला बच्चा ही नहीं, बल्कि अपनी पीढ़ी का भी पहला बीटा शिशु है. उसके पिता का नाम जेड्डी रेमरुअत्संगा और मां का नाम रामजिरमावी है. पीढ़ियों में परिवर्तन करीब 20 साल में होता आया है, लेकिन इस बार महज 11 साल के अंतराल पर ही Generation Beta आ गया है.
चुनौतियों का भी सामना करेंगे Generation Beta
साल 2025 में पैदा हुए बच्चे, उस युग में पैदा हुए जहां हर चीज बस एक क्लिक की दूरी पर है. उनके पास रोबोट, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और स्मार्टफोन समेत कई नई तकनीक होंगी. इस बीच उन्हें कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ेगा. धरती के तापमान में बढ़ोतरी, शहरों की बिगड़ती हवा और जनसंख्या वृद्धि जैसी परेशानियों का सामना उन्हें करना पड़ेगा. इन सभी चुनौतियों से निपटने के लिए Generation Beta को कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी.
शिक्षा तक ही नहीं सीमित होंगे Generation Beta
Generation Beta न केवल तकनीक के जरिए अपनी पहचान बनाएंगे बल्कि वर्चुअल और मिक्स्ड रियलिटी के माध्यम से शिक्षा के प्रति भी गहरी रूचि रखेंगे. जहां शिक्षा सिर्फ स्कूल तक सीमित नहीं रहेगी. शिक्षा के अलावा उनकी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी गहरी मौजूदगी रहेगी. डिजिटल जुड़ाव और वैश्विक संस्कृति के कारण Generation Beta ज्यादा ग्लोबल माइंडसेट विकसित करेंगे.
इसके पहले भी पीढ़ियों के हुए हैं नामकरण
विज्ञानियों की मानें तो आमतौर पर एक पीढ़ी 15 से 20 साल की अवधि की होती है. पीढ़ी का नामकरण उस दौर की सांस्कृतिक, आर्थिक और तकनीकी घटनाओं के आधार पर किया जाता है. जैसे साल 1901 से लेकर 1924 के दौर में पैदा हुई पीढ़ी को ‘ग्रेटेस्ट जेनरेशन’ कहा गया था. इन लोगों ने महामंदी और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अपना जीवनयापन किया था. साल 1925 से लेकर 1945 के दौर में पैदा हुए बच्चों को ‘साइलेंट जेनरेशन’ के रूप में जाना जाता है, क्योंकि इस सालों में जन्में बच्चे महामंदी और द्वितीय विश्व युद्ध में पले-बढ़े हैं. साल 1946 से लेकर 1964 के बीच पैदा हुई पीढ़ी को ‘बेबी बूम’ कहा जाता है, क्योंकि इस पीढ़ी का जन्म द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हुआ है. साल 1965-1979 के बीच पैदा हुए बच्चों को ‘जनरेशन एक्स’ के नाम से जाना जाता है, क्योंकि ये आर्खिक मंदी और सामाजिक परिवर्तनों के दौर में बढ़े हुए हैं. साल 1980 से लेकर 1994 तक की पीढ़ी को ‘मिलेनियल जनरेशन’ के रूप में जाना जाता है क्योंकि इस दौर में जन्में बच्चे डिजिटल दौर और शिक्षा के प्रति समझ के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध हैं. साल 1995 से लेकर 2012 के दौर में जन्मे बच्चों को ‘जनरेशन Z’ के नाम से जाना जाता है, क्योंकि इस दौर में इंटरनेट, सोशल मीडिया को साथ लेकर चलने का दौर है. साल 2013 से लेकर 2024 तक जन्में बच्चों को ‘जनरेशन अल्फा’ के नाम से जाना जाता है.
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ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस
लोग कोविड-19 वायरस से उबर नहीं पा रहे थे कि इस बीच ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस ने अपनी मौजूदी दर्ज करा दी. देखते ही देखते यह वायरस कई देशों में फैलता जा रहा है. चीन से शुरू हुआ संक्रमण यूएस-मलेशिया के बाद अब भारत में भी पहुंच गया है. 6 दिसंबर को सबसे पहले कर्नाटक में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस का पहला मामला रिपोर्ट किया गया. वहीं, 24 घंटे के अंदर ही ये तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र में भी पहुंच गया. ये वायरस श्वसन तंत्र, खासकर फेफड़ों और श्वसन नलियों को प्रभावित करता है. इसके लक्षण सामान्य सर्दी और फ्लू जैसे होते हैं. यह वायरस उन व्यक्तियों के लिए अधिक खतरनाक हो सकता है, जो पहले से सांस से संबंधित बीमारियों या एलर्जी से पीड़ित हैं.
कहां से आया ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस?
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस नया नहीं है. पहली बार इसकी पहचान साल 2001 में की गई थी. हालांकि, यह पहले से ही मनुष्यों के श्वसन तंत्र को प्रभावित कर रहा था. यह वायरस श्वसन प्रणाली में संक्रमण उत्पन्न करता है और आमतौर पर मौसमी रूप से फैलता है. ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस का स्रोत मुख्य रूप से अन्य संक्रमित व्यक्तियों से होता है, और यह हवा के माध्यम से या संक्रमित सतहों से संपर्क करने से फैल सकता है. यह वायरस पशुओं में भी पाया गया है, लेकिन मनुष्यों में इसका संक्रमण मुख्य रूप से मानव-से-मानव संपर्क के माध्यम से होता है.
देश में कितने केस हुए दर्ज?
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो गुजरात के हिम्मतनगर में 8 साल के बच्चे के इस संक्रमण से पॉजिटिव होने की खबर सामने आई. यहां बता दें कि देश में वायरस से जुड़े कुल 11 मामले निकल चुके हैं. वहीं, महाराष्ट्र में 3, गुजरात, कर्नाटक और तमिलनाडु में 2-2, पश्चिम बंगाल और यूपी में एक-एक केस सामने आया हैं. ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस के लगातार बढ़ते मामलों को लेकर राज्यों ने सतर्कता बढ़ा दी है. देश के अलग-अलग राज्यो में प्रशासन ने गाइडलाइन जारी की है. जहां एक तरफ पंजाब में बुजुर्गों और बच्चों को मास्क पहनने की सलाह दी गई है तो वहीं, दूसरी तरफ गुजरात में अस्पतालों में आइसोलेशन वार्ड बनाए जा रहे हैं. हरियाणा में भी स्वास्थ्य विभाग ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस को लेकर अलर्ट पर है.
कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो का इस्तीफा
कनाडा के 23वें प्रधानमंत्री और एक दशक से ज्यादा समय तक लिबरल पार्टी के नेता रहे जस्टिन ट्रूडो 6 जनवरी, 2025 को पीएम पद से अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी है, जिससे उनका 9 साल का कार्यकाल समाप्त हो गया. इस्तीफे की घोषणा के दौरान उन्होंने खुद को एक फाइटर बताया. इस्तीफे की घोषणा करते हुए जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि मैं एक योद्धा हूं. मेरे शरीर के हर एक हिस्से ने हमेशा मुझे लड़ने के लिए कहा है. क्योंकि मैं कनाडाई लोगों की परवाह करता हूं, मैं इस देश की तहे दिल से परवाह करता हूं और मैं हमेशा कनाडाई लोगों के सर्वोत्तम हित में प्रेरित रहूंगा. लंबे समय से चल रहे विरोधाभास और उथल-पुथल की राजनीतिक परिस्थितियों के चलते जस्टिन ट्रूडो ने अपने इस्तीफे का एलान किया.
क्या थी पद छोड़ने की मुख्य वजह?
रिपोर्ट्स की मानें तो जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे की सबसे बड़ी वजह कनाडा की राजनीति में उनकी स्थिति का कमजोर होना है. कई महीनों से पार्टी के अंदर जस्टिन ट्रूडो के खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहा था. कई सांसद उनके इस्तीफे की मांग कर रहे थे. बता दें कि कनाडा में इस साल अक्टूबर में चुनाव होना है. इसके अलावा ऊंची कीमतों, ब्याज दरों और आवास की कमी से जनता की नाराजगी सामने आ रही है. हाल ही में कनाडा की राजनीति में हुए सर्वे में जस्टिन ट्रूडो की लोकप्रियता में कमी और लिबरल पार्टी के प्रति मतदाताओं के बीच समर्थन में गिरावट बताई गई.
जस्टिन ट्रूडो के कई मंत्रियों ने दिया इस्तीफा
दरअसल, पिछले साल दिसंबर में कनाडा की वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने नीतिगत टकराव के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, जो ट्रूडो सरकार के लिए एक बड़ा झटका था. यहां बता दें कि वो जस्टिन ट्रूडो के अमेरिकी टैरिफ से निपटने के तरीके और उनकी आर्थिक रणनीति पर नाराज थीं. वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड के इस्तीफे के बाद से जस्टिन ट्रूडो पर पद छोड़ने का दबाव और ज्यादा बढ़ गया .
भारत के खिलाफ अगल रुख में थे जस्टिन ट्रूडो
साल 2021 में जस्टिन ट्रूडो की पार्टी ने जगमीत सिंह के नेतृत्व वाली न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ गठबंधन किया था, जो खालिस्तान समर्थक रैलियों में भाषण और भारत विरोधी रुख के लिए जाने जाते रहे हैं. इसके बाद सितंबर 2023 में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सार्वजनिक रूप से भारतीय अधिकारियों पर कनाडा में खालिस्तानी हरदीप निज्जर की मौत में शामिल होने का आरोप भी
लगाया था, जिसके बाद भारत ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी. वहीं, अक्टूबर 2024 में कनाडा ने खालिस्तानियों पर हमलों के मामलों में कई भारतीय राजनयिकों की जांच की बात कही. उस दौरान भारत पर आरोप लगाया गया कि भारतीय राजनयिक और खुफिया अधिकारी विदेशों में खालिस्तानियों को मारने के लिए गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के साथ काम कर रहे हैं. कनाडा ने भारत के गृहमंत्री अमित शाह को भी लेकर बड़ा बयान दिया था. उन्होंने अमित शाह पर हिंसा में हिस्सा लेने का गंभीर आरोप लगाया था. इस घटना के बाद से बात बिगड़ी और भारत ने कनाडा से कई राजनयिकों को वापस बुला लिया और कई कनाडाई राजनयिकों को भी निष्कासित कर दिया.
एशिया के कई हिस्सों में आया भूकंप
साल 2025 की शुरूआत कंपकपाती धरती के साथ हुई. 7 जनवरी, 2025 को एशिया समेत कई जगहों पर धरती कांप उठी. नेपाल, बांग्लादेश, चीन समेत भारत के कई राज्यों की सुबह भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. इसके बाद से सोशल मीडिया पर लोगों ने भूकंप को लेकर अपनी अलग-अलग प्रतिक्रिया शेयर कीं. ज्यादातर लोगों ने घरों से पंखा, झालर लाइट का वीडियो शेयर करते हुए भूकंप के झटकों के बारे में बताया. भूकंप का केंद्र नेपाल बॉर्डर के पास तिब्बत बताया जा रहा है, जहां इसकी तीव्रता 7.1 दर्ज की गई थी.
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बिहार और लखनऊ में भी भूकंप के जोरदार झटके
उत्तर प्रदेश के लखनऊ समेत बिहार जैसे कई राज्यों में सुबह के समय भूकंप के तेज झटकों ने लोगों का दिल दहला दिया. 10 सेकेंड से अधिक समय तक धरती हिलती रही, जिससे लोगों में दहशत फैल गई. कड़ाके की ठंड में आए भूकंप के इन झटकों ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी. इस दौरान इसकी तीव्रता 7.1 दर्ज की गई. बिहार में भी लोगों को सुबह-सुबह भूकंप के झटके महसूस हुए, जिसके बाद से लोगों के मन में डर की स्थिति पैदा हो गई. बिहार की राजधानी पटना में सुबह करीब 6:32 बजे से झटके लगने शुरू हुए. पहले हल्के झटके लगे, इसके बाद तेजी से धरती हिली. नेपाल में भी भूकंप के जोरदार झटके महसूस किए गए हैं. इसकी तीव्रता रिएक्टर स्केल पर 7.0 रही. नेपाल की सीमा के पास तिब्बत में भी भूकंप आया. भूकंप के झटके भारत के कई हिस्सों में भी महसूस किए गए हैं. यूएस जियोलॉजिकल सर्वे ने बताया है कि नेपाल के लोबुचे से 90 किलोमीटर उत्तर पूर्व में 7.0 तीव्रता का भूकंप आया. भूकंप का केंद्र 10.0 किलोमीटर की गहराई पर था.
कहां- कहां आया भूकंप?
यूपी, दिल्ली और बिहार के ज्यादातर हिस्सों में भूकंप के झटके महसूस किए गए. पटना, सुपौल, अररिया, शिवहर सहित कई हिस्सों में सुबह 6.35 से 6.37 के बीच भूकंप के झटके महसूस हुए. वहीं नेपाल, बांगलादेश, भूटान, चीन, सहित कई देशों में भी सुबह-सुबह धरती कांप उठी.
विशेषज्ञों ने दी थी चेतावनी
जानकारी की मानें तो विशेषज्ञों ने नेपाल में बड़े भूकंप के खतरे को लेकर चेतावनी दी थी. रिकॉर्ड के अनुसार नेपाल में कुछ ही दिनों में 3 तीव्रता से अधिक का नौवां भूकंप 2 जनवरी, 2025 को आया था. बता दें कि इससे पहले नवंबर 2024 में नेपाल में 6.4 तीव्रता का भूकंप आया था. इस दौरान 145 लोगों की मौत की खबर सामने आई थी. यह भूकंप नेपाल के जजरकोट और रुकुम पश्चिम स्टूडियो में आया था. भूकंप से 140 अन्य लोग घायल भी हो गए थे.
तिब्बत में हुई 32 लोगों की मौत
चीन में तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के जिगाज़े शहर में मंगलवार को 6.8 तीव्रता का भूकंप आया, जिसमें 32 लोग मारे गए और 38 घायल हो गए. क्षेत्रीय आपदा राहत मुख्यालय के अनुसार, चीन में तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के जिगाज़े शहर में डिंगरी काउंटी में सुबह 9:05 बजे (बीजिंग समयानुसार) भूकंप आया. भूकंप का केंद्र 28.5 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 87.45 डिग्री पूर्वी देशांतर पर देखा गया.
दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान
दिल्ली की कुल 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव की तारीखों का एलान हो चुका है. दिल्ली में एक चरण में 5 फरवरी को मतदान होगा. वहीं, 8 फरवरी को मतगणना की जाएगी. चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी जानकारी दी है. दिल्ली में मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 23 फरवरी को समाप्त होने वाला है. इसके पहले ही विधानसभा चुनाव कराने हैं. साल 2020 के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने कुल 62 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं, भारतीय जनता पार्टी को सिर्फ 8 सीटों पर ही जीत मिली थी. जबकि, कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला था. इस बार के विधानसभा चुनाव में जीत को सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक पार्टियां एड़ी-चोटी का जोर लगा रही हैं.
इस बार दिल्ली के दिल में हैं कितने वोटर्स?
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि इस साल विधानसभा चुनाव में कुल 1,55,24,858 (1 करोड़ 55 लाख 24 हजार 858) मतदाता वोट डालने के योग्य हैं. इनमें 83.49 लाख पुरुष मतदाता और 71.73 लाख महिला मतदाता हैं. उन्होंने आगे बताया कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए कुल 13033 पोलिंग बूथ बनाए जाएंगे. इसके अलावा 85 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग मतदाता अपने घर से ही वोट कर सकेंगे.
क्या है दिल्ली में चुनाव कार्यक्रम?
गौरतलब है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए अधिसूचना 10 जनवरी तक जारी कर दी जाएगी. इसके बाद से नामांकन की प्रक्रिया को शुरू किया जाएगा जिसकी आखिरी तारीख 17 जनवरी तय की गई है. वहीं, 18 जनवरी को नामांकन के पत्रों की जांच की जाएगी. नाम वापसी का अंतिम दिन 20 जनवरी को तय किया गया है. दिल्ली के लोग 5 फरवरी को मतदान करेंगे और 8 फरवरी को परिणाम की घोषणा की जाएगी.
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