Home National इस्तेमाल होने के बाद नहीं हो रही सोलर पैनल की रीसाइक्लिंग, NGT ने मांगा केंद्र सरकार से जवाब

इस्तेमाल होने के बाद नहीं हो रही सोलर पैनल की रीसाइक्लिंग, NGT ने मांगा केंद्र सरकार से जवाब

by Sachin Kumar
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Solar panels not recycled use NGT notice Center sought reply

Solar Panels News : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने डिस्पोजल और रीसाइक्लिंग पर केंद्र को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है. एक किसान ने अपनी याचिका में सोलर पैनलों के डिस्पोजल की सुविधाओं की कमी का दावा किया है.

Solar Panels News : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने फोटोवोल्टिक (PV) सोलर पैनलों के डिस्पोजल और रीसाइक्लिंग पर नोटिस भेजकर केंद्र से जवाब मांगा है. NGT उत्तर प्रदेश के रहने वाले किसान की तरफ से एक पत्र याचिका पर सुनवाई कर था, जिसमें इस्तेमाल किए जा चुके सोलर पैनलों के डिस्पोजल की सुविधाओं की कमी का दावा किया था. एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ ने 23 दिसंबर को दिए अपने आदेश में कहा कि याचिका में दावा किया गया है कि 2019 से कुसुम योजना के तहत उनके गांव में कृषि क्षेत्रों में सिंचाई के लिए ऊर्जा पैदा करने के लिए सोलर पैनल का उपयोग किया जा रहा है और उसका एक जीवन चक्र है.

सोलर पैनल की नहीं हो सकती मरम्मत

याचिका में आगे कहा गया है कि सोलर पैनल की एक उम्र होती है और उसके पूरा होने के बाद दोबारा मरम्मत नहीं की जा सकती है, इसलिए इसे स्क्रैप करके फेंक दिया जाता है. हालांकि उसे डिस्पोजल करने के लिए कोई भी बुनियादी संरचना नहीं है. वहीं, मामले की सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि याचिका के मुताबिक, अगर इन सौर पैनलों की मरम्मत नहीं की जा सकती है तो इन्हें कबाड़ के रूप में फेंक दिया जाना चाहिए था. लेकिन इसे खत्म करने के लिए बुनियादी ढांचे की कमी होने की वजह से इन पैनलों को जमीन में दफनाना पड़ता है, जिसकी वजह से मिट्टी की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.

पॉलिमर और सिलिकॉन की नहीं होती रीसाइक्लिंग

एनजीटी ने कहा कि याचिका में विभिन्न मुद्दे उठाए गए हैं जिसमें पैनल का स्क्रैप मूल्य भी शामिल है, क्योंकि स्क्रैप डीलर केवल पीवी पैनलों के एल्यूमीनियम, तांबे और कांच को स्वीकार करते हैं जबकि पॉलिमर और सिलिकॉन समेत कई वस्तुओं को नॉन-रीसाइक्लिंग होती है और उन्हें जमीन में दफनाया जाता है. याचिका में कहा गया कि पीवी पैनलों में सीसा और कैडमियम जैसी भारी धातुएं होती हैं जिसकी वजह से मिट्टी और पानी में घुलकर इसका दीर्घकालिक पर्यावरणीय नुकसान होता है. वहीं, ट्रिब्यूनल ने कहा कि याचिका में पर्यावरण मानदंडों का पालन और ई-कचरा से संबंधित मुद्दों को उठाया गया है. अब एनजीटी ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, न्यू और रिन्यूएबल एनर्जी मिनिस्ट्री के सचिवों के अलावा उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) के सदस्य और सचिवों को भी पक्षकार के रूप में शामिल किया गया है.

यह भी पढ़ें- पंजाब के किसान नेता डल्लेवाल की चिकित्सा सहायता पर SC सख्त, भगवंत सिंह मान सरकार को भेजा नोटिस

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