Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संविधान पीठ ने कहा कि राज्य सरकारें 1 अप्रैल 2005 से खनिज संपदा पर कर वसूल सकती हैं.
14 August, 2024
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की 9 जजों की संविधान पीठ ने खनिजों पर टैक्स के मामले पर अपना फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से केंद्र सरकार (Central government) और माइनिंग कंपनियों को झटका लगा है. शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि 1 अप्रैल 2005 से खनिज संपदा पर राज्य सरकारें टैक्स ले सकेंगी. 9 जजों की संविधान पीठ ने पहले भी इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा था कि राज्यों को खनिजों के लिए मिलने वाली रॉयल्टी (Royalty) को टैक्स नहीं माना जा सकता. खनिज युक्त जमीन पर अलग से कर लगाना राज्यों के अधिकार के दायरे में आता है.
टैक्स पर कोई ब्याज या जुर्माना नहीं लगेगा
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि राज्य सरकारें 1 अप्रैल 2005 से 12 साल की अवधि में टैक्स ले सकेंगी. टैक्स के भुगतान का समय 1 अप्रैल 2026 से शुरू होने वाले वित्त वर्ष से 12 वर्षों की अवधि में होगा. टैक्सों का भुगतान किश्तों में किया जाएगा. कोर्ट के इस फैसले से खनिज उद्योग पर काफी प्रभाव पड़ेगा. इस फैसले से खनिज उद्योगों को बड़े पैमाने पर वित्तीय दायित्वों का सामना करना पड़ सकता है. अब कंपनियों को पुराने टैक्सों का भुगतान करना होगा.
राज्य सरकारों के राजस्व में होगी वृद्धि
राज्य सरकारों के लिए सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला बहुत फायदेमंद साबित होगा. बकाया करों की वसूली करने से राज्य सरकारों के राजस्व में वृद्धि होगी. इस वृद्धि का फायदा आम जनता को मिलेगा. सरकार उनके लिए कई कल्याणकारी योजनाएं ला सकती हैं.
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