Protest In Parliament History: यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी संसद में नोट लहरा कर और महिला बिल को फाड़कर लोकतंत्र के मंदिर को शर्मसार किया गया.
Protest In Parliament History: देश की संसद में गुरुवार को कुछ ऐसा देखने को मिला, जिसने लोकतंत्र के मंदिर को शर्मसार कर दिया. परिसर में प्रोटेस्ट कर रहे BJP यानी भारतीय जनता पार्टी के ओडिशा के बालासोर से सांसद प्रताप सारंगी चोटिल हो गए. उन्होंने आरोप लगाया कि लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने एक सांसद को धक्का दिया, जिससे वह चोटिल हो गए. इसके अलावा फर्रुखाबाद के BJP सांसद मुकेश राजपूत को भी चोट आई है. हालांकि, यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी संसद में नोट लहरा कर, महिला बिल को फाड़कर लोकतंत्र के मंदिर को शर्मसार किया गया.
प्रताप सारंगी के सिर से निकला खून
दरअसल, गुरुवार (19 दिसंबर) को गृह मंत्री अमित शाह की भीमराव आंबेडकर पर टिप्पणी को लेकर BJP के सांसद सदन परिसर में प्रोटेस्ट कर रहे थे. BJP सांसदों ने दावा किया कि इसी दौरान राहुल गांधी और कांग्रेस सांसदों को साथ पहुंचे और दोनों ही दलों के बीच धक्का-मुक्की हो गई. धक्का-मुक्की में प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत चोटिल हो गए. प्रताप सारंगी के सिर पर लगी चोट के कारण खून बह रहा था.
कल कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने देश में आग लगाने की धमकी दी,
— Sunil Deodhar (@Sunil_Deodhar) December 19, 2024
और भाजपा सांसद प्रताप सारंगी जी पर हमला!
राहुल गांधी के इस अराजकपूर्ण व्यवहार को देश देख रहा है।
इन्हें #बाबासाहेबआंबेडकर जी के नाम पर सिर्फ़ राजनीति करनी है और कुछ नहीं! 👇#HMIsTrueAmbedkarite pic.twitter.com/f72PypLUiS
दोनों ही सांसदों को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. इस मामले पर राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि उल्टा BJP सांसदों ने उनसे धक्का-मुक्की की है. विपक्षी दलों के सांसदों ने उन्हें सदन में जाने से रोका और धमकाया भी. हालांकि, यह पहली बार नहीं था. इससे पहले भी संसद में शर्मनाक घटनाएं देखने को मिली हैं. साल 2021 में मॉनसून सत्र के दौरान जमकर बवाल देखने को मिला था.
सदन में रिपोर्ट फाड़ा और टीवी स्क्रीन भी तोड़े गए
साल 2021 में मॉनसून सत्र के दौरान में केंद्र में नरेन्द्र मोदी के सरकार के खिलाफ जमकर प्रोटेस्ट देखने को मिला था. कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने सदन के अंदर इतना हंगामा किया कि राज्यसभा के अंदर मार्शलों को बुलाना पड़ गया. हंगामे के दौरान सभापति ने विपक्षी 11 सदस्यों को निलंबित कर दिया था. हंगामे की रिपोर्ट को भी सदस्यों ने फाड़कर हवा में उड़ा दिया.
राज्यसभा में लगी टीवी स्क्रीन को भी तोड़ दिया गया. कुछ महिला सांसदों ने कपड़े या स्कार्फ से प्रतीकात्मक फांसी का फंदा बनाकर सहयोगी सदस्यों के गले में बांधकर नारेबाजी की. कागजों के टुकड़े को राज्यसभा के सभापति की ओर फेंका गया. सदस्यों ने हंगामे के दौरान मार्शल के साथ भी बदसलूकी की. केंद्र सरकार ने इस घटना को भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का ‘काला अध्याय’ करार दिया था.
तेलंगाना को अलग राज्य बनाने पर जमकर हंगामा
इससे पहले 13 फरवरी, 2014 को देश की संसद में कुछ ऐसा नजारा देखने को मिला, जिसने लोकतंत्र के मंदिर को शर्मसार कर दिया. यह घटना इतनी बड़ी थी कि सदन में कुल चार एंबुलेंस बुलाना पड़ गई और कई सांसदों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. दरअसल, तत्कालीन गृहमंत्री सुशील शिंदे ने तेलंगाना को अलग राज्य बनाने का बिल पेश किया था. बिल पेश होते ही विपक्षी सांसदों की ओर से जोरदार हंगामा शुरू हो गया.
तेलंगाना को अलग राज्य बनाने का विरोध कर रहे सांसदों ने जमकर बवाल काटा. इसी दौरान कांग्रेस के तत्कालीन सांसद एल राजगोपाल ने गिलास तोड़ा फिर कार्यवाही बाधित करने के लिए काली मिर्च के स्प्रे को छिड़क दिया. इससे कई सांसदों की तबीयत बिगड़ गई. हंगामा इतना बड़ा हो चुका था कि TDP के तत्कालीन सांसद वेणुगोपाल पर चाकू निकालने का आरोप तक लग गया था. हालांकि, बाद में उन्होंने चाकू निकालने वाली बात का खंडन कर दिया. देश के साथ-साथ विदेशी मीडिया ने भी इस घटना को ‘संसदीय इतिहास का काला दिन’ बताया.
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सदन में साल 2011 में फाड़ा गया लोकपाल बिल
6 दिसंबर, 2012 को भी सदन में कुछ ऐसी ही घटना देखने को मिली. राज्यसभा में सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में SC-ST के लिए आरक्षण से जुड़े बिल को पेश करने पर इतना हंगामा हुआ कि सदन में हाथापाई तक हो गई. दरअसल, जैसे ही तत्कालीन उपसभापति पीजे कुरियन की ओर से बिल को आगे बढ़ाने का निर्देश मिला, वैसे ही सदन में बवाल मच गया. उस समय कांग्रेस के नेतृत्व वाली UPA सरकार की सहयोगी समाजवादी पार्टी के सांसद नरेश अग्रवाल वेल की ओर बढ़े. उन्हें रोकने की कोशिश में BSP यानी बहुजन समाज पार्टी के सांसद अवतार सिंह ने उनका कॉलर पकड़ लिया. इस पर दोनों के बीच हाथापाई की नौबत आ गई. दोनों ही पार्टी के सांसदों के बीच भी धक्का-मुक्की होने लगी. मामले को शांत करने के लिए मार्शल बुलाने पड़े.
29 दिसंबर, 2011 में तो लोकपाल बिल को फाड़ दिया गया था. शीतकालीन सत्र के दौरान तत्कालीन केंद्रीय मंत्री वी. नारायणसामी ने लोकपाल बिल पेश किया. बहस के दौरान RJD यानी राष्ट्रीय जनता दल के सांसद राजनीति प्रसाद ने बिल छीनकर फाड़ दिया. हंगामे और बहस के बीच राज्यसभा की कार्यवाही को आधी रात तक चलाना पड़ा था. राज्यसभा के तत्कालीन सभापति हामिद अंसारी ने देर रात सांसदों को घर जाने के लिए कह दिया.
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सदन में हुआ था महिला आरक्षण बिल पर हंगामा
इससे पहले साल 2008 में महिला आरक्षण बिल पर हंगामा देखने को मिला था. 8 मार्च 2010 को महिला आरक्षण बिल को राज्यसभा में पेश किया गया था. राज्यसभा में RJD सांसद सुभाष यादव, राजनीति प्रसाद और समाजवादी पार्टी सांसद कमाल अख्तर ने तत्कालीन सभापति हामिद अंसारी के आसन तक पहुंचकर आरक्षण बिल की प्रतियां फाड़कर लहरा दी.
वहीं, 22 जुलाई 2008 को संसद में नोट लहराने का मामला सामने आया था. दरअसल, अमेरिका के साथ परमाणु समझौते पर वाम दलों ने तत्तालीन UPA सरकार से समर्थन वापस ले लिया. इसी बीच BJP के अशोक अर्गल, फग्गन सिंह कुलस्ते और महावीर भगौरा लोकसभा में एक करोड़ रुपये की गड्डी लेकर सदन पहुंचे और नोटों को हवा में उछाल दिया. तीनों ने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी के तत्कालीन महासचिव अमर सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल उनपर विश्वास प्रस्ताव के समर्थन में वोट देने के लिए इन रुपये की पेशकश की.
इससे पहले फरवरी 1997 में तत्तकालीन वित्त मंत्री रामविलास पासवान रेल बजट पेश कर रहे थे. इसी दौरान ममता बनर्जी ने अपना शॉल उनके ऊपर फेंक दिया था.
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