Home National सदन में संविधान पर चर्चा, विपक्ष पर हमलावर हुए पीएम मोदी; जानें किन-किन बातों का किया जिक्र

सदन में संविधान पर चर्चा, विपक्ष पर हमलावर हुए पीएम मोदी; जानें किन-किन बातों का किया जिक्र

by Divyansh Sharma
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Parliament Winter Session 2024: दूसरे दिन की चर्चा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना संबोधन दिया. इस दौरान उन्होंने विपक्षी दलों पर बड़ा हमला बोला.

Parliament Winter Session 2024: सदन में इस वक्त शीतकालीन सत्र चल रहा है. इसी के साथ 26 जनवरी को संविधान निर्माण के भी 75 साल पूरे होने वाले हैं. ऐसे में एक दिन पहले यानी शुक्रवार को लोकसभा में संविधान पर विशेष चर्चा की शुरुआत हुई थी. दूसरे दिन की चर्चा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना संबोधन दिया. इस दौरान उन्होंने विपक्ष पर करारा हमला बोला. गौरतलब है कि इससे पहले राहुल गांधी ने सत्ता पक्ष पर बड़ा हमला बोला था.

‘भारत माता की जय’ के नारों के साथ किया स्वागत

संविधान के 75 वर्ष के मौके पर संविधान पर चर्चा के बीच में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में पहुंचे. सदन में सदस्यों ने उनका जोरदार स्वागत किया. सदन में प्रधानमंत्री का स्वागत ‘भारत माता की जय’ के नारों के साथ किया गया. नारों से पूरा संसद परिसर गूंज उठा. इसके बाद उन्होंने लोकसभा को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र के उत्सव को मनाने का पर्व है और 75 साल की उपलब्धि असाधारण रही है.

उन्होंने आगे कहा कि इन दिनों संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है. भारत के संविधान के 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा पर चर्चा हो रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि 75 साल की यह उपलब्धि असाधारण है. आजादी के दौरान जताई गई संभावनाएं को हराते हुए संविधान हमें यहां तक ले आया है. इसके लिए संविधान निर्माताओं के साथ-साथ मैं देश के कोटि-कोटि नागरिकों को नमन.

शुरू से ही महिलाओं को मतदान का अधिकार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में बाबा साहब आंबेडकर, राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन और डॉक्टर राधाकृष्णन के बयानों को दोहराते हुए कहा कि भारत मदर ऑफ डेमोक्रेसी के रूप में जाना जाता है और विशाल लोकतंत्र नहीं, हम लोकतंत्र की जननी हैं. उन्होंने कहा कि संविधान निर्माण में नारी शक्ति ने संविधान को सशक्त करने की भूमिका निभाई.

उन्होंने जोर देकर कहा कि देश में शुरू से ही महिलाओं को मतदान का अधिकार दिया गया. नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित कर हम महिला शक्ति को भारतीय लोकतंत्र में भागीदारी सुनिश्चित करने का काम कर रहे हैं. उन्होंने फिर कहा कि हमारा देश बहुत तेज गति से विकास कर रहा है और बहुत जल्द विश्व की तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति बनने जा रहा है. उन्होंने दावा किया कि जब हम आजादी की शताब्दी बनाएंगे, हम विकसित भारत बनाकर रहेंगे.

पीएम मोदी ने विपक्ष पर बोला सबसे बड़ा हमला

बाबा साहेब आंबेडकर की चेतावनी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि संविधान को एकता का अधिकार है. लेकिन समस्या यह है कि देश में विविधता से भरा जनमानस है, उसे किस तरह एकमत किया जाए और कैसे एक-दूसरे के साथ निर्णय लेने के लिए प्रेरित किया जाए. उन्होंने दावा किया कि मुझे दुख के साथ कह पड़ रहा है कि आजादी के बाद विकृत मानसिकता और स्वार्थवश सबसे बड़ा प्रहार हुआ तो देश की एकता के मूल-भाव पर ही हुआ.

विविधता को भारत की विशेषता बताते हुए उन्होंने जोर देकर कहा कि गुलामी की मानसिकता में पले-बढ़े लोग विविधता में विरोधाभास ढूंढते रहे और विविधता हमारा अमूल्य खजाना है. उसमें वह ऐसे बीज ढूंढते रहे, जिससे देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचे.

6 दशक में 75 बार संविधान बदला गया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 75 साल पूरे होने के मौके पर सदन में अच्छा होता कि संविधान की शक्ति पर चर्चा होती, लेकिन कुछ लोगों की मजबूरी होती है. मैं बोलना नहीं चाहता था लेकिन तथ्य भी रखने जरूरी हैं. उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस के एक परिवार ने संविधान को चोट पहुंचाने में कोई भी कसर नहीं छोड़ी और मैं एक परिवार का उल्लेख इसलिए करता हूं कि 75 साल में से 55 साल एक ही परिवार ने देश पर राज किया है. देश को क्या हुआ, यह जानने का अधिकार है. परिवार के कुविचार, कुरीति और परंपरा निरंतर चली आ रही है. हर लेवल पर कांग्रेस के परिवार ने संविधान को चुनौती दी.

उन्होंने दावा किया कि संविधान संशोधन करने का ऐसा खून कांग्रेस के मुंह पर चढ़ गया कि वह हर समय पर संविधान का शिकार करते रहे. कांग्रेस संविधान की आत्मा को लहूलुहान करती रही. उन्होंने दावा किया कि करीब 6 दशक में 75 बार संविधान बदला गया और जो बीज देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने बोया उसे खाद-पानी देने का काम एक और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया.

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1952 इस देश में इलेक्टेड गवर्नमेंट नहीं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि साल 1947 से साल 1952 इस देश में इलेक्टेड गवर्नमेंट नहीं थी. अस्थाई व्यवस्था थी और चुनाव नहीं हुए थे और जब तक चुनाव न हो तब तक एक खाका खड़ा किया गया था. 1952 से पहले राज्यसभा तक भी नहीं थी और राज्यों में भी चुनाव नहीं होते थे. देश में कोई जनादेश नहीं था. तभी तो संविधान निर्माताओं ने इतना मंथन किया था और कांग्रेस ने साल 1951 ऑर्डिनेंस लाकर संविधान को बदला.

साथ ही लोगों की अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला कर दिया. संविधान निर्माताओं की तक नहीं चलने दी. उन्होंने पाप किया उसी दौरान प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने मुख्यमंत्रियों को एक चिट्ठी लिखी कि अगर संविधान हमारे रास्ते के बीच में आ जाए तो हर हाल में संविधान में परिवर्तन करना चाहिए. पार्टी में पंडितजी का अपना संविधान चलता था. राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद, स्पीकर, आचार्य कृपलानी, जेपी जैसे महान लोगों ने भी रुकने को कहा लेकिन उन्होंने सलाह नहीं मानी.

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