Pandit Jawahar Lal Nehru Birthday : पंडित नेहरू आधुनिक भारत के निर्माता थे. लेकिन उनसे कई ऐसी भी गलतियां हुई जिसके लिए वर्तमान सरकार भी उन पर निशाना साधती थकती नहीं है.
Pandit Jawahar Lal Nehru Birthday : पंडित जवाहर लाल नेहरू ने स्वतंत्रता संग्राम में 30 सालों तक संघर्ष किया और आजादी दिलाने में उनकी अहम भूमिका रही थी. अपने 30 सालों के संघर्ष में करीब 10 सालों तक जेल में रहे थे. पंडित नेहरू ने स्वतंत्रता संग्रामी के अलावा बैद्धिक और आध्यमिक व्यक्ति भी थे. उनकी बौद्धिकता का आलम यह था कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब वह तीन साल के लिए जेल में बंद थे उस दौरान उन्होंने छह महीने के भीतर डिस्कवरी और ऑफ इंडिया (भारत की खोज) नामक पुस्तक लिख दी थी और यह किताब में इतनी पॉपुलर हुई कि इसका 30 भाषाओं में अनुवाद किया गया और विभिन्न देशों में इसे पढ़ाया जाने लगा.
गलती होना स्वाभाविक था
इस धरती पर दो लोग गलती नहीं करते हैं एक वह जो जन्मा नहीं और दूसरा मर गया. पंडित नेहरू का जन्म भी हुआ था और करीब 75 वर्ष जीवन बिताने के बाद उनकी मृत्यु हो गई थी. ऐसे में यह स्वाभाविक था कि उनसे अच्छे कार्यों के अलावा कई गलतियां हो सकती हैं. हम ऐसी ही कई गलितयों के बारे में चर्चा करने के लिए जा रहे हैं जिन पर कई गंभीर सवाल खड़े किए जाते हैं. जिनमें सबसे गंभीर सवाल है कि उनकी वजह से कश्मीर का एक भारत का हिस्सा न बनकर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) बन कर रह गया.
पाकिस्तान के कब्जे में है कश्मीर का हिस्सा
हमारा देश 15 अगस्त, 1947 को आजाद हुआ था और उसके तीन महीने बाद 22 अक्टूबर, 1947 को कबाइलियों ने हमला कर दिया था हमारी 83 हजार वर्ग किलोमीटर भूमि पर कब्जा कर लिया था. उस घटना में करीब 50 हजार से ज्यादा हिंदू-सिख मारे गए थे. इसके बाद जब कबाइलियों को मात देने के लिए भारतीय सेना आगे बढ़ने लगी तो उसे रोक दिया गया और पंडित नेहरू इस मुद्दे को लेकर UNO चले गए. अब जिस भाग को उस वक्त पाकिस्तान ने कब्जा लिया उसे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर कहते हैं और वहां पर खुलेआम दहशतगर्द अपना आतंक का कैंप चलाते हैं.
क्या नेपाल भारत में शामिल होना चाहता था
भारतीय जनता पार्टी आरोप लगाती है कि नेपाल का विलय भारत में होने से पंडित नेहरू ने रोक दिया, जिस पर काफी चर्चा होती है. BJP नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी एक्स पोस्ट में दावा किया पंडित नेहरू ने नेपाल का भारत में विलय कराने का मौका गंवा दिया. पहली बात तो यह है कि कोई भी देश अपनी आजादी किसी को इतनी आसानी से सौंप नहीं सकता था लेकिन जेएनयू के प्रोफेसर एसडी मुनि ने कहते हैं कि पंडित नेहरू उस वक्त जानते थे कि दुनिया में गठबंधन की राजनीति चल रही है और वह ताकतें चीन के खिलाफ थी. इसके अलावा गोवा के विलय से भारत का काफी विरोध किया जा रहा था ऐसे में तकनीकी रूप से यह संभव नहीं था कि नेपाल का भारत में विलय किया जा सके.
क्या एडविना के साथ थे संबंध
पंडित नेहरू का जीवन जितना शानदार रहा है और उससे ज्यादा उनकी निजी जिंदगी काफी चर्चाओं में रही है. इनमें सबसे प्रमुख भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन की पत्नी एडविना के साथ नेहरू के संबंध को लेकर था. एडविना की बेटी पामेला माउंटबेटन ने अपनी किताब डॉटर्स ऑफ एम्पायर में लिखा कि मां एडविना और पंडित नेहरू के बीच आध्यात्मिक रिश्ता था. किताब के अनुसार माउंटबेटन को पत्नी एडविना और नेहरू के रिश्ते के बारे में पता था, लेकिन उन्होंने कभी इसके बारे में खुलासा नहीं किया था.
तिब्बत को चीन का हिस्सा माना
पंडित जवाहर लाल नेहरू ने पंचशील समझौता (1954) के तहत तिब्बत को चीन हिस्सा मान लिया था, यह उनकी तमाम गलतियों में से एक रही थी. जब चीनी सेना ने साल 1962 में भारत पर हमला किया था उस वक्त सेना यही से आई थी. हम हिंदी-चीनी भाई का नारा लगा रहे थे और वह दूसरी तरफ भारत पर हमला कर रहा था. इस हार की वजह पता लगाने के लिए जनरल हैडरसन और कमांडर ब्रिगेडियर की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया जहां कमेटी की रिपोर्ट ने हार का कारण पंडित जवाहर लाल को माना था.
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