Home National जानें लोकसभा में पास हुआ या नहीं ‘एक देश, एक चुनाव’ बिल, केंद्र के सामने किस तरह की हैं अड़चनें

जानें लोकसभा में पास हुआ या नहीं ‘एक देश, एक चुनाव’ बिल, केंद्र के सामने किस तरह की हैं अड़चनें

by Divyansh Sharma
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One Nation One Election Bill Passed Or Not latest update

One Nation One Election Bill Passed Or Not: बिल पर पहले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग हुई. फिर कुछ आपत्ति जताने के बाद पर्ची से भी मतदान कराया गया.

One Nation One Election Bill Passed Or Not: सदन में इस वक्त शीतकालीन सत्र चल रहा है. शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में ‘एक देश, एक चुनाव’ बिल के लिए 129वां संविधान बिल पेश किया गया. बिल पेश करते ही सदन में विपक्ष ने हंगामा काट दिया.

बिल पेश होने के बाद पहले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग हुई. फिर कुछ सांसदों की ओर से आपत्ति जताने के बाद पर्ची से भी मतदान कराया गया. ऐसे में सवाल उठता है कि भारत में ‘एक देश, एक चुनाव’ बिल को लागू करने में किस तरह की अड़चन आएगी.

15 विपक्षी दलों ने पहले ही जताया था विरोध

लोकसभा में मंगलवार को पेश हुए बिल पर 269 सदस्यों ने पक्ष में वोट डाला, जबकि 198 सांसदों ने विरोध में मतदान किया. ऐसे में कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने अपने X हैंडल पर बताया कि बिल को पास कराने के लिए कुल 461 वोटों में से दो-तिहाई यानी 307 वोटों की जरूरत थी. हालांकि, सरकार को केवल 263 वोट ही मिले. वहीं विपक्ष को विपक्ष को 198 वोट मिले. उन्होंने दावा किया कि BJP की अगुवाई वाली NDA सरकार ‘एक देश, एक चुनाव’ प्रस्ताव पर दो-तिहाई समर्थन हासिल करने में विफल रही.

गौरतलब है कि रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में ‘एक देश, एक चुनाव’ को लेकर बनाई गई समिति में 47 पार्टियों ने अपनी राय दी थी. वहीं, कुल 15 दलों ने विरोध जताया था. ऐसे में पहले से ही माना जा रहा था कि विपक्षी दलों की मदद के बिना संविधान संशोधन बिल पारित होना मुश्किल है. बता दें कि समिति ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 82A और 324A में संशोधन का प्रस्ताव रखा.

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आजादी के बाद 4 बार हुए एक साथ चुनाव

इस संशोधन के बाद लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के लिए एक साथ चुनाव कराए जा सकें. माना जा रहा है कि केंद्र सरकार इस बिल पर आम सहमति बनाना चाहती है और विस्तृत चर्चा के लिए JPC यानी संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा जा सके.

भारत में लोकसभा के चुनाव और राज्य की विधानसभाओं के लिए अलग-अलग समय पर मतदान होते हैं. ऐसे में ‘एक देश, एक चुनाव’ का अर्थ यह है कि देश में एक ही वक्त पर लोकसभा और विधानसभा के मतदान कराए जाएं. गौरतलब है कि देश में आजादी के बाद साल 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के लिए एक समय पर चुनाव हुए थे. हालांकि, साल 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं अपने समय से पहले ही भंग कर दी गई थी और उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई थी. ऐसे में एक देश, एक चुनाव की परंपरा टूट गई.

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