Rajagopala Chidambaram Died: परमाणु परीक्षणों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले प्रख्यात भौतिक विज्ञानी राजगोपाला चिदंबरम का शनिवार को 88 साल की उम्र में निधन हो गया.
Rajagopala Chidambaram Died: परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) के अनुसार साल 1974 और 1998 के परमाणु परीक्षणों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी राजगोपाला चिदंबरम का शनिवार को 88 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. इसकी जानकारी DAE के एक अधिकारी ने दी है. उन्होंने बताया कि परमाणु हथियार कार्यक्रम से भी जुड़े रहे चिदंबरम ने मुंबई के जसलोक अस्पताल में अंतिम सांस ली.
जीवनी और पद्म विभूषण से सम्मानित
डॉ. राजगोपाला चिदंबरम का जन्म चेन्नई में 1936 में हुआ था. उन्होंने चेन्नई के प्रेसीडेंसी कॉलेज और बेंगलुरु के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस से पढ़ाई की. साल 1974 के न्यूक्लियर टेस्टिंग टीम में डॉ. राजगोपाला ने अहम भूमिका निभाई थी. वहीं, वर्ष 1998 में हुए पोखरण परमाणु टेस्ट-2 में उन्होंने टीम को लीड किया. उन्हें साल 1975 में पद्म श्री और 1999 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था. 1990 में उन्होंने भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर की जिम्मेदारी भी संभाली. डॉ. राजगोपाला 1993 में परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष भी बने. इस पद पर वे 2000 तक रहे. इसके सआथ ही वे भारत के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे.
सुपर कंप्यूटर के स्वदेशी विकास की शुरुआत
राजगोपाला चिदंबरम ने भारत में सुपर कंप्यूटर के स्वदेशी विकास की शुरुआत करने और राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क की अवधारणा तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो देश भर के अनुसंधान और शैक्षणिक संस्थानों को जोड़ता था. राष्ट्रीय विकास में विज्ञान और प्रौद्योगिकी को लागू करने के प्रबल समर्थक, चिदंबरम ने ग्रामीण प्रौद्योगिकी कार्रवाई समूह और इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन और सुरक्षा के लिए सोसायटी जैसे कार्यक्रमों की स्थापना की और भारत के वैज्ञानिक प्रयासों में “सुसंगत तालमेल” पर जोर दिया.
प्रधानमंत्री ने जताया दुख
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजगोपाला चिदंबरम के निधन पर गहरा दुख जताया है. उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकांउट पर कहा कि वह भारत के परमाणु कार्यक्रम के प्रमुख वास्तुकारों में से एक थे और उन्होंने भारत की वैज्ञानिक और रणनीतिक क्षमताओं को मजबूत करने में अभूतपूर्व योगदान दिया. पूरा देश उन्हें कृतज्ञता के साथ याद करेगा और उनके प्रयास आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेंगे.
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने व्यक्त की संवेदना
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने प्रसिद्ध परमाणु वैज्ञानिक डॉ. राजगोपाला चिदंबरम के निधन पर संवेदना व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि ये जानकर दुख हुआ, जिन्होंने भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग का नेतृत्व किया और रणनीतिक हथियारों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई वह अब हमारे बीच नहीं हैं. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत की ओर से किए गए दो परमाणु परीक्षणों में डॉ. चिदंबरम की भूमिका यादगार थी. उन्हें 17 वर्षों तक भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार रहने का गौरव भी प्राप्त हुआ. राजगोपाला चिदंबरम ने अपने 6 दशक के करियर के दौरान कई प्रतिष्ठित पदों पर काम किया. इनमें भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (2001-2018), भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के निदेशक (1990-1993), परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष और सरकार के सचिव शामिल थे. इसके अलावा भारत का DAE (1993-2000) है. उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) (1994-1995) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया है.
मल्लिकार्जुन खड़गे ने जताया दुख
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोशल मीडिया अकांउट एक्स पर एक पोस्ट शेयर किया. इस पोस्ट में उन्होंने लिखा कि देश इस प्रतिभाशाली वैज्ञानिक दिमाग का बहुत आभारी है और हम उनके जबरदस्त योगदान को हमेशा याद रखेंगे. वहीं, परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव अजीत कुमार मोहंती ने चिदंबरम के निधन को अपूरणीय क्षति बताया. उन्होंने कहा कि डॉ. चिदंबरम विज्ञान और प्रौद्योगिकी के पुरोधा थे, जिनके योगदान ने भारत की परमाणु शक्ति और रणनीतिक आत्मनिर्भरता को आगे बढ़ाया. उनकी क्षति वैज्ञानिक समुदाय और राष्ट्र के लिए अपूरणीय है.
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